संस्कृति रक्षक दल, साम्प्रदायिकता विरोधी मोर्चा रजि. द्वारा संचालित एक गैर सरकारी सामाजिक स्वयंसेवी संगठन है । इस संगठन का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति की रक्षा व संवर्द्धन करना तथा सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व आध्यात्मिक सभी प्रकार की व्यवस्थाओं का परिवर्तन कर स्वस्थ, समृद्ध एवं शक्तिशाली भारत का पुनर्निर्माण करना है । भारत व भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए संगठन की ग्यारह सूत्री कार्य योजना निम्नलिखित है :-
1. वर्तमान में चल रही समस्त गलत नीतियों व भ्रष्ट व्यवस्थाओं का राष्ट्र हित में पूर्ण परिवर्तन कराना । भ्रष्टाचार, बलात्कार, दहेज हत्या, गौहत्या, आतंकवाद व मिलावट करने वालों के खिलाफ मृत्युदंड का कानून बनवाकर 127 करोड़ भारतीयों को सुरक्षा प्रदान करवाना । इसके लिए देश में फास्ट ट्रेक कोर्ट बनवाकर एक से तीन माह में तुरन्त न्याय की व्यवस्था कराना, जिससे कि अपराधियों को तुरन्त दंड मिल सके और इन भ्रष्टाचार व बलात्कार आदि करने वालों के मृत्युदंड के कानून को राष्ट्रपति के क्षमादान के अधिकार से मुक्त करवाना तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून, अर्थ व कृषि व्यवस्था आदि का पूर्ण भारतीयकरण व स्वदेशीकरण करना ।
2. देश के संविधान से अपमानजनक शब्द इंडिया को हटाकर भारत की पुर्नस्थापना करना, विवादस्पद शब्द 'राष्ट्रपिता' को प्रतिबंधित कराकर भारत माँ के सम्मान की रक्षा करना, भारतीय नागरिकों में साम्प्रदायिक आधार पर भेदभाव उत्पन्न करने वाली नीतियों, कानूनों आदि को भंग करके देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की व्यवस्था कर समानता का अधिकार प्रदान करना, हज सब्सिडी व इमामों को सरकारी कोष से वेतन देना बंद करना तथा शत्रु संपत्ति व बक्फ संपत्ति का राष्ट्रीयकरण करना । आरक्षण का आधार आर्थिक स्थिति को बनाना, जाति - धर्म के आधार पर आरक्षण बन्द करना ।
3. काले धन की अर्थ-व्यवस्था को समाप्त करने, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने, काले धन को वापस मंगाने, भ्रष्टाचारियों की संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने व भ्रष्टाचारियों को कठोर दंड का प्रावधान कराने के लिए कठोर कानून बनवाना ।
4. गौवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना, गौवंश के हत्यारों को मृत्युदंड का प्रावधान कराना तथा गौवंश पर आधारित अर्थ-तंत्र की व्यवस्था करना, गौवंश आधारित कृषि, ऊर्जा, उद्योग आदि का तंत्र विकसित कराना ।
5. विद्यालयों में चरित्र निर्माण, व्यवसायिक शिक्षा व सैन्य शिक्षा अनिवार्य करना । तथ्यों के आलोक में भारतीय इतिहास का पुर्नलेखन कराकर ताजमहल, कुतुब मिनार आदि प्राचीन भवनों के वास्तविक निर्माताओं को उनका श्रेय देकर भारत का सुप्त स्वाभिमान जगाना । केन्द्रीय परीक्षाओं में अंग्रेजी प्रश्नपत्र की अनिवार्यता समाप्त करना तथा संस्कृत, हिन्दी व क्षेत्रीय भाषाओं को वैकल्पिक आधार प्रदान करना । काल गणना के लिए युगाब्ध को अपनाकर राष्ट्रीय पंचांग के रूप में लागू करना ।
6. संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करना, उसे द्वितीय राजभाषा का दर्जा देना, संस्कृत माध्यम से संस्कृत शिक्षा देना, प्रत्येक राज्य में एक - एक केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करना, संस्कृत में व्यवसायिक, रोजगार उन्मुख पाठ्यक्रमों का निर्माण करना व संस्कृत में रोजगार के अधिक अवसरों को उपलब्ध कराना, दूरदर्शन संस्कृत की स्थापना करना ।
7. मुस्लिम समाज का अल्पसंख्यक दर्जा समाप्त कर उन्हें भारत की मुख्यधारा बहुसंख्यक समाज की श्रेणी में शामिल करना । 1947 में हिन्दुस्थान विभाजन के पश्चात भारत में मुस्लिम जनसंख्या 7.88 प्रतिशत बची थी जो जनगणना 2011 में बढ़कर संभावतः 17.80 प्रतिशत हो चुकी है, जो कि बहुसंख्यक समाज है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार किसी भी देश में 10 प्रतिशत से कम जनसंख्या वाले धार्मिक समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने का प्रावधान हैं, 10 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या होने पर वह समाज बहुसंख्यक की श्रेणी में आता है ।
8. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना तथा कश्मीर के मूल निवासियों का जम्मू-कश्मीर में सुरक्षित पुर्नवास कराना ।
9. स्वदेशी उत्पादनों को प्रोत्साहित करना, आयुर्वेद को राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति घोषित करना ।
10. मांस निर्यात बन्द करना, जैविक कृषि एवं पशुपालन को प्रोत्साहित करना तथा राष्ट्रीय किसान आयोग का पुनर्गठन करना । बडे बांधों की योजनाओं को निरस्त कर पर्यावरण के अनुकूल छोटे - छोटे बांधों की योजना पर कार्य करना ।
11. बेरोजगारी, गरीबी, भूख, अभाव व अशिक्षा से मुक्त स्वस्थ, समृद्ध, संस्कारवान व शक्तिशाली भारत का पुनर्निर्माण करना और भारत को विश्व की महाशक्ति तथा विश्वगुरू के रूप में पुनः प्रतिष्ठित करना ।
साम्प्रदायिकता के विनाश एवं भारतीय संस्कृति के विकास के लिए संगठन की ग्यारह सूत्री कार्य योजना को पसंद करने वाले मित्रों, भारत माता, गौ माता, गंगा माता के पुजारियों, भगवान राम, कृष्ण के भक्तों, विश्वविजेता सम्राट विक्रमादित्य, अखण्ड भारत के सृजनकर्ता आचार्य चाणक्य, मेवाड़ केसरी महाराणा प्रताप, हिन्दुत्व रक्षक छत्रपति शिवाजी, महर्षि दयानन्द सरस्वती, गुरू गोविन्द सिंह, स्वामी विवेकानन्द, संत रविदास के अनुयायीयों, क्रांतिधर्मी बिरसा मुण्डा, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, वीर सावरकर, भगत सिंह, पं. नाथूराम गोडसे, रानी लक्ष्मीबाई, वीर गोकुल सिंह, चन्द्रशेखर आजाद के आदर्शवादियों, वेद, शास्त्र, रामायण, गीता के श्रद्धालुओं, साम्प्रदायिक एवं भ्रष्ट आसुरी शक्तियों के विनाश एवं राष्ट्र धर्म की रक्षा हेतु अधिक से अधिक संख्या में तन - मन - धन के साथ संगठन से जुड़ें ।
संस्कृति रक्षक दल आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करता है ।
http://www.svmbharat.blogspot.com/
E-mail: svmbharat@gmail.com mob.09412458954
विश्वजीत सिंह 'अनंत' 09412458954
विपिन कुमार सुराण 09997967204
बालकिशन 'किशना जी' 09827714551
चन्द्रभान मिन्हास 09625569953
देशपाल सिंह चौधरी 07351828972
हरीश कुमार शर्मा 09868354451
हरीओम सिंह 08126941201
प्रमोद यादव 09917648983, 09826558741
श्रीमती शशी शर्मा 09456680640
राष्ट्र-धर्म रक्षा के जन आन्दोलन संस्कृति रक्षक दल से जुड़ने के लिए कृपया मोबाईल नम्बर 09412458954 पर अपना नाम, उम्र, ई-मेल आईडी & पिन कोड़ SMS करें ।
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1. वर्तमान में चल रही समस्त गलत नीतियों व भ्रष्ट व्यवस्थाओं का राष्ट्र हित में पूर्ण परिवर्तन कराना । भ्रष्टाचार, बलात्कार, दहेज हत्या, गौहत्या, आतंकवाद व मिलावट करने वालों के खिलाफ मृत्युदंड का कानून बनवाकर 127 करोड़ भारतीयों को सुरक्षा प्रदान करवाना । इसके लिए देश में फास्ट ट्रेक कोर्ट बनवाकर एक से तीन माह में तुरन्त न्याय की व्यवस्था कराना, जिससे कि अपराधियों को तुरन्त दंड मिल सके और इन भ्रष्टाचार व बलात्कार आदि करने वालों के मृत्युदंड के कानून को राष्ट्रपति के क्षमादान के अधिकार से मुक्त करवाना तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून, अर्थ व कृषि व्यवस्था आदि का पूर्ण भारतीयकरण व स्वदेशीकरण करना ।
2. देश के संविधान से अपमानजनक शब्द इंडिया को हटाकर भारत की पुर्नस्थापना करना, विवादस्पद शब्द 'राष्ट्रपिता' को प्रतिबंधित कराकर भारत माँ के सम्मान की रक्षा करना, भारतीय नागरिकों में साम्प्रदायिक आधार पर भेदभाव उत्पन्न करने वाली नीतियों, कानूनों आदि को भंग करके देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की व्यवस्था कर समानता का अधिकार प्रदान करना, हज सब्सिडी व इमामों को सरकारी कोष से वेतन देना बंद करना तथा शत्रु संपत्ति व बक्फ संपत्ति का राष्ट्रीयकरण करना । आरक्षण का आधार आर्थिक स्थिति को बनाना, जाति - धर्म के आधार पर आरक्षण बन्द करना ।
3. काले धन की अर्थ-व्यवस्था को समाप्त करने, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने, काले धन को वापस मंगाने, भ्रष्टाचारियों की संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने व भ्रष्टाचारियों को कठोर दंड का प्रावधान कराने के लिए कठोर कानून बनवाना ।
4. गौवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना, गौवंश के हत्यारों को मृत्युदंड का प्रावधान कराना तथा गौवंश पर आधारित अर्थ-तंत्र की व्यवस्था करना, गौवंश आधारित कृषि, ऊर्जा, उद्योग आदि का तंत्र विकसित कराना ।
5. विद्यालयों में चरित्र निर्माण, व्यवसायिक शिक्षा व सैन्य शिक्षा अनिवार्य करना । तथ्यों के आलोक में भारतीय इतिहास का पुर्नलेखन कराकर ताजमहल, कुतुब मिनार आदि प्राचीन भवनों के वास्तविक निर्माताओं को उनका श्रेय देकर भारत का सुप्त स्वाभिमान जगाना । केन्द्रीय परीक्षाओं में अंग्रेजी प्रश्नपत्र की अनिवार्यता समाप्त करना तथा संस्कृत, हिन्दी व क्षेत्रीय भाषाओं को वैकल्पिक आधार प्रदान करना । काल गणना के लिए युगाब्ध को अपनाकर राष्ट्रीय पंचांग के रूप में लागू करना ।
6. संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करना, उसे द्वितीय राजभाषा का दर्जा देना, संस्कृत माध्यम से संस्कृत शिक्षा देना, प्रत्येक राज्य में एक - एक केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करना, संस्कृत में व्यवसायिक, रोजगार उन्मुख पाठ्यक्रमों का निर्माण करना व संस्कृत में रोजगार के अधिक अवसरों को उपलब्ध कराना, दूरदर्शन संस्कृत की स्थापना करना ।
7. मुस्लिम समाज का अल्पसंख्यक दर्जा समाप्त कर उन्हें भारत की मुख्यधारा बहुसंख्यक समाज की श्रेणी में शामिल करना । 1947 में हिन्दुस्थान विभाजन के पश्चात भारत में मुस्लिम जनसंख्या 7.88 प्रतिशत बची थी जो जनगणना 2011 में बढ़कर संभावतः 17.80 प्रतिशत हो चुकी है, जो कि बहुसंख्यक समाज है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार किसी भी देश में 10 प्रतिशत से कम जनसंख्या वाले धार्मिक समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने का प्रावधान हैं, 10 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या होने पर वह समाज बहुसंख्यक की श्रेणी में आता है ।
8. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना तथा कश्मीर के मूल निवासियों का जम्मू-कश्मीर में सुरक्षित पुर्नवास कराना ।
9. स्वदेशी उत्पादनों को प्रोत्साहित करना, आयुर्वेद को राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति घोषित करना ।
10. मांस निर्यात बन्द करना, जैविक कृषि एवं पशुपालन को प्रोत्साहित करना तथा राष्ट्रीय किसान आयोग का पुनर्गठन करना । बडे बांधों की योजनाओं को निरस्त कर पर्यावरण के अनुकूल छोटे - छोटे बांधों की योजना पर कार्य करना ।
11. बेरोजगारी, गरीबी, भूख, अभाव व अशिक्षा से मुक्त स्वस्थ, समृद्ध, संस्कारवान व शक्तिशाली भारत का पुनर्निर्माण करना और भारत को विश्व की महाशक्ति तथा विश्वगुरू के रूप में पुनः प्रतिष्ठित करना ।
साम्प्रदायिकता के विनाश एवं भारतीय संस्कृति के विकास के लिए संगठन की ग्यारह सूत्री कार्य योजना को पसंद करने वाले मित्रों, भारत माता, गौ माता, गंगा माता के पुजारियों, भगवान राम, कृष्ण के भक्तों, विश्वविजेता सम्राट विक्रमादित्य, अखण्ड भारत के सृजनकर्ता आचार्य चाणक्य, मेवाड़ केसरी महाराणा प्रताप, हिन्दुत्व रक्षक छत्रपति शिवाजी, महर्षि दयानन्द सरस्वती, गुरू गोविन्द सिंह, स्वामी विवेकानन्द, संत रविदास के अनुयायीयों, क्रांतिधर्मी बिरसा मुण्डा, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, वीर सावरकर, भगत सिंह, पं. नाथूराम गोडसे, रानी लक्ष्मीबाई, वीर गोकुल सिंह, चन्द्रशेखर आजाद के आदर्शवादियों, वेद, शास्त्र, रामायण, गीता के श्रद्धालुओं, साम्प्रदायिक एवं भ्रष्ट आसुरी शक्तियों के विनाश एवं राष्ट्र धर्म की रक्षा हेतु अधिक से अधिक संख्या में तन - मन - धन के साथ संगठन से जुड़ें ।
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