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सहेजा मेरे दिल को, बनाया जो अपना मकाँ

Written By Brahmachari Prahladanand on सोमवार, 31 अक्तूबर 2011 | 4:36 pm

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सहेजा मेरे दिल को, बनाया जो अपना मकाँ,
रोशन मुझे कर दिया, देख आया मैं सारा जहाँ,

न वो नूर की रौशनी होती, न वो खुदा का नूर होता,
न जाने इस अँधेरी दुनिया में, कहाँ खो गया होता,

वो नूर देता गया, वो रौशनी देता गया,
कदम रखता गया, आगे को बढता गया,

अब सारा जहाँ रौशन लगता है, हर किसी पे नूर झलकता है,
कोई न दूर खुदा से लगता है, खुदा का नूर सबसे टपकता है,

                                                                                  ------- बेतखल्लुस
 

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सब रोगों के लिए संजीवनी

लाजवाब पोस्ट्स का संकलन और सब रोगों के लिए संजीवनी

ब्लॉगर्स मीट वीकली (15) One Planet One People

http://hbfint.blogspot.com/2011/10/15-one-planet-one-people.html
डा. अनवर जमाल ख़ान

निरन्तर बढ़ रहे साइबर क्राइम के कारण क्या इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी और कानून मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए


दोस्तों आप सभी जानते है देश में इन दिनों साइबर क्राइम तेज़ी से बढा है कोई भी फेक आई डी बनाकर किसी को धमकियां देता है ..अभद्रता करता है उसका मान मर्दन करता है हंसी ठिठोली करता है समाज को दूषित करता है और उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ता है नतीजन उसके होसले बढ़ते है और फिर एक से दो ..दो से चार होकर यह संख्या दिन बा दिन बढती चली जाती है .दोस्तों सारा देश जानता है के देश में साइबर क्राइम एक खतरनाक अपराध है इससे आतंकवाद से लेकर खतरनाक अपराध और अपमान तक की कार्यवाही यह अपराधी कर रहे हैं ..कहने को तो देश में कानून बना है साइबर थाने बने हैं और सभी थानों को इस कानून के तहत मुकदमे दर्ज कर कार्यवाही करने के निर्देश हैं सरकार ने इसे कंट्रोल करने के लियें गृह विभाग..विधि विभाग और इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी विभाग बनाया है इन तीनों विभागों के मंत्रियों और निठल्ले कर्मचारियों पर सरकार के अरबों रूपये खर्च हो रहे हैं लेकिन नतीजा क्या है .....सरकार के प्रधानमन्त्री ..यु पी ऐ अध्यक्ष सोनिया गाँधी ..मंत्री कपील सिब्बल .दिग्विजय सिंह सहित सभी मंत्रियों और नेताओं के गंदे चेहरे अभद्र स्केच उनका मान मर्दन करते हुए फेस बुक और दुसरे ब्लोगों पर निरंतर प्रकाशित किया जा रहे हैं इतना ही नहीं फेस बुक और दुसरे ब्लोगों पर फर्जी आई डी से छेड़छाड़ से लेकर लोगों के अपमान और मान मर्दन सहित साम्प्रदायिकता का जहर फेलाने का दोर चल रहा है ..विज्ञापन एजेंसियां मोबाइल कम्पनियां फोन के माध्यम से संदेश के माध्यम से लोगों को इनाम के नाम पर ठग रही हैं लेकिन हमारे देश की सरकार इसे रोकने के मजबूत कानून होने के बाद भी आजतक ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर उनके चेहरे बेनकाब नहीं कर रही है विधि विभाग और इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी विभाग साइबर क्राइम को रोकने के लियें गंभीर नहीं है इसीलियें करोड़ों की ठगी इसी के माध्यम से हो रही है इंदिरा से लेकर राहुल मनमोहन सिंह से लेकर सभी मंत्रियों का मान मर्दन विधिविरुद्ध तरीके से वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर क्या जा रहा है ..सरकार अगर वक्त रहते नहीं चेती तो यह साइबर अपराध देश में एक दिन समाजों ..राजनितिक पार्टियों और सम्प्रदायों में इतना वैमनस्यता भर देंगे के उसे सम्भालना मुश्किल हो जाएगा .सब जानते है गूगल हो या फेसबुक अगर यहाँ कोई गडबडी करता है तो उसपर इन माइक्रोसोफ्ट कम्पनियों की निगाह रहती है वोह केवल ऐसे लोगों की शिकायत होने पर उनका खाता ब्लोक कर देते हैं लेकिन यह इस समस्या का समाधान नहीं है ब्लोगिंग से लेकर लेखन की दुनिया में भी यह साइबर क्राइम जहर घोल रहा है इसके लियें भारत सरकार और सभी राज्य सरकारों को एक सोफ्ट वेयर के माध्यम से सभी खातेदारों की निजी आई डी देखना होगी उसका वेरिफिकेशन करना होगा और जो फर्जी आई डी से खाते चला रहे हैं जो किसी का माँ मर्दन अपमान कर रहे हैं कानून तोड़ रहे हैं उनके खिलाफ उन्हें चिन्हित कर मुकदमे दर्ज करवाकर उन्हें जेल में डालेगी तब कहीं यह अपराध खत्म होगा ..दोस्तों आप और हम जानते हैं के यह अपराध कई लोग तो केवल खेल खेल में ही कर रहे हैं ऐसे में अगर यह लोग पकड़े गये तो इनका तो जीवन बर्बाद हो जाएगा क्योंकि साइबर अपराधी को कहीं कोई जॉब नहीं देगा और अगर जॉब में होगा तो उसे निकाल देगा ऐसे अपराधी को किसी भी व्यापार व्यवसाय का लाइसेंस भी नहीं मिलेगा ऐसे में खेल खेल में फर्जी आई डी बना कर लोगों को ठगने और उनका मजाक उढ़ाने वाले लोग इसे चेतावनी समझ कर खुद को इस अपराध से अलग कर लेंगे तो उनकी खुद पर ,,हम पर ..देश पर महरबानी होगी ..इस मामले में राष्ट्रपति महोदय और प्रधानमन्त्री महोदया कोई भी पत्र लिखा गया है .... के ऐसे निकम्मे अधिकारी और मंत्री जो समाज की सुक्ख शांति खत्म करने और कानून तोड़ कर समाज में जहर घोलने वालों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकें तो उन्हें बर्खास्त किया जाए .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सुनो अन्ना: 1000 रूपए का इनाम लोगे?

Written By प्रदीप नील वसिष्ठ on रविवार, 30 अक्तूबर 2011 | 11:49 am

सुनो अन्ना: 1000 रूपए का इनाम लोगे?: आदरणीय अन्ना अंकल , कल अखबार में फोटो छपा हुआ था जिसमें एक लाल बंदर हैट लगाए, काले घोडे पर बैठा मजे से गाजर खा रहा था.इस फोटो का शीर्...

सुनो अन्ना: कर लो जब्त : यह रहा काला-धन

सुनो अन्ना: कर लो जब्त : यह रहा काला-धन: कर लो जब्त : यह रहा काला-धन आदरणीय अन्ना अंकल, हमारी गली का राम औतार अपना काला धन जब्...

राजस्थान के दिग्गज कोंग्रेसियों के आगे राहुल की ताकत जीरो


जी हाँ दोस्तों किसी शायर ने कहा था के ..बहुत शोर सुनते थे सीने में दिल का ..जो चीरा तो कतरे खूं ना निकला ..यह बात राजस्थान की राजनीती में राहुल की बेबसी से साबित होती जा रही है .........हम बात कर रहे हैं युवराज कोंग्रेस का भविष्य देश के भावी प्रधानमन्त्री और इन्डियन नेशनल कोंग्रेस के भावी अध्यक्ष की जिनके बारे में जनता जानती है के उनके सीने में मानवता भरा दिल है ..जज्बे में इंसाफ है और निर्णय में ताकत है अपने इसी जज्बे के करना वोह महाराष्ट्र और अरुणाचल के मुख्यमंत्रियों को घर का रास्ता दिखा कर यह साबित कर चुके है के कोंग्रेस की नीतियों और जनता के हितों के खिलाफ काम करने वाले किसी भी नेत्रत्व की उन्हें जरूरत नहीं है वोह जहां भी जाते है कुछ नया कर अपनी वाह वाही लूटते हैं ...... राजस्थान में यूँ तो माइनोरिटी कल्याण के नाम पर तमाशा है लेकिन पिछले दिनों भरतपुर के गोपलागढ़ में जब मुस्लिम धार्मिक स्थल में घुस कर पुलिस के जवानों ने पीठ पर गोलियां चला कर निहत्थों की जान ली तो भरतपुर ही नहीं राजस्थान ही नहीं पूरा देश हिल गया लेकिन राजस्थान की सरकार तमाशबीन बनकर इन प्रशासनिक हत्याओं को जायज़ ठहराती रही कहते हैं के खून सर चढ़ कर बोलता है और यहाँ खून सर चढ़ कर बोला भी पहले दोरे में कोंग्रेस और भाजपा ने मेच फिक्सिंग की और गोपालगढ़ की घटना को जायज़ ठहराया लेकिन कोंग्रेस की विधायिका ने जब शोर मचाया तो कोंग्रेस की आँखें खुलीं और कोंग्रेस हाई कमान ने पहले एक दल भेजा फिर प्रदेश कोंग्रेस का दल आया फिर कोंग्रेस हाईकमान के निर्देशों पर चार सांसदों का एक दल जिसमें खुद मुकुल वासनिक भी थे आये और उन्होंने जो हालत देखे जो हालत सुने उससे उन्होंने खुद अपने दांतों तले उंगलिया दबा लीं ....राहुल गान्धी ने जब यह सूना और हालात देखे तो उनके होश फाख्ता हो गये और इस खून की होली के पीछे का सच जानने के लियें उन्होंने राजस्थान में स्टिंग ओपरेशन के तहत एक ख़ुफ़िया दोरा किया ..इस दोरे का सच जब भाजपा और कोंग्रेस ने जाना तो इन दोनों पार्टियों के कुछ नेताओं ने मिलजुलकर राहुल को पहले बदनाम किया भाजपा नेताओं के जरिये राहुल को दबाव में लेने के लियें अपराधी की मोटर साइकल पर बेठने का हव्वा खड़ा किया ......राहुल तो राहुल थे उनके इरादे मजबूत थे और सारे देश की निगाहें राहुल के निर्णय पर टिकी थीं राहुल चाहते थे के राजस्थान में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक बदलें राहुल का दबाव बना हाईकमान को निर्देश जारी किये गये राजस्थान के राज्यपाल को राजस्थान बुलाया गया लेकिन दूसरी तरफ एक खेमा जो कोंग्रेस में खुद को राहुल और सोनिया से भी बढ़ा समझता है वोह सक्रिय हो गया वोह खेमा चाहता था के राहुल के इस दोरे से अगर राजस्थान में कोई फेरबदल नहीं होता है तो राहुल उन दिग्गजों से हमेशा दब का रहेंगे लेकिन अगर ऐसा हो गया तो सभी दिग्गजों को राहुल का लोहा मानकर उनसे दबना पढेगा बस अशोक गहलोत से लेकर दिग्विजय सिंह मुकुल वासनिक तक इस दोड़ में लग गये और राहुल को असफल साबित करने के लियें उनके निर्णय की नाफरमानी को केसे अंजाम दे इसका दबाव बनाने का प्रयास करने लगे अशोक गहलोत और दुसरे मंत्रियों उनके चमचों उनके चमचे मोलानाओं ने दिल्ली राहुल सोनिया और हाईकमान के दुसरे नेताओं के चक्कर काटे और फिलहाल राजस्थान के राज्यपाल को बेरंग लोटा दिया देश में कहा जाता है के राजस्थान के मुख्यमंत्री सभी राज्यों से अब तक के सबसे कमजोर मुख्यमंत्री हैं यही वजह रही है के नोकर्शाहों के भरोसे चलने वाले इन मुख्यमंत्री जी ने सत्ता के विकेंद्रीकरण के तहत कोई बोर्ड..निगम ..आयोग नहीं बनाये है और जनता कार्कर्ता यूँ ही परेशान घूम रहे है .......कोंग्रेस में एक बढ़ा तबका जो बुज़ुर्ग है साथ से ऊपर है वोह चाहता है के राहुल के निर्णय को राजस्थान में अगर लागू होने दिया तो राहुल की युवा निति के तहत एक दिन उनका सफाया हो जाएगा इसलियें अपने वज़न को राहुल के सामने बनाये रखने के लियें वोह राहुल और सोनिया पर हर तरह से दबाव बना रहे है के राजस्थान में राहुल का निर्णय लागू नहीं हो काफी हद तक कोंग्रेस के राजस्थानी और राहुल विरोधी दिग्गज इस फार्मूले में कामयाब भी हो गये है और राहुल जो कोंग्रेस के हीरो कहे जाते हैं उन्हें राजस्थान की कोंग्रेस ने जीरो साबित कर दिया है ..लेकिन कोंग्रेस के राहुल विरोधी दिग्गजों के इस रवय्ये से राजस्थान में इन्साफ नहीं होने से उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी और प्रियंका की महनत ने कोंग्रेस को सत्ता के करीब पहुंचाया था राहुल की उस महनत पर राजस्थान में राहुल की हार ने पानी फेर दिया है और उत्तर प्रदेश में राजस्थान के इस फेसले से कोंग्रेस जो जीत की तरफ बढ़ गयी थी उसे फिर हरा दिया गया है और इसके बाद कोंग्रेस के राहुल को घेरे हुए राहुल विरोधी दिग्गजों के चेहरे पर जीत की मुस्कान है .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Life Line

Written By तरूण जोशी " नारद" on शनिवार, 29 अक्तूबर 2011 | 5:40 pm


मसरूफ इस जिन्दगी ने, इतना कर दिया

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मसरूफ इस जिन्दगी ने, इतना कर दिया,
भूल गए हर ज़ज्बात, वक्त न उनको दिया,
न जाने कब बेफिकरी की महफ़िल सजेगी,
शायद जब दुनियाबी काम से फुर्सत मिलेगी,

बेफिक्र होकर फिर किसी पर फिकरा कसेंगे,
लोग कहकहे लगायेंगे, फ़िक्र को भूल जायेंगे,
इस तरह जिन्दगी का लुफ्त अब सब उठाएंगे,
देखो बेफिकरी वाले दिन कब लौट के आयेंगे,

फ़िक्र ने यूँ तो जिन्दगी के साथ बाँध दिया,
वक्त सारा इन्तेज़मात जिन्दगी ने ले लिया,
जिन्दगी की फ़िक्र में जज़्बात दबा लिया,
फिर दिमाग के आड़े दिल को न आने दिया,

महफ़िल-ए-गाफिल में कोई शामिल न हुआ,
इंतज़ार करते रहे, दीदार किसी का न हुआ,
दफ्तर की थकान, घर में ही उतार सो हुआ,
महफ़िल में आने का उसका जो मूड न हुआ,

महफ़िलें यूँ ही तन्हा-सी रह गईं,
न जाने कितनों की गजलें बिन पड़े रह गईं,
उतार कर कागज़ पर अब न लिख कर गईं,
अब तो ब्लॉग पर सब ग़ज़लें आकर बैठ गईं,

वो लिखतें हैं न जाने कौन-कौन पड़ते हैं,
न जाने कौन-कौन पड़कर दाद करते हैं,
कभी कोई दो लफ्ज़ वाह-वाह लिखते हैं,
कभी उसको पसंद कर क्लिक करते हैं,

ज़माना कहाँ-से-कहाँ आ गया,
महफ़िलें खो गईं, पसन्दगार खो गया,
इतने कहने वाले हो गए, सबको कहना आ गया,
सुनने वाले खो गए, कमप्युटर का जामाना आ गया,

अब तो जज़्बात इस मशीन को सुनाते हैं,
इसी में लिखते हैं, इसी में रिकार्ड कराते हैं,
इसी से न जाने कितने सुनते हैं, सुनाते हैं,
कितनों के जज़्बात इस मशीन पे होते हैं,

                                                  ------- बेतखल्लुस


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श्रीलालजी शुक्ल हार्दिक श्रद्धांजलि



हार्दिक श्रद्धांजलि

दिए जले, दिए जले

Written By Brahmachari Prahladanand on बुधवार, 26 अक्तूबर 2011 | 11:08 pm


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दिए जले, दिए जले,
देखो कितने दिए जले,
आस पास उजाला जले,
जगमग दिए अब जले,

अमावस की रात में,
काली अँधेरी रात में,
उजाला है साथ में,
फुलझड़ी है हाथ में,

पटाखे हैं फूट रहे,
लोग मज़े हैं लूट रहे,
मिठाईयां हैं बाँट रहे,
बधाईयाँ हैं बाँट रहे,

चेहरे पर हैं हँसियाँ,
मना रहे हैं खुशियाँ,
जल रही हैं लड़ियाँ,
चल रही हैं, चर्खियाँ,

दीवाली हैं मनाते सब,
खुशाली में दिया जलाते सब,
गम को भूल जाते अब,
थोडा-थोडा आनंद उठाते सब,

                                   ------- बेतखल्लुस


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शुभकामनाएं...


!!आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं!!
HAPPY DEEPAWALI 2011

साहित्य सुरभि: कुंडलिया छंद - 2

साहित्य सुरभि: कुंडलिया छंद - 2: दीवाली त्यौहार पर , जले दीप से दीप अन्धकार सब दूर हों , रौशनी हो समीप । रौशनी हो समीप, उमंग...

तिहाड़ में दीपावली

फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है, मैं भी सियासी माहौल से थोड़ा हटकर इसी माहौल में रहना चाहता हूं, कई साल बाद इस बार मैं भी दीपावली का त्यौहार घर पर परिवार के बीच मनाना चाहता हूं। इसके लिए मैं अपने गृहनगर मिर्जापुर जाने के लिए शनिवार को निकल चुका हूं। मित्रों इस बार ट्रेन का सफर बहुत उबाऊ रहा, क्योंकि ट्रेन दो चार घंटे नहीं बल्कि 14 घंटे लेट थी। खैर अब घर पहुंच चुका हूं, सभी थकान भी भूल गया हूं। सच तो ये है कि मैं अपने साथ और लोगों को भी चाहता हूं कि वो भी खूब मस्ती से त्यौहार इंज्वाय करें, मैं आज किसी की छीछालेदर नहीं करना चाहता।

हालांकि एक बात मुझे परेशान कर रही है, वो ये की तिहाड़ में दीपावली इस बार कैसी होगी। यहां ज्यादातर कैदी ऐसे हैं, जिनकी कई दिपावली यहां बीत चुकी है, लेकिन कुछ खास मेहमान जो शायद पहली  बार ही यहां आए हैं और उन्हें दीपावली इसी चारदीवारी के भीतर मनाना है। उनके बारे में सोचकर मैं थोड़ा असहज हूं। मेरा मानना है कि पूर्व मंत्री ए राजा और कनिमोडी तो इसके हकदार हैं, क्योंकि वो बेईमानी अपने फायदे के लिए कर रहे थे, लेकिन कई नामी गिरामीं कंपनियों के सीईओ भी यहां हैं, जो अपने से ज्यादा अपनी कंपनी के लिए काम  कर रहे थे। यानि वो बेचारे तो कंपनी की बैलेंस शीट मजबूत करना चाहते थे। इस बात का ही वो वेतन लेते हैं।

अब राजा और कनिमोडी जेल में रहें तो चलो कोई खास बात नहीं, पर एक दर्जन से ज्यादा अफसरों के जेल जाने से तो यही कहा जाएगा ना कि गेंहूं के  साथ बेचारे घुन भी पिस गए। खैर ऐसा होता है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यहां से निकलने के बाद ये अफसर जान जाएंगे कि सच्चाई और ईमानदारी से काम करना कितना जरूरी है। कम से कम वो यहां से निकलने के बाद और कुछ भले ना बन पाएं, पर सच्चा इंसान बनेंगे।

 मुझे याद है अभी ज्यादा समय नहीं बीता है, जेल में कैंपस प्लेसमेंट के दौरान 90 से ज्यादा तिहाड़ के कैदियों ने अपने हुनर दिखाए और 52 कैदी बेहतर हुनर के चलते सलेक्ट हो गए, पर मेरिट के आधार पर 43 कैदियों को नौकरी मिल  गई। वो भी ऐरू गैरू कंपनी में नहीं, बल्कि देश के नामचीन कंपनियों ने कैदियों के हुनर को सराहा और अपनी कंपनी में इन्हें नौकरी दी। कुछ खास कंपनियों का जिक्र किया जाए तो इसमें हल्दीराम, वेदांता फाउंडेशन,रोगन गोरमेंट्स, जीआई पाइप के साथ कई और नामी गिरामीं कंपनी शामिल हैं।
दरअसल तिहाड़ जेल में कैदियों को उनकी क्षमता के अनुसार प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था है, जिससे वो यहां से सिर्फ  सजा काट कर ना निकलें, बल्कि बेहतर नागरिक बने । इसी वजह से यहां कैदियों के लिए व्यावसायिक  प्रशिक्षण की  पर्याप्त  सुविधा उपलब्ध है।

इस बात का जिक्र मैं इसलिए कर रहा था कि जेल में बेहतर नेता कैसे बनें, जेल में आए नेताओं को बेहतर नागरिक कैसे बनाया जाए, उनके चारित्रिक दोष को कैसे खत्म किया जाए, इस तरह के किसी भी प्रशिक्षण का प्रावधान नहीं  हैं। मुझे लग रहा है कि जिस तरह से यहां नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों का लगातार आना जाना बना हुआ है, सरकार इस बारे में भी विचार करेगी और  जेल में बेहतर नेता कैसे बनें, भ्रष्टाचार से कैसे अछूते रहें, कुछ इस तरह की ट्रेनिंग का भी प्रावधान होगा। पर लगता है कि मैं गलत सोच रहा हूं, सरकार की प्राथमिकता सिर्फ ये है कि किस तरह जल्द से जल्द आरोपी नेताओं और मंत्रियों को जमानत मिल जाए। पूरी कवायद सिर्फ यहीं तक सीमित है।

मुझे नहीं पता कि जो बात मैं कहने जा रहा हूं वो कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है या नहीं, पर मैं इतना जरूर कहूंगा कि आज न्यायालय से लोगों को न्याय बिल्कुल नहीं मिल रहा, बल्कि न्याय बिक रहा है, बस  खरीददार की जरूरत है। न्यायालयों की छवि को सुधारने के लिए कुछ जज बडे और चर्चित मामले  में जनभावनाओं के मुताबिक फैसला सुनाते हैं,  जिससे न्यायालय की छवि बनी रहे। अमर सिंह को कुछ दिन जेल में रखने के बाद उन्हें जमानत दे दी गई, आधार बनाया गया उनकी बीमारी का। पूरा देश जानता है कि आपरेशन के बाद स्वदेश लौटने पर अमर सिंह उत्तर प्रदेश में सक्रिय रहे हैं, उन्होंने दर्जनों सभाएं की और लगातार अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने में लगे हुए हैं। तब अमर सिंह बीमार नहीं होते हैं, लेकिन जेल जाने पर उन्हें दो दिन में ऐसी बीमारी जकड़ती है कि वो जेल में नहीं रह सकते, सीधे बड़े अस्पताल आ जाते हैं। बहरहाल वो जल्दी  स्वस्थ हों, जिससे नोट के बदले वोट कांड का खुलासा हो सके।

दोस्तों भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्री और अफसर अपने रसूख का फायदा उठाकर तिहाड़ में पांच सितारा सुविधाएं जरूर ले रहे होंगे, ऐसा मेरा मानना है। वो यहां किसी तरह की ट्रेनिंग तो कम से कम नहीं ही ले रहे होंगे, जिससे कल बाहर आएं तो लोग उन्हें घृणा और नफरत से देखने के बजाए, उनमें एक अच्छे शहरी की तस्वीर देंखें। फिर मैं आशावादी हूं, मैं दीपावली की बधाई ए राजा, कनिमोडी के साथ ही सभी टेलीकाम कंपनियों के सीईओ को भी देता हूं, इस उम्मीद के साथ कि वो कानून की खामियों का सहारा लेकर खुद को बेदाग साबित करने के बजाए अपनी गल्ती कोर्ट में स्वीकार करें। इतना ही नहीं वो लूट खसोट कर जिस तरह से देश के करोडों लोगों की दीपावली फीकी करते रहे हैं, उसके लिए माफी मांगते हुए देश को हुए नुकसान की भरपाई करें। ऐसा करके वो भी मेरी तरह खुशी खुशी दीपावली का त्यौहार अपने पैतृक गांव में पूरे परिवार के साथ मना सकते हैं।

तिहाड़ में ही सुरेश कलमाड़ी भी हैं, उन्हें भी मेरी शुभकामनाएं। नोट के बदले वोट कांड में बंद नेताओं को भी दीपावली की शुभकामनाएं। मजेदार बात तो ये है कि सरकार बचाने के लिए सांसदों की खरीद फरोख्त करने वाला जेल हो आया, जिसने योजना बनाई वो अभी भी जेल में है, जिन सांसदों ने इस मामले का खुलासा किया और पैसे संसद में पेश कर दिए, उन्हें भी जेल हो गई। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से जिसे फायदा हुआ, उसका कोई नाम भी नहीं ले रहा है। बहरहाल ये नहीं तो अगली दीपावली उनकी भी यहीं तिहाड़ में बीतेगी।
चलिए दोस्तों आप  सभी  को भी दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं। कोशिश ये होनी चाहिए कि आज अपना घर तो रोशन करें ही, पास पडोस में भी अँधेरा ना रहने दें। 

शुभकामना, दीपावली के अवसर पर

Written By DR. ANWER JAMAL on मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011 | 9:43 am

दीपावली का पर्व हमारे हिंदू भाईयों का एक ऐसा पर्व है जिसे कि देश के हरेक क्षेत्र में मनाया जाता है।
यह रौशनियों का पर्व है और इस मौक़े पर वे अपनी ख़ुशियों में अकेले नहीं होते बल्कि भारत में रहने वाले सभी समुदायों के लोग उनकी ख़ुशी में शरीक होते हैं।
समय समय पर पड़ने वाले पर्व भारतीय समाज को आपस में जोड़ने में अपनी बहुत अहम भूमिका निभाते हैं।
‘हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ की यह पहली दीपावली है,
इस मौक़े पर हम सभी के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं और कामना करते हैं कि हम सबको वह ‘ज्ञान‘ वास्तव में प्राप्त हो जिसका प्रतीक प्रकाश है।
ज्ञान से ही मुक्ति है।
जो लोग त्यौहारों के अवसर पर मिलावट करते हैं वे देशवासियों की सेहत से खिलवाड़ करते हैं और यह खिलवाड़ हरेक त्यौहार पर किया जाता है। थोड़े से लालच में पड़कर ये व्यापारी लोगों की जान से खेलते रहते हैं और इसके बावजूद हमारे समाज के सम्मानित सदस्य बने रहते हैं।
जितने लोग इनकी मिलावट का शिकार होकर अपनी जान गंवाते हैं, उनकी तादाद विदेशी आतंकवादियों की गोलियों का शिकार होने वालों से कहीं ज़्यादा है। इसके बावजूद भी मिलावट आज तक कोई मुददा नहीं बन पाई और न ही यह रूक पाई है जबकि इसे रोकने के लिए पूरी व्यवस्था की गई है।
भारत को सशक्त बनाने के लिए यह ज़रूरी है कि हम बुराई पर अच्छाई की विजय को अपने समाज में घटित होते हुए भी देखें।
समय बदल रहा है और भारतीय समाज के ये खुदरा व्यापारी अगर अभी न सुधरे तो मल्टीनेशनल कंपनियां इसी मिलावट को बुनियाद बनाकर हमारा बाज़ार हथिया लेगी और तब वे सुरक्षित उत्पाद बेचने के नाम पर अपने उत्पाद यहां बेचेंगे और ªहम असहाय से होकर उनके उत्पाद बेचेंगे और जिसके कंट्रोल में बाज़ार होता है, देश भी उसी की नीतियों पर चलता है। यह भी एक सच है।
हमारा लालच हमें गुलामी की तरफ़ ले जा रहा है लेकिन इस तरफ़ ध्यान बहुत कम दिया जा रहा है।
दीपावली के मौक़े पर बाहर चाहे जितने दिए जलाएं लेकिन एक दिया अपने भीतर भी ज़रूर जलाएं और निष्पक्ष होकर तथ्यों पर ग़ौर करें और हरेक बुरा और घातक विचार अपने दिलो दिमाग़ से ऐसे ही निकाल फेंकिए जैसे कि इस अवसर पर घर से कूड़ा बाहर फेंका जाता है।
घर शुद्ध हो और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी यह है कि मन शुद्ध हो।
मन चंगा तो कठौती में गंगा।
गंगा की शुद्धि पर भी ध्यान दें और हर उस चीज़ पर अपना ध्यान दें जिस पर कि ध्यान देना आपके लिए और समाज के लिए ज़रूरी है और ऐसा हम सब मिल कर करें जैसे कि दीपावली की खुशियां हम सब मिल कर मनाते हैं।
हमारा शुभ हो,
हमारा कल्याण हो,
यह फ़ोरम देशवासियों के लिए पहले और फिर पूरे विश्व के लिए यही कामना उस पालनहार प्रभु से करता है जो कि स्वयं ही प्रकाशस्वरूप है।
आमीन !

दीप जलें ..गज़ल .. डा श्याम गुप्त.....

Written By shyam gupta on सोमवार, 24 अक्तूबर 2011 | 6:14 pm

दीप  जलें सुख सम्पति आये |
खुशी से दामन भरता जाए |

नव उमंग उल्लास बसे मन,
जीवन महक महकताजाए |

आशा औ विश्वास का दीपक,
जगमग ज्योति जगाता  जाए |

हर्षित, दीपित तेरा तन-मन,
याद  हमें  भी  करता  जाए |

हर पल जीवन बगिया का ध्वज,
श्याम, लहर  लहराता  जाए ||

हमने तो पहले ही कहा था ........सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे ......


हमने तो पहले ही कहा था ........सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे ...... जी हाँ जनाब में बात कर रहा हूँ उस पागल की जिसे भ्रस्टाचार के समर्थकों के साथ दलाली करने वाले स्वामी अग्निवेश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ इस पागल को मिल रहे समर्थन से बोखला कर इन्हें पागल हाथी कहा था ..जी हाँ समझ गये शायद आप में अन्ना हजारे की बात कर रहा हूँ जिनके खिलाफ पहले दिन से भ्रष्टाचार के समर्थक लोग लामबंद हैं और अन्ना उनके समर्थकों की मांग किया जनता का हित क्या है उसे ताक में रख कर यह समूह अपराधिक षड्यंत्र रच कर अपनी पूरी ताकत अन्ना और उनकी टीम को भ्रष्ट और बेईमान साबित करने में लगा है ............... आप खुद ही समझिये अगर अन्ना और उनके समर्थक एक नम्बर के चोर और बेईमान भी है तो क्या इन हालातों में अगर वोह बेईमान और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ अआवाज़ उठा रहे हैं तो उन्हें इसका हक नहीं है .जनाब मेने तो पहले ही कहा था के अन्ना जी वापस खामोश हो जाओ देश जेसे चल रहा है चलने दो यहाँ लोगों को भ्रष्टाचार करने और सहने की आदत हो गये है इस युग में अगर आप भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलोगे तो आपके खिलाफ सारे सफ़ेद पोश लोग एक जुट होकर आपके खिलाफ अभियान छेड़ देंगे और हुआ भी यही हो भी यही रहा है अन्ना के टीम के लोगों को एक एक कर खरीदा जा रहा है जो बिक नहीं रहे हैं उन्हें आरोप लगा कर डराया जा रहा है मारा जा रहा है पीटा जा रहा है और मिडिया मेनेजमेंट कर उन खबरों को उछाला जा रहा है जिनमे कोई दम है ही नहीं ..में जनता हूँ अन्ना इस आन्द्लोलन को दबाने की इस तरह की कोशिशों से आह्त हैं उनसे मेने कहा था ...................यह झुन्ठों और मक्कारों की महफ़िल है सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे ..लेकिन अन्ना तो अन्ना ठहरे माने ही नहीं भ्रष्टाचार की मिसाल कायम करने वाले लोगों के समर्थक और भविष्य में भी वोह और उनके समर्थक भ्रष्टाचार करते रहे कर सकें इसके लियें कोई कानून ना बने और अगर कानून बने तो केवल फोर्मलिटी वाला दिखावा कानून बन कर रह जाए के अभियान की वकालत करने वाले लोग हर जगह हर मोके पर करारी मात कहा रहे है लेकिन वोह इस देश के खातिर भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई पुख्ता कानून बनाना नहीं चाहते हैं अगर यह लोग जितनी ताकत अन्ना और उनके समर्थकों को डराने धमकाने और बदनाम करने में लगा रहे हैं उससे आधी ताकत भी अगर यह लोग अन्ना के विचारों को कानून बनाने के प्रयासों में लगते तो आज देश भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना लेकर गर्व से विश्व में सर उठा कर खड़ा होता लेकिन चोर और बेईमानों से उन्हीं के खिलाफ अगर कानून बनाने की मांग करने लगे तो फिर तो जनाब हमे पागल और महा पागल और पागल हाथी ही कहा जायेगा इसमें सरकार और स्वामी अग्निवेश की बातों का बुरा क्या मानना देश और मीडिया और निष्पक्ष लोग अगर आज भी नहीं जगे तो समझो देश हमेशा के लियें सो जाएगा और दुश्मन इसे रोंदते चले जायेंगे तो उठो जागो जनाब मुकाबला करो और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने को साकार करो जो लोग केवल बातों से भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हैं जो लोग केवल जनता को लुभावनी बातें कर धोखा देना चाहते हैं जो लोग चालीस साल से भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून बनाने के प्रयास की बात कर आज तक भी कानून नहीं बना सके हैं उनके साथ देश और देश के भक्तजनों को क्या सुलूक करना चाहिए मुझे कहने की जरूरत नहीं है जनाब जय हिंद जय भारत ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Bloggers' Meet Weekly 14 का लिंक

Bloggers' Meet Weekly 14 का लिंक 
अब तुम्हीं से क्या छुपाएं, सब बता जाने के बाद।
हम कहाँ भूखे रहे, ग़म इतना खा जाने के बाद।।
http://hbfint.blogspot.com/2011/10/bloggers-meet-weekly-14-character.html

कुछ पल जो भूले नहीं जाते

Written By Pappu Parihar Bundelkhandi on शनिवार, 22 अक्तूबर 2011 | 12:35 am



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कुछ पल जो भूले नहीं जाते,

उनके साथ बिताये हर पल याद हैं आते,


न जाने वो कहाँ होंगे,


क्या पता उनको हम याद होंगे,

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एक वो ज़िफन थी, जो आपसे न कह सके

Written By Brahmachari Prahladanand on शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011 | 11:11 am

एक वो ज़िफन थी, जो आपसे न कह सके,
ना आज है, इसमें न रियाज़ है इसमें,
ये तो वो आफ्तियान्गी है जो सब न सह सके,
आती है उफान पर तो सागर भर जाते हैं,
न जाने इससे कितनों के गागर भर जाते हैं,

बन सँवरकर न रियाज़, इसका किया करते हैं,
ये तो वो कफ़न है, जिसको पहनकर जिया करते हैं,
रहते हैं जब उसी में शाम-ओ-सुबह दिन-ओ-रात,
तो फिर क्यूँ करें दिखावे वाली हर बात,

उतर आती हैं, ग़ज़लें, उतर आती हैं, नज्में,
उतर आते हैं, शेर, उतर आतें हैं अश्हार,
न ये रियाज़ से आते हैं, न इस पे नाज़ खाते हैं,
ये तो वो कफ़न हैं, जो न जाने कब फनकार बना जाते हैं,

फन जब आता है, तो कफन भी साथ लाता है,
हर कोई यूँ ही फनकार नहीं बन जाता है,
फरमाईश पे वो किसी की न गाता है,
जब भी फन उसका आता है, वो सबको भाता है,

तुकबंदी सबको नसीब नहीं होती है,
देख लो कर के, कितना ही रियाज़,
ये तो वो बला है, तो दिल की टुक-टुक में बंद होती है,
जब दिल की टुक-टुक ही तो उसकी तुकबंदी होती है,

                                                                           ------- बेतखल्लुस
 


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सुनो अन्ना:   आदरणीय अन्ना अंकल, मैं “व्यापारी और बंदर“ कहानी ...

Written By प्रदीप नील वसिष्ठ on गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011 | 12:34 pm

सुनो अन्ना: आदरणीय अन्ना अंकल,
मैं “व्यापारी और बंदर“ कहानी ...
: आदरणीय अन्ना अंकल, मैं “व्यापारी और बंदर“ कहानी पढ रहा था तो मुझे लगा कि ऐसी कहानी तो मैं भी लिख सकता हूं. लेकिन अंकल जी, यह कहानी इतनी ...

ख़त


जनवरी की सर्द रात, एक कम्बल 
और कुछ अटपटे ख़याल
थोड़ी सी मदहोशी, कुछ चाय के प्याले 
और मन मे उठे सवाल 
कुछ पुरानी यादें, और वो नज़्में 
जो तुमने गुनगुनायी थीं 
तुम्हारी बातें, और मेरी पुरानी गजलें 
जो मैंने तुम्हें सुनाई थीं 
मेरी गुस्ताख़ शरारत पे 
तुम्हारी हया भरी डांट
हमने बूढ़े पीपल पे लगाई थी 
जो लाल डोरी की गांठ 
कुछ खत जो कभी भेजे नहीं 
और वो बातें जो कही नहीं 
जिस्मों के ये फासले और
दिलों मे दूरिया जो रही नहीं 
वो बेचैनी मे बदली गयी करवटें 
और तनहाई मे भरी गयी आह 
वो पूनम के चाँद को देखकर 
तुमको छू लेने की चाह 
वो किताबों से निकले 
सूखे फूलों की महक 
तेरे चेहरे का ताब, 
तेरी साँसों की दहक
मेरे कुछ रंगीन ख्वाब, 
और आँखें तेरी शराब  

और भी बहुत कुछ मिला कर 
पकाया है जज़्बातों की आंच पर 
फिर कुछ देर ठंडा किया है 
रख के हसरतों के काँच पर।

कागज़ पे परोस कर 
इक ख़त तुम्हें भेजा है
ज़रा चख के ये बताना 
क्या नमक इश्क़ का सही पड़ा है??

संसद से ऊपर कैसे हो गए अन्ना हजारे?

उत्प्रेरक के रूप में राजनीति की रासायनिक प्रक्रिया तो कर रहे हैं, मगर खुद अछूआ ही रहना चाहते हैं
हाल ही अन्ना हजारे की टीम के प्रमुख सिपहसालार अरविंद केजरीवाल ने यह कह कर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है कि अन्ना संसद से भी ऊपर हैं और उन्हें यह अधिकार है कि वे अपेक्षित कानून बनाने के लिए संसद पर दबाव बनाएं। असल में वे बोल तो गए, मगर बोलने के साथ उन्हें लगा कि उनका कथन अतिशयोक्तिपूर्ण हो गया है तो तुरंत यह भी जोड़ दिया कि हर आदमी को अधिकार है कि वह संसद पर दबाव बना सके।
यहां उल्लेखनीय है कि अन्ना हजारे पर शुरू से ये आरोप लगता रहा है कि वे देश की सर्वोच्च संस्था संसद को चुनौती दे रहे हैं। इस मसले पर संसद में बहस के दौरान अनेक सांसदों ने ऐतराज जताया कि अन्ना संसद को आदेशित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें अथवा किसी और को सरकार या संसद से कोई मांग करने का अधिकार तो है, मगर संसद को उनकी ओर से तय समय सीमा में बिल पारित करने का अल्टीमेटम देने का अधिकार किसी को नहीं है। इस पर प्रतिक्रिया में टीम अन्ना यह कह कर सफाई देने लगी कि कांग्रेस आंदोलन की हवा निकालने अथवा उसकी दिशा बदलने के लिए अनावश्यक रूप से संसद से टकराव मोल लिए जाने का माहौल बना रही है। वे यह भी स्पष्ट करते दिखाई दिए कि लोकपाल बिल के जरिए सांसदों पर शिंकजा कसने को कांग्रेस संसद की गरिमा से जोड़ रही है, जबकि उनकी ऐसी कोई मंशा नहीं है। एक आध बार तो अन्ना ये भी बोले कि संसद सर्वोच्च है और अगर वह बिल पारित नहीं करती तो उसका फैसला उनको शिरोधार्य होगा। लेकिन हाल ही हरियाणा के हिसार उपचुनाव के दौरान  अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर इस विवाद को उछाल दिया है। वे साफ तौर पर कहने लगे कि अन्ना संसद से ऊपर हैं।
 अगर उनके बयान पर बारीकी से नजर डालें तो यह केवल शब्दों का खेल है। यह बात ठीक है किसी भी लोकतांत्रिक देश में लोक ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। चुनाव के दौरान वही तय करता है कि किसे सता सौंपी जाए। मगर संसद के गठन के बाद संसद ही कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था होती है। उसे सर्वोच्च होने अधिकार भले ही जनता देती हो, मगर जैसी कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, उसमें संसद व सरकार को ही देश को गवर्न करने का अधिकार है। जनता का अपना कोई संस्थागत रूप नहीं है। जनता की ओर से चुने जाने के बिना किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वह अपने आपको जनता का प्रतिनिधि कहे। जनता का प्रतिनिधि तो जनता के वोटों से चुने हुए व्यक्ति को ही मानना होगा। यह बात दीगर है कि जनता में कोई समूह जनप्रतिनिधियों पर अपने अधिकारों के अनुरूप कानून बनाने की मांग करने का अधिकार जरूर है। यह साफ सुथरा सत्य है, जिसे शब्दों के जाल से नहीं ढंका जा सकता। इसके बावजूद केजरीवाल ने अन्ना को संसद से ऊंचा बता कर टीम अन्ना की महत्वाकांक्षा और दंभ को उजागर कर दिया है।
उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा तो इस बात से भी खुल कर सामने आ गई है कि राजनीति और चुनाव प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल होने से बार-बार इंकार करने के बाद भी हिसार उपचुनाव में खुल कर कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने पर उतर आई। सवाल ये उठता है कि अगर वह वाकई राजनीति में शुचिता लाना चाहती है तो दागी माने जा रहे हरियाणा जनहित कांग्रेस के कुलदीप विश्नोई और इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार अजय चौटाला को अपरोक्ष रूप से लाभ कैसे दे रही है? एक ओर वह इस उपचुनाव को आगामी लोकसभा चुनाव का सर्वे करार दे रही है, दूसरी अपना प्रत्याशी उतारने का साहस नहीं जुटा पाई। अर्थात वे रसायन शास्त्र के उत्प्रेरक की भांति राजनीति में रासायनिक प्रक्रिया तो कर रही है, मगर खुद उससे अलग ही बने रहना चाहती है। कृत्य को अपने हिसाब से परिफलित करना चाहती है, मगर कर्ता होने के साथ जुड़ी बुराई से मुक्त रहना चाहती है। इसे यूं भी कहा जा सकता है मैदान से बाहर रह कर मैदान पर वर्चस्व बनाए रखना चाहती है। अफसोसनाक पहलु ये है कि इस मसले पर खुद टीम अन्ना में मतभेद है। टीम के प्रमुख सहयोगी जस्टिस संतोष हेगडे एक पार्टी विशेष की खिलाफत को लेकर मतभिन्नता जाहिर कर चुके हैं। इसी मसले पर क्यों, कश्मीर पर प्रशांत भूषण के बयान पर हुए हंगामे के बाद अन्ना व उनके अन्य साथी उससे अपने आपको अलग कर रहे हैं।
कुल मिला कर अन्ना हजारे का छुपा एजेंडा सामने आ गया है। राजनीति और सत्ता में आना भी चाहते हैं और कहते हैं कि हम राजनीति में नहीं आना चाहते। असल में वे जानते हैं कि उनको जो समर्थन मिला था, वह केवल इसी कारण कि लोग समझ रहे थे कि वे नि:स्वार्थ आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में जाहिर तौर पर जो जनता उनको महात्मा गांधी की उपमा दे रही थी, वही उनके ताजा रवैये देखकर उनके आंदोलन को संदेह से देख रही है। देशभक्ति के जज्बे साथ उनके पीछे हो ली युवा पीढ़ी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है।
-tejwanig@gmail.com

उन्हें जनता को एक ठोस विकल्प देना होगा

Written By Anurag Anant on बुधवार, 19 अक्तूबर 2011 | 8:20 pm

केजरीवाल को अपनी और जनता दोनों की दिशा साफ़ करनी होगी
लखनऊ के झूले लाल पार्क में जन सभा के दौरान केजरीवाल पर जूता चला ,------व्यवस्ता परिवर्तन की महाभारत लड़ रहे अन्ना हजारे के मार्गदर्शक और सेनापति रहे अरविन्द केजरीवाल पर भी जूता चला इसके पहले टीम अन्ना के एक और मुख्य मेम्बर प्रशांत भूषण की भी पिटाई हुई है असल बात ये है की ये टीम अन्ना का भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन अब राजनीतिक पार्टी विरोधी आन्दोलन होता जा रहा हैं , टीम अन्ना एक तरह का दबाव पैदा कर रही हैं जिससे की संसद अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं कर सके ,जब संसद ने शीत सत्र तक का समय माँगा था तब तक अन्ना की टीम को आन्दोलन के वास्तविक तत्व को प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए थी वो मुख्य तत्व वैचारिक राजनीतिक चेतना और सामाजिक जिम्मेदारी का बोध जगाने के लिए जन जागरण था , पर इस समय तो वो संसद पर दबाव डालने में व्यस्त हैं मुझे उनके लखनऊ में दिए गए बयान से एक प्रकार की राजनीतिक नादानी या फिर किसी प्रकार की राजनीतिक षड़यंत्र की झलक मिल रही हैं या तो केजरीवाल कुछ नहीं समझ पा रहे हैं या फिर सब कुछ समझ रहे हैं ............उन्होंने कहा की आजादी के बाद ६२ सालों में पार्टियां बदली सरकारें बदली पर कुछ नहीं बदली तो जनता की हालत अब तो व्यवस्था परिवर्तन की बारी है बिना व्यवस्ता परिवर्तन के कुछ नहीं होने वाला ........तब मेरा सीधा सवाल ये हैं की व्यवस्ता परिवर्तन होगा कैसे, वो औज़ार कौन से होंगे जिनसे व्यवस्था परवर्तन किया जायेगा? क्या सिर्फ कांग्रेस को वोट न देने से क्रांति होती है? क्या राष्ट्रीय स्तर की या प्रदेश स्तर की पार्टी हरा कर स्वतंत्र उम्मीदवारों को जीता देने मात्र से क्रांति हो जाएगी ?,क्या उन्हें झारखण्ड की हालत याद नहीं है जब वहां स्वतंत्र उम्मीदवारों ने सरकार बनाई थी और खुल कर बन्दर बाँट हुई थी ,क्या केजरीवाल देश में बची कुची थोड़ी बहुत भी राजनीतिक धारा आधारित राजनीति खत्म करने पर उतारू हैं ?क्या इस मौके की तलाश में सामजिक कार्यों की ओढ़नी ओढ़ कर कुछ मतलब परस्त लोग नहीं घुश जायेंगे ?क्या केजरीवाल एंड टीम अन्ना एक प्रकार की तानाशाही नहीं कर रही हैं ?,और इन सब से बड़ा सवाल जो की मेरे मन को चीरे डाल रहा हैं वो ये की कहीं केजरीवाल भी भारत की मासूम जनता को नहीं ठग रहे हैं? उन्हें व्यवस्था परिवर्तन सुशाशन के ख्वाब दिखा कर अपनी कोई पूर्व नियोजित योजना को अंजाम दे रहे हैं .................क्योंकि व्यवस्था परिवर्तन की बात करने वाले केजरीवाल में नयी व्यवस्था का कोई खाका नहीं खीचा है ये समाजवादी व्यवस्था होगी या पूंजीवादी या फिर नेहरु की तरह मिश्रित अर्थव्यवस्था , क्या होगा ये उन्हें साफ़ करना होगा और हाँ यदि वो उपस्थित सभी प्रमुझ पार्टियों को भ्रष्ट बता कर विरोध कर रहे हैं तो उन्हें जनता को एक ठोस विकल्प देना होगा उन्हें छद्म राजनीत छोड़ कर सही और सार्थक राजनीती करनी होगी  
अनुराग अनंत 

हमला : ये तो होना ही था...


टीम अन्ना को देश के युवाओं ने पहले सिर पर बैठाया, अब यही नौजवान अन्ना की टीम के अहम सहयोगियों के साथ मारपीट कर रहे हैं। आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि इन पर हमले किए जा रहे हैं और हमला करने वाले कोई और नहीं देश के नौजवान ही हैं। रामलीला मैदान में 12 दिन के अनशन के बाद केंद्र की सरकार को घुटनों पर लाने वाले अन्ना हजारे अपने गांव पहुंचते ही आक्रामक हो गए और उन्होंने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे पर हमला बोल दिया। ठाकरे ने चेतावनी दी कि वो गांधीवादी नहीं है, ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं, बस अन्ना खामोश हो गए। इसके बाद प्रशांत भूषण ने कश्मीर को लेकर ऐसा जहर उगला कि पूरे देश में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई।
मैने देखा कि कुछ नौजवानों ने प्रशांत भूषण पर हमला कर दिया। हालाकि मैं मारपीट का कत्तई समर्थन नहीं करता हूं, लेकिन मेरा मानना है कि ये नौजवान अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाए और ऐसी हरकत कर बैठे। पर इस बात से शुकून जरूर है कि देश के खिलाफ बात करने वालों को जवाब देने के लिए देश का युवा तैयार है। प्रशांत पर हमले का मामला अभी ठंडा भी नहीं पडा था कि लखनऊ में अरविंद केजरीवाल पर एक युवक ने जूते से हमला कर दिया। अरविंद केजरीवाल बाल बाल बच गए। ईश्वर का मैं धन्यवाद करना चाहता हूं, क्योंकि वैचारिक मतभेद में कभी भी ऐसी घटनाओं का समर्थन नहीं किया जा सकता।
लेकिन लगातार हो रही इन घटनाओं के बाद जरूरी है कि टीम अन्ना भी आत्ममंथन करे, कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि जो नौजवान कल उन्हें सिर माथे पर बैठाए हुए था वही आज हमलावर हो गया है। टीम अन्ना के ही सहयोगी क्यों उनके खिलाफ मैदान में आ गए हैं। हिसार में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने के मामले में जस्टिस संतोष हेगडे ने टीम अन्ना को आडे हाथ लिया। कश्मीर के मामले में विवादित बयान देने पर टीम अन्ना के अहम सहयोगी एक चिकित्सक ने प्रशांत को टीम से बाहर करने की खुलेआम मांग की।
हद तो ये हो गई है कि अब टीम अन्ना पर चंदे के पैसों पर में गडबडी के आरोप भी लगने लगे हैं। कल तक जो युवा "मैं भी अन्ना"  कि टोपी पहन कर रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन में सहयोग कर रहे थे, आज उन्हीं युवाओं ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। इन युवाओं का आरोप है कि यहां मनमानी हो रही है और पैसों का हिसाब किताब सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। इसके लिए तमाम युवा जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। आखिर ये सब क्यों हो रहा है। टीम अन्ना पर हमला करने वालों को एक बार कहा जा सकता है कि विरोधी ऐसा करा रहे हैं, लेकिन टीम अन्ना के भीतर से ही जब नेतृत्व के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है तो टीम अन्ना को भी आत्ममंथन तो करना ही चाहिए।    
भ्रष्टाचार को लेकर देश की जनता आग बबूला थी, इसी लिए टीम अन्ना की मामूली पहल को भी लोगों ने हाथों हाथ लिया और 74 साल के नौजवान अन्ना के पीछे देश का युवा पूरी ताकत के साथ जुट गया। युवाओं को कुछ उम्मीद थी कि अब कुछ हद तक भ्रष्टाचार से निजात मिलेगी। लेकिन ये क्या, जनलोकपाल बिल की आड में टीम अन्ना के कुछ लोगों ने सियासत शुरू कर दी। देश में कई स्थानों पर उप चुनाव हो रहे थे, लेकिन कांग्रेस का विरोध सिर्फ हिसार में किया गया। आपको बता दूं कि अरविंद केजरीवाल इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कहीं अरविंद यहां अपनी राजनीतिक जमीन तो नहीं तैयार कर रहे हैं।
वैसे भी आप हिसार चले जाएं और निष्पक्ष रूप से जानकारी करें, तो वहां जीतने वाले और दूसरे नंबर पर रहने वाले दोनों ही उम्मीदवारों के खिलाफ तमाम आरोप हैं। जिस उम्मीदवार का टीम अन्ना विरोध कर रही थी, वो ही एक मात्र ऐसा उम्मीदवार था, जिसके ऊपर फिलहाल भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। ऐसे में टीम अन्ना किस तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लडने की बात कर रही है, ये वही बता सकते हैं। बहरहाल अन्ना जी साफ सुथरे सामाजिक कार्यकर्ता हैं उन्हें इस मामले को खुद देखना चाहिए।

चलते चलते एक बात और। आज अन्ना के गांव के सरपंच कुछ लोगों के साथ राहुल गांधी से मिलना चाहते थे। इन लोगों ने कांग्रेस सांसद के जरिए खुद राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जताई थी। यहां वडा सवाल ये भी है कि क्या अन्ना अपनी टीम से नाखुश हैं, क्यों उन्होंने अपने गांव के लोगों को सीधे राहुल के पास भेज दिया, टीम के अहम सहयोगी अरविंद केजरीवाल और अन्य लोगों को इस मुलाकात से दूर रखा। बहरहाल इसका जवाब तो अन्ना ही दे सकते हैं। लेकिन राहुल गांधी इस बात से नाराज हो गए कि अन्ना के गांव के सरपंच ने मीडिया के सामने गलत बयानी की और कहा कि राहुल ने मिलने की इच्छा जताई है, जबकि राहुल से इन लोगों ने खुल मिलने के लिए पत्र लिखा था। राहुल को लगा कि जब मुलाकात के पहले ही ये गलत बयानी कर रहे हैं तो बाद में और कुछ भी उल्टा पुल्टा बोल सकते हैं, लिहाजा उन्होंने इनसे दूरी बना ली। हो सकता है कि सियासी तौर पर इसका नुकसान राहुल को हो, लेकिन मैं राहुल गांधी के इस कदम की सराहना करता हूं। अब लोग कह रहे हैं कि राहुल ने अन्ना का अपमान किया, तो कहते रहें, राहुल ने ठीक किया। मैं उन्हें पूरे 10 में 10 नंबर देता हूं। 

सुनो अन्ना: जूता पेल पालबिल की महिमा

Written By प्रदीप नील वसिष्ठ on मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011 | 10:02 pm

सुनो अन्ना: जूता पेल पालबिल की महिमा: आदरणीय अन्ना अंकल, लोकपाल और जन लोकपाल के झगडे में हमारे मुहल्ले के आंखों के डा. राम औतार का “जूत्तापेल पाल बिल“ दब कर रह गया था. आज उनसे ह...



नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटे को 'गलत धार्मिक परम्परा' बताते हुए मंगलवार को कहा कि वह 2012 के लिए हज नीति निर्धारित करेगा।

न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने हर वर्ष मक्का जाने वाले हज यात्रियों के सामने आने वाली कठिनाइयों को लेकर चिंता व्यक्त की।

हज यात्रा के लिए सरकारी कोटे पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय ने कहा, "हो सकता है इसका कोई राजनीतिक उपयोग हो, लेकिन यह एक बुरी धार्मिक परम्परा है। वाकई में यह हज नहीं है।"

सर्वोच्च न्यायालय, बम्बई उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2011 के उस आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 800 हज यात्रियों का कोटा निजी ऑपरेटरों को देने का आदेश दिया गया था, ताकि यह बेकार न होने पाए।

हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटे 'गलत धार्मिक परम्परा



नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटे को 'गलत धार्मिक परम्परा' बताते हुए मंगलवार को कहा कि वह 2012 के लिए हज नीति निर्धारित करेगा।

न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने हर वर्ष मक्का जाने वाले हज यात्रियों के सामने आने वाली कठिनाइयों को लेकर चिंता व्यक्त की।

हज यात्रा के लिए सरकारी कोटे पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय ने कहा, "हो सकता है इसका कोई राजनीतिक उपयोग हो, लेकिन यह एक बुरी धार्मिक परम्परा है। वाकई में यह हज नहीं है।"

सर्वोच्च न्यायालय, बम्बई उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2011 के उस आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 800 हज यात्रियों का कोटा निजी ऑपरेटरों को देने का आदेश दिया गया था, ताकि यह बेकार न होने पाए।

'महिला आकर मुझसे लिपट गई और भंग हो गई मेरी वर्षो की तपस्या'

भोपाल। एक साधु ने महिला पर तपस्या भंग करने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग में गुहार लगाई है। तीन दिन से आयोग में डेरा डाले साधु का कहना है कि जब तक महिला पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक वह यहां से नहीं हटेगा। इधर, आयोग पसोपेश में है कि इस मामले में आखिर वह क्या कार्रवाई करे?

गोरखनाथ संप्रदाय के भ्रमणकारी साधु सरजू महाराज ने आयोग में जून 2010 में शिकायत की थी कि जब वे महू (जिला इंदौर) के सिमरोल के हनुमान मंदिर में धूनी रमा कर बैठते थे, तब पंचायत में काम करने वाली महिला रमादेवी (बदला हुआ नाम) अक्सर वहां पहुंचकर ऊटपटांग हरकत करती थी। उन्होंने उसे कई बार समझाया, लेकिन उसने हरकत करनी बंद नहीं की।

उन्होंने इसकी शिकायत दंतौरा पंचायत में भी की, लेकिन पंचायत ने कोई कार्रवाई नहीं हुई। सरजू महाराज ने शिकायत में कहा कि एक दिन वह महिला उनसे लिपट गई। इससे मेरी वर्षो की तपस्या भंग हो गई। महिला की इस हरकत से उसके धर्म के अधिकार का हनन हुआ है, उन्हें न्याय चाहिए। इस पर आयोग ने 28 जून को महू कलेक्टर को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए मामला नस्तीबद्ध कर दिया।

...नहीं तो कर लूंगा आत्महत्या

सरजू महाराज ने आयोग को धमकी दी है कि यदि उन्हें जल्दी न्याय नहीं मिला तो वे आत्महत्या कर लेंगे। उन्होंने बताया कि न्याय पाने के लिए भटकते हुए एक साल हो गया है। न पुलिस मदद कर रही है न जिला प्रशासन। आयोग के संयुक्तसंचालक (जनसंपर्क) रोहित मेहता का कहना है कि पुरुष का चरित्र भंग करने के आरोप का अपनी तरह का यह पहला मामला है। आयोग ने संबंधित जिले के कलेक्टर और एसपी को आवश्यक निर्देश देकर मामला नस्तीबद्ध कर दिया

बयान के लिए नहीं पहुंचे

महू के एडिशनल एसपी पद्म विलोचन शुक्ला ने बताया कि आयोग के निर्देशों का पालन करते हुए सिमरोल थाने से मामले में जांच कराई गई थी। साधु को बयान के लिए बुलाया गया, लेकिन वे नहीं पहुंचे। वहीं दंतौरा गांव के पूनम चंद पटेल का कहना है कि महाराज गांव के हनुमान मंदिर में रहते हैं और धार्मिक गतिविधियां कराते रहते हैं। हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि वे गांववालों से किस बात से आहत हैं।

टीम अन्‍ना में पड़ी फूट: 'तानाशाही रवैये' के कारण कोर कमेटी से अलग हुए दो सदस्‍य

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नई दिल्ली. टीम अन्ना में टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण से मतभेद को लेकर कोर कमेटी के दो सदस्यों ने टीम अन्ना से अलग होने की इच्‍छा जताई है। पीवी राजगोपाल और राजेंद्र सिंह फैसले लेने में टीम के सभी सदस्‍यों की भागीदारी नहीं होने का आरोप लगाते हुए टीम अन्ना से अलग होना चाहते हैं।
इस वक्त केरल के आदिवासी इलाके में मौजूद पीवी राजगोपाल ने दैनिकभास्कर डॉट कॉम से फोन पर बातचीत में बताया कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर टीम अन्ना से अलग होने की इच्छा जाहिर की है। राजगोपाल ने कहा कि काफी समय से वो कोर कमेटी के निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पा रहे हैं इसलिए उन्हें कोर कमेटी से अलग होना ही बेहतर लग रहा है।

राजगोपाल ने यह भी कहा कि टीम अन्ना का विस्तार करके उसे टीम इंडिया बनाने का विचार था लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है, जिससे आंदोलन को काफी नुकसान हो रहा है और यह चंद लोगों के इर्द गिर्द सिमटकर रह गया है। योजना यह थी कि टीम का विस्तार करके इसमें देशभर के लोगों का प्रतिनिधित्व दिया जाएगा लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पा रहा है।

राजगोपाल ने यह भी कहा कि तेजी से बदल रहे घटनाक्रम में कोर कमेटी के कई सदस्य अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं और फिर लिए गए निर्णयों से खुद को जोड़ पाना मुश्किल हो रहा है। हिसार में कांग्रेस का विरोध करने का फैसला या कश्‍मीर को लेकर प्रशांत भूषण के दिए गए बयान पर टीम अन्‍ना की ओर से दिया गया बयान ऐसा ही मुद्दा था। उन्‍होंने कहा कि इन मुद्दों पर उनकी राय टीम की राय से अलग है। राजगोपाल ने टीम अन्ना से अलग होने का मुख्य कारण टीम के निर्णयों में अपनी भागीदारी नहीं होना बताया।

अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में राजगोपाल ने कहा कि मेरी जनसत्याग्रह संवाद यात्रा केरल पहुंच गई है और 20 अक्टूबर को तमिलनाडू पहुंच जाएगी। दूर होने के कारण मेरे लिए आंदोलन की लगातार बदल रही गतिविधियों को समझ पाना और उनमें हिस्सा ले पाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए मुझे कोर कमेटी की जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए। आपका भी मेरी यात्रा में स्वागत है।

टीम अन्ना से दूरी बनाने वाले कोर कमेटी के अन्य सदस्य राजेंद्र सिंह ने दैनिक भास्कर डॉट कॉम से कहा कि जिस प्रकार हिसार के चुनाव में अन्ना और उनके करीबियों ने अपनी भूमिका निभाई है, वह बड़ा दुखद है। एक तरफ तो यह आंदोलन लोकतंत्र बचाने की बात करता है और दूसरी ओर, खुद टीम में लोकतंत्र नहीं है। कोर कमेटी के सदस्यों को बिना बताए इन लोगों ने हिसार के चुनाव में अपनी भूमिका निभाई, जो कि एकदम गलत है। हमें इस बात की दुख है कि जिस आंदोलन से पूरा देश जुड़ा था, उससे हमें अलग होना पड़ा।
टीम अन्ना की प्रवक्ता का कहना है कि अभी हमे राजगोपाल या फिर राजेंद्र का कोई पत्र नहीं मिला है जब हमें पत्र मिलेगा हम इस पर तब ही प्रतिक्रिया देंगे। इस संबंध में टीम अन्ना की कोई बैठक भी अभी नहीं हो रही है। वहीं अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कुछ दिनों से ऐसी खबर आ रही है कि टीम अन्‍ना के सदस्‍यों के बीच कुछ मतभेद हैं। ऐसा टीम के सदस्‍यों के बीच संवादहीनता के चलते हो रहा है जो कुछ दिनों में खत्‍म कर लिया जाएगा।

टीम अन्ना में टूट की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए किरण बेदी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल पूरी तरह मुद्दे को समर्पित हैं, मुझे नहीं लगता कि किसी को उनसे शिकायत होगी। कोर कमेटी के कुछ सदस्यों की अपनी मजबूरियां हो सकती हैं। किरण बेदी ने यह भी कहा कि टीम अन्ना स्वयंसेवकों का समूह है जिसमें लोग अपनी मर्जी से आ जा सकते हैं। कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी ने टीम अन्ना में चल रही गतिविधियों पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि टीम अन्ना में इस वक्त क्या चल रहा है इसका पता तो खुद अन्ना को भी नहीं होगा।

टीम अन्‍ना में इससे पहले 'भीतरघात' करने के शक में स्वामी अग्निवेश को बाहर किया जा चुका है। संतोष हेगड़े भी लगातार टीम से अलग राय व्‍यक्‍त कर मतभेद के संकेत देते रहे हैं।

कश्‍मीर पर प्रशांत और केजरीवाल के बयान
‘सेना के दम पर कश्मीरियों को बहुत दिनों तक दबाव में रखना सही नहीं है। कश्मीर का भविष्य तय करने के लिए जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए।’- प्रशांत भूषण
‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन देश की एकता में यकीन रखता है। कश्मीर देश का हिस्सा है, लेकिन कश्मीर समस्या का समाधान संविधान के दायरे में शांतिपूर्ण ढंग से निकाला जाना चाहिए।’ - अरविंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल को जूता मारा, अन्ना बोले हम गोली खाने को भी तैयार

लखनऊ. उत्तर प्रदेश यात्रा पर निकले टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल पर जूते से हमला किया गया है। राजधानी लखनऊ के झूलेलाल पार्क में सभा करने पहुंचे अरविंद केजरीवाल पर हमला किया गया । जैसे ही अरविंद केजरीवाल कार से उतर रहे थे तभी जालौन से आए एक व्यक्ति ने अरविंद को जूता मारा।
अरविंद केजरीवाल पर हमले की निंदा करते हुए मौन व्रत पर बैठे अन्ना हजारे ने लिखकर बयान देते हुए कहा कि यह अरविंद केजरीवाल नहीं लोकतंत्र पर हमला है। अन्ना ने यह भी लिखा कि जनलोकपाल के लिए उनकी टीम लाठी क्या गोली भी खाने के लिए तैयार हैं, अब जो भी हम रुकने वाले नहीं हैं। अन्ना ने घटना को निंदनीय बताते हुए लिखा कि तबियत ठीक होते ही वो अरविंद के साथ लखनऊ जाएंगे और वहां जनता को जगाएंगे।

अरविंद केजरीवाल को जूता मारने वाले जितेंद्र पाठक नाम के युवक का कहना है कि उसने अरविंद को जूता इसलिए मारा क्योंकि वो देश की जनता को बरगला रहे हैं। जितेंद्र का यह भी कहना है कि वो किसी भी पार्टी या पक्ष से जुड़ा हुआ नहीं है।

अरविंद पर हमले के बाद जितेंद्र को इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्यों ने पार्क से बाहर कर दिया। फिलहाल जितेंद्र पुलिस के कब्जे में है। गौरतलब है कि हिसार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे जयप्रकाश ने कहा था कि जो हश्र प्रशांत भूषण का हुआ है वो ही अरविंद केजरीवाल का भी होगा।

अरविंद केजरीवाल पर हुए हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के नेता राशिद अलवी ने कहा कि लोकतंत्र में इस तरह के कृत्य निंदनीय हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए यदि किसी को किसी व्यक्ति से नाराजगी भी है तो उसे जाहिर करने का यह तरीका ठीक नहीं हैं।

वहीं भाजपा के नेता शाहनवाज हुसैन ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल पर हमला करने वाले व्यक्ति के विचार कांग्रेस से मेल खाते हैं।

वहीं किरण बेदी ने कहा कि अरविंद पर हमला करने वाले व्यक्ति की सोच ही खराब है। अरविंद देश को बरगला नहीं रहे हैं बल्कि वो तो देश को सही दिशा की ओर ले जा रहे हैं। वो ऐसा कानून बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं जो देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करेगा।

वहीं अरविंद के सहयोगी संजय सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने हमला करने वाले युवक को माफ कर दिया है। अरविंद ने यह भी कहा है कि इस युवक को छोड़ दिया जाए और उसके साथ दुर्व्यवहार न हो।

राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव ने अरविंद पर हुए हमले का अपनी शैली में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जीभ पर कंट्रोल करना चाहिए, जब जीभ ज्यादा बोल देती है तो ऐसी चीजों का सामना करना पड़ता है लेकिन जनता को ऐसे लोगों को पीटना नहीं चाहिए। मान लीजिए यदि उठा कर पटक देता तो दम निकल जाता, ये कोई गांव के लोग थोडे़ ही हैं जो जनता का स्वभाविक गुस्सा बर्दाश्त कर लें। ये रामलीला मैदान से बोलने वाले लोग हैं ये जनता का गुस्सा बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। हालांकि मैं इस तरह की घटनाओं की निंदा करता हूं। वहीं समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां ने कहा कि यह जनता का स्वभाविक गुस्सा हैं हालांकि ऐसा नहीं होना चाहिए।

भ्रष्टाचार समर्थकों का जूता तो देश में चलना ही था ................


भ्रष्टाचार समर्थकों का जूता तो देश में चलना ही था ................ यह एक सत्य है के देश में जो लोग भ्रष्टाचार के समर्थक है वोह खुद ईमानदार बनने का नाटक तो करते हैं लेकिन लोकपाल खासकर जान लोकपाल बिल के लियें रोड़े पर रोड़े खडा करना चाहते हैं ......अन्ना और अन्ना के समर्थकों ने पहले दिल्ली के मैदान में भ्रस्ताचारियों के पास सारी ताकतें होने के बाद भी उन्हें शह और मात का खेल खेला वहां भ्रष्टाचार समर्थकों ने अन्ना और अन्ना टीम का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया पूरी सरकार ने देश का सारा साधन अन्ना और टीम को निपटाने में लगा दिया लेकिन सरकार के सामने जनमत के आगे घुटने टेकने के अलावा कोई चारा नहीं था हाँ सरकार अपने प्रभाव अपनी ताकत के बल पर स्वामी अग्निवेश और एक समाजसेविका को गद्दार बनाने और भ्रष्टाचार की समर्थक बनाने में कामयाब हो गयी ..इस बिल के खिलाफ जो बोला या तो वोह भ्रष्टाचार के मामले में जेल भुगत कर आया है या फिर अभी वोह खुद जेल में है जेसे के अमर सिंह ..येदियुरप्पा ..बाक़ी लोग जिनकी पार्टी के नेता चोर और बेईमान है और वोह भविष्य में भी देश को लूटना चाहते हैं यही लोग इस देश में जन्लोक्पाल बिल का वायदा कर भटकते रहे अन्ना को चोर कहा गया ..अमेरिका का एजेंट कहा गया फिर आर ऐसे एस का एजेंट कहा गया लेकिन जनता है के सब जानती है जब हिसार में दुर्गति हुई तो जन्लोक्पाल बिल के विरोधी भ्रष्टाचार के समर्थक अन्ना को खुली चुनोती सड़कों पर पीटने की देने लगे एक कोकस सक्रिय हुआ और उसी का नतीजा रहा के आज केजरीवाल पर उत्तर प्रदेश में हमला हुआ ..ताजुब है के भ्रष्टाचार समर्थक कोंग्रेस को अपने राज्यों में तबाह और बर्बाद करने वाले लोग अन्ना को लगातार धमकियां देते रहे और फिर उन्होंने यह हमला करवा ही दिया उन्होंने अन्ना की टीम के कुछ मोकापरस्त लोगों को खरीदा और अब वोह इसमें कामयाब भी हो गये है पहले अन्ना ..केजरीवाल ..किरण बेदी को नोटिस देकर डराया गया और यह सही है के अन्ना और अन्ना की टीम के लोग जन लोकपाल बिल के समर्थक तो हैं उन्हें जनता के मिले समर्थन से वोह पगला गये है लेकिन वोह कितने कायर और डरपोक है यह बात सारा देश जानता है और फिर भ्रष्टाचार के समर्थक लोग तो सामर्थ्यवान हैं वोह इन लोगों की हत्या भी करवा सकते हैं इनके चेहरों पर कालिख पुतवा सकते हैं इनके खिलाफ भ्रष्टाचार अय्याशी के झूंठे सबूत पेश कर सकते हैं और यह सब एक योजना के तहत जनता को भ्रष्टाचार से मुक्ति ना मिले इसलियें क्या जा रहा है .....आज उत्तर प्रदेश में केजरीवाल पर हमला यही साबित करता है के भ्रश्ताकाह्र समर्थक अब सडकों पर आ गये हैं और जो कोई भी भ्रष्टाचार के खिलाफ भ्रस्ताचार समर्थकों के खिलाफ बोलेगा उसका यही हाल होगा लेकिन दोस्तों अन्ना ..केजरीवा। प्रशांत ..किरण बेदी और सिसोदिया कमज़ोर कायर डरपोक हो सकते हैं अहिंसावादी होने की आड़ में अपना कायरपन छुपा सकते हैं लेकिन जब इस देश में भ्रष्टाचार के समर्थक कानून हाथ में ले सकते हैं भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वालों को पीट सकते हैं डरा सकते हैं तो फिर चद्र शेखर और भगत सिंह भ्रस्थाचार विरोधी मुहीम में भी मोजूद है वोह ऐसे चोर मक्कार और मोका परस्त लोगों को खुद कानून हाथ में लेकर ना अदालत .ना पेशी ना सुनवाई सीधा फेसला की तर्ज़ पर अपने फेसले ले सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो देश में भ्रस्ताचारियों और उनके समर्थकों तथा भ्रष्टाचार विरोधी महीम में लगे लोगों के बीच गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो जायेगी जो इस देश के लियें एक अच्छी शुरुआत तो हो सकती है लेकिन इस देश की सुक्ख शान्ति के लियें कोई ठीक बात नहीं होगी .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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टीम अन्ना का खतरनाक खेल...


तीन दिन दिल्ली में नहीं था, आफिस के काम से बाहर था, इस दौरान मैं ब्लागिंग से भी महरूम रहा। पूरे दिन काम धाम निपटाने के बाद जब टीवी पर न्यूज देख रहा था, अचानक सभी चैनलों ने एक ब्रेकिंग न्यूज फ्लैश की, जिसमें श्रीराम सेना के कुछ कार्यकर्ता टीम अन्ना के प्रमुख सहयोगी प्रशांत भूषण पर हमला कर रहे थे। ये देखकर एक बार तो मैं भी हैरान रह गया, क्योंकि मेरा मानना है कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है और इसे हम गुंडागर्दी कहें तो गलत नहीं होगा।
लेकिन कुछ देर बाद ही मार पिटाई करने वाले नौजवानों की बात सुनीं, उनका गुस्सा प्रशांत भूषण के उस बयान पर था, जिसमें भूषण ने कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वहां जनमत संग्रह होना चाहिए और अगर वहां के लोग चाहते हैं कि वो भारत के साथ नहीं रहना चाहते तो वहां से सेना हटाकर उन्हें आजाद कर दिया जाना चाहिए। मेरा भी निजी तौर पर मानना है कि प्रशांत भूषण का ये बयान गैर जिम्मेदाराना और देश को विभाजित करने वाला है। या यों कहें कि उनका ये बयान कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के साथ ही पडो़सी मुल्क पाकिस्तान के रुख का समर्थन करने वाला है तो गलत नहीं होगा। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और इसके साथ किसी तरह का समझौता संभव नहीं है। कश्मीर को बचाए रखने के लिए हमने कितनी कुर्बानी दी है, प्रशांत ने उन सभी कुर्बानी को नजरअंदाज कर बेहूदा बयान दिया है। हालाकि मैं फिर दुहराना चाहता हूं कि मैं मारपीट के खिलाफ हूं, पर मुझे लगता है कि नौजवानों का जब खून खौलता है तो वो ऐसा कुछ कर देते हैं, खैर मैं इन युवकों के देश प्रेम की भावना को सलाम करता हूं और इस मामले में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के विचार का भी समर्थन करता हूं।
सवाल ये उठता है कि टीम अन्ना को ऐसा क्यों लगता है कि वो अब खुदा हैं और हर मामले पर अपना नजरिया रखेगें, भले ही वो देश भावना के खिलाफ हो। प्रशांत की बात को तो अन्ना ने ही खारिज कर दिया। टीम अन्ना के दूसरे सहयोगी जस्टिस संतोष हेगडे भी समय समय पर टीम अन्ना से अलग राय देते रहे हैं। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि इस टीम में चलती किसकी है। यहां कोई अनुशासन है भी या नहीं। गैरजिम्मेदार लोगों के मुंह पर ताला लगाने की जिम्मेदारी किसके हाथ में है। शर्म की बात तो ये है कि गैरजिम्मेदाराना बयान देने के बाद भी अभी तक प्रशांत भूषण ने खेद भी नहीं जताया, मतलब साफ है कि वो अभी भी अपने देश विरोधी बयान पर कायम हैं।
मुझे अब टीम अन्ना की नीयत पर शक होने लगा है। वैसे तो आप मेरे पिछले लेख देखें तो मैं समय समय पर लोगों को आगाह करता रहा हूं, लेकिन अब जो कुछ सामने आ रहा है, उससे लगता है कि ये लोग भी कुछ सियासी लोगों के हाथ की कठपुतली बने हुए हैं। ये वही करते हैं जो पर्दे के पीछे से इन्हें कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर हरियाणा के हिसार में हो रहे लोकसभा के उपचुनाव में अरविंद केजरीवाल, किरन वेदी और प्रशांत भूषण पहुंच गए। इन सभी ने हाथ में तिरंगा लेकर कांग्रेस को वोट ना देने की अपील की। आपको पता होना चाहिए कि अरविंद केजरीवाल हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं। दोस्तों आपको ये बताना जरूरी  है कि यहां कांग्रेस उम्मीदवार पहले ही दिन से तीसरे नंबर पर था, उसके जीतने की कोई उम्मीद नहीं थी, यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी ने भी यहां कोई सभा नहीं की। टीम अन्ना ने यहां कांग्रेस का विरोध एक साजिश के तहत किया, जिससे देश में ये संदेश जाए कि टीम अन्ना जिसे चाहेगी उसे चुनाव हरा सकती है।
अगर टीम अन्ना को अपनी ताकत पर इतना ही गुमान था तो अन्ना के प्रदेश महाराष्ट्र में खड़कवालसा में हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस का विरोध क्यों नहीं किया गया। यहां तो कांग्रेस उम्मीदवार पहले नंबर पर है और उसका जीतना पक्का बताया जा रहा है। अगर वहां ये कांग्रेस उम्मीदवार को हराने में कामयाब होते तो कहा जाता कि अन्ना भाग्यविधाता हैं। लेकिन नहीं, अन्ना को समझाया गया कि आप महाराष्ट्र में कांग्रेस उम्मीदवार को नहीं हरा पाएंगे, ऐसे में आपकी छीछालेदर होगी। लिहाजा अन्ना अपने प्रदेश में कांग्रेस का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
मित्रों एक सवाल सीधे आपसे करना चाहता हूं। रामलीला मैदान में अन्ना और सरकार के बीच समझौता हुआ कि वो शीतकालीन सत्र में जनलोकपाल बिल संसद में पेश करेंगे। इसके बाद टीम अन्ना ने पूरे देश में विजय दिवस मनाया। देश भर में पटाखे छोड़े गए, खुशियां मनाई गईं। फिर अभी संसद का शीतकालीन सत्र शुरू भी नहीं हुआ कि कांग्रेस के खिलाफ टीम अन्ना ने झंडा क्यों बुलंद किया। चलिए मान लेते हैं कि टीम अन्ना दबाव बनाना चाहती है। अगर दबाव बनाना मकसद था तो विरोध सिर्फ कांग्रेस का क्यों ? बीजेपी और दूसरे राजनीतिक दलों का क्यों नहीं। क्योंकि कांग्रेस चाहे भी तो जब तक उसे दूसरे दलों का समर्थन नहीं मिलेगा, वो इस बिल को लोकसभा में पास नहीं करा सकती। ऐसे में लगता है कि टीम अन्ना की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी है, और उनके सभी फैसलों के पीछे गंदी राजनीति है।
यही वजह है कि अब टीम अन्ना को लगातार मारपीट की धमकी मिल रही है। पहले शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अन्ना पर सीधा हमला बोला और साफ कर दिया कि वो उनसे टकराने की कोशिश बिल्कुल ना करें, क्योंकि वो गांधीवादी नहीं हैं, ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं। अन्ना खामोश हो गए। उनके दूसरे सहयोगी प्रशांत भूषण पर हमला हो गया। अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि उन्हें भी धमकी भरे एसएमएस मिल रहे हैं। ये सब अचानक नहीं है, जब तक लोगों को लगा कि ये टीम देश हित की बात कर रही है, तबतक लोग 48 डिग्री तापमान यानि कडी धूप में रामलीला मैदान में अन्ना के समर्थन में खड़े रहे, लेकिन जब युवाओं को लगा कि ये टीम लोगों को धोखा दे रही है, तो गुस्साए युवाओं ने अपना अलग रास्ता चुन लिया।
अच्छा मैं हैरान हूं अरविंद केजरीवाल के बयानों से। प्रशांत भूषण के मामले में उन्होंने ये तो नहीं कहाकि प्रशांत ने जो बयान दिया है वो गलत है। हां ये जरूर कहा कि प्रशांत टीम अन्ना में बने रहेंगे। क्या इसका मतलब ये निकाला जाए कि केजरीवाल भी प्रशांत भूषण के बयान से सहमत हैं। फिर आज एक और ड्रामेबाजी शुरू की गई। कहा गया  कि लोग अगर हमें पीटने आते हैं तो हमारे कार्यकर्ता पिटने को तैयार हैं। भाई केजरीवाल खुद तो रालेगांवसिद्धि में हैं और घर के बाहर अपने कार्यकर्ताओं को बैठाया कि कोई पीटने आए तो पिट जाना। मजेदार वाकया है, अनशन अन्ना करेंगे, पिटने की बारी आएगी तो कार्यकर्ता करेंगे आप सिर्फ एयर कंडीशन में टाप नेताओं के साथ वार्ता करेंगे। बहुत खूब दोस्त। 

प्यार

ऐ खुदा तुझे मैं मेरे दोस्तों मे शुमार करता हूँ 
ध्यान से सुन तुझे मैं मेरा राज़दार करता हूँ

 मैं तो कलाम-ए-इश्क़ का व्यापार करता हूँ
खुद भी बीमार हूँ, सबको बीमार करता हूँ 

मुझको दे जाता है वो शख्स हमेशा ही धोखा 
फिर भी भरोसा मैं उसका बार-बार करता हूँ 

देगी तू मौत मुझे इक तो दिन थक करके  
ज़िंदगी इतना तो तुझपे एतबार करता हूँ 

मेरा जनाज़ा न उठाओ उनको ज़रा आने दो 
दो घड़ी और रुक के उनका इंतज़ार  करता हूँ 

वो पूछते हैं, "प्यार करते हो कितना हमसे "
कम ही होगा जो कहूँ बेशुमार करता हूँ 

कैसे मैं छोड़ दूँ घर बार सब तेरी खातिर 
तुझसे ही नहीं माँ से भी प्यार करता हूँ  

Founder

Founder
Saleem Khan