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हमला : ये तो होना ही था...

Written By महेन्द्र श्रीवास्तव on बुधवार, 19 अक्तूबर 2011 | 8:40 am


टीम अन्ना को देश के युवाओं ने पहले सिर पर बैठाया, अब यही नौजवान अन्ना की टीम के अहम सहयोगियों के साथ मारपीट कर रहे हैं। आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि इन पर हमले किए जा रहे हैं और हमला करने वाले कोई और नहीं देश के नौजवान ही हैं। रामलीला मैदान में 12 दिन के अनशन के बाद केंद्र की सरकार को घुटनों पर लाने वाले अन्ना हजारे अपने गांव पहुंचते ही आक्रामक हो गए और उन्होंने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे पर हमला बोल दिया। ठाकरे ने चेतावनी दी कि वो गांधीवादी नहीं है, ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं, बस अन्ना खामोश हो गए। इसके बाद प्रशांत भूषण ने कश्मीर को लेकर ऐसा जहर उगला कि पूरे देश में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई।
मैने देखा कि कुछ नौजवानों ने प्रशांत भूषण पर हमला कर दिया। हालाकि मैं मारपीट का कत्तई समर्थन नहीं करता हूं, लेकिन मेरा मानना है कि ये नौजवान अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाए और ऐसी हरकत कर बैठे। पर इस बात से शुकून जरूर है कि देश के खिलाफ बात करने वालों को जवाब देने के लिए देश का युवा तैयार है। प्रशांत पर हमले का मामला अभी ठंडा भी नहीं पडा था कि लखनऊ में अरविंद केजरीवाल पर एक युवक ने जूते से हमला कर दिया। अरविंद केजरीवाल बाल बाल बच गए। ईश्वर का मैं धन्यवाद करना चाहता हूं, क्योंकि वैचारिक मतभेद में कभी भी ऐसी घटनाओं का समर्थन नहीं किया जा सकता।
लेकिन लगातार हो रही इन घटनाओं के बाद जरूरी है कि टीम अन्ना भी आत्ममंथन करे, कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि जो नौजवान कल उन्हें सिर माथे पर बैठाए हुए था वही आज हमलावर हो गया है। टीम अन्ना के ही सहयोगी क्यों उनके खिलाफ मैदान में आ गए हैं। हिसार में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने के मामले में जस्टिस संतोष हेगडे ने टीम अन्ना को आडे हाथ लिया। कश्मीर के मामले में विवादित बयान देने पर टीम अन्ना के अहम सहयोगी एक चिकित्सक ने प्रशांत को टीम से बाहर करने की खुलेआम मांग की।
हद तो ये हो गई है कि अब टीम अन्ना पर चंदे के पैसों पर में गडबडी के आरोप भी लगने लगे हैं। कल तक जो युवा "मैं भी अन्ना"  कि टोपी पहन कर रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन में सहयोग कर रहे थे, आज उन्हीं युवाओं ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। इन युवाओं का आरोप है कि यहां मनमानी हो रही है और पैसों का हिसाब किताब सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। इसके लिए तमाम युवा जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। आखिर ये सब क्यों हो रहा है। टीम अन्ना पर हमला करने वालों को एक बार कहा जा सकता है कि विरोधी ऐसा करा रहे हैं, लेकिन टीम अन्ना के भीतर से ही जब नेतृत्व के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है तो टीम अन्ना को भी आत्ममंथन तो करना ही चाहिए।    
भ्रष्टाचार को लेकर देश की जनता आग बबूला थी, इसी लिए टीम अन्ना की मामूली पहल को भी लोगों ने हाथों हाथ लिया और 74 साल के नौजवान अन्ना के पीछे देश का युवा पूरी ताकत के साथ जुट गया। युवाओं को कुछ उम्मीद थी कि अब कुछ हद तक भ्रष्टाचार से निजात मिलेगी। लेकिन ये क्या, जनलोकपाल बिल की आड में टीम अन्ना के कुछ लोगों ने सियासत शुरू कर दी। देश में कई स्थानों पर उप चुनाव हो रहे थे, लेकिन कांग्रेस का विरोध सिर्फ हिसार में किया गया। आपको बता दूं कि अरविंद केजरीवाल इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कहीं अरविंद यहां अपनी राजनीतिक जमीन तो नहीं तैयार कर रहे हैं।
वैसे भी आप हिसार चले जाएं और निष्पक्ष रूप से जानकारी करें, तो वहां जीतने वाले और दूसरे नंबर पर रहने वाले दोनों ही उम्मीदवारों के खिलाफ तमाम आरोप हैं। जिस उम्मीदवार का टीम अन्ना विरोध कर रही थी, वो ही एक मात्र ऐसा उम्मीदवार था, जिसके ऊपर फिलहाल भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। ऐसे में टीम अन्ना किस तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लडने की बात कर रही है, ये वही बता सकते हैं। बहरहाल अन्ना जी साफ सुथरे सामाजिक कार्यकर्ता हैं उन्हें इस मामले को खुद देखना चाहिए।

चलते चलते एक बात और। आज अन्ना के गांव के सरपंच कुछ लोगों के साथ राहुल गांधी से मिलना चाहते थे। इन लोगों ने कांग्रेस सांसद के जरिए खुद राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जताई थी। यहां वडा सवाल ये भी है कि क्या अन्ना अपनी टीम से नाखुश हैं, क्यों उन्होंने अपने गांव के लोगों को सीधे राहुल के पास भेज दिया, टीम के अहम सहयोगी अरविंद केजरीवाल और अन्य लोगों को इस मुलाकात से दूर रखा। बहरहाल इसका जवाब तो अन्ना ही दे सकते हैं। लेकिन राहुल गांधी इस बात से नाराज हो गए कि अन्ना के गांव के सरपंच ने मीडिया के सामने गलत बयानी की और कहा कि राहुल ने मिलने की इच्छा जताई है, जबकि राहुल से इन लोगों ने खुल मिलने के लिए पत्र लिखा था। राहुल को लगा कि जब मुलाकात के पहले ही ये गलत बयानी कर रहे हैं तो बाद में और कुछ भी उल्टा पुल्टा बोल सकते हैं, लिहाजा उन्होंने इनसे दूरी बना ली। हो सकता है कि सियासी तौर पर इसका नुकसान राहुल को हो, लेकिन मैं राहुल गांधी के इस कदम की सराहना करता हूं। अब लोग कह रहे हैं कि राहुल ने अन्ना का अपमान किया, तो कहते रहें, राहुल ने ठीक किया। मैं उन्हें पूरे 10 में 10 नंबर देता हूं। 
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2 टिप्पणियाँ:

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

राजनीति में प्रवेश करने पर सारे ही आरोप-प्रत्‍योरोपों से गुजरना पडता है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

राजनीति एक दलदल से कम नहीं .,.

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