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ध्रुव तारा भारत का - इंदिरा गांधी जी

Written By Shalini kaushik on सोमवार, 31 अक्तूबर 2022 | 11:50 am



"ध्रुव तारा भारत का" जब ये शीर्षक मेरे मन में आया तो मन का एक कोना जो सम्पूर्ण विश्व में पुरुष सत्ता के अस्तित्व को महसूस करता है कह उठा कि यह उक्ति  तो किसी पुरुष विभूति को ही प्राप्त हो सकती है  किन्तु तभी आँखों के समक्ष प्रस्तुत हुआ वह व्यक्तित्व जिसने समस्त  विश्व में पुरुष वर्चस्व को अपनी दूरदर्शिता व् सूक्ष्म सूझ बूझ से चुनौती दे सिर झुकाने को विवश किया है .वंश बेल को बढ़ाने ,कुल का नाम रोशन करने आदि न जाने कितने ही अरमानों को पूरा करने के लिए पुत्र की ही कामना की जाती है किन्तु इंदिरा जी ऐसी पुत्री साबित हुई जिनसे न केवल एक परिवार बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र गौरवान्वित अनुभव करता है  और  इसी कारण मेरा मन उन्हें ध्रुवतारा की उपाधि से नवाज़ने का हो गया और मैंने इस पोस्ट का ये शीर्षक बना दिया क्योंकि जैसे संसार के आकाश पर ध्रुवतारा सदा चमकता रहेगा वैसे ही इंदिरा प्रियदर्शिनी  ऐसा  ध्रुवतारा थी जिनकी यशोगाथा से हमारा भारतीय आकाश सदैव दैदीप्यमान  रहेगा।

19 नवम्बर 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में जन्म लेने वाली इंदिरा जी के लिए श्रीमती सरोजनी नायडू जी ने एक तार भेजकर कहा था -

''वह भारत की नई आत्मा है .''

गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने उनकी शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् शांति निकेतन से विदाई के समय नेहरु जी को पत्र में लिखा था -

''हमने भारी मन से इंदिरा को  विदा  किया है .वह इस स्थान की शोभा थी  .मैंने उसे निकट से देखा है  और आपने जिस प्रकार उसका लालन पालन किया है उसकी प्रशंसा किये बिना नहीं रहा जा सकता .''  

   सन 1962 में चीन ने विश्वासघात करके भारत  पर आक्रमण किया था तब देश  के कर्णधारों की स्वर्णदान की पुकार पर वह प्रथम भारतीय महिला थी जिन्होंने अपने समस्त पैतृक  आभूषणों को देश की बलिवेदी पर चढ़ा दिया था इन आभूषणों में न जाने कितनी ही जीवन की मधुरिम स्मृतियाँ  जुडी हुई थी और इन्हें संजोये इंदिरा जी कभी कभी प्रसन्न हो उठती थी .पाकिस्तान युद्ध के समय भी वे सैनिकों के उत्साहवर्धन हेतु युद्ध के अंतिम मोर्चों तक निर्भीक होकर गयी .

आज देश अग्नि -5 के संरक्षण  में अपने को सुरक्षित महसूस कर रहा है इसकी नीव में भी इंदिरा जी की भूमिका को हम सच्चे भारतीय ही महसूस कर सकते हैं .भूतपूर्व राष्ट्रपति और भारत में मिसाइल कार्यक्रम  के जनक डॉ.ऐ.पी.जे अब्दुल कलाम बताते हैं -

   ''1983 में केबिनेट ने 400 करोड़ की लगत वाला एकीकृत मिसाइल कार्यक्रम स्वीकृत किया .इसके बाद 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी डी.आर.डी एल .लैब  हैदराबाद में आई .हम उन्हें प्रैजन्टेशन दे रहे थे.सामने विश्व का मैप टंगा था .इंदिरा जी ने बीच में प्रेजेंटेशन रोक दिया और कहा -

''कलाम ! पूरब की तरफ का यह स्थान देखो .उन्होंने एक जगह पर हाथ रखा ,यहाँ तक पहुँचने वाली मिसाइल कब बना सकते हैं ?"

     जिस स्थान पर उन्होंने हाथ रखा था वह भारतीय सीमा से 5000 किलोमीटर दूर था .

इस तरह की इंदिरा जी की देश प्रेम से ओत-प्रोत घटनाओं से हमारा इतिहास भरा पड़ा है और हम आज देश की सरजमीं पर उनके प्रयत्नों से किये गए सुधारों को स्वयं अनुभव करते है,उनके खून की एक एक बूँद हमारे देश को नित नई ऊँचाइयों पर पहुंचा रही है और आगे भी पहुंचाती रहेगी.

 आज का ये दिन हमारे देश के लिए एक अश्रु पूर्ण श्रद्धांजली का दिवस है और इस दिन हम सभी  इंदिरा जी को श्रृद्धापूर्वक नमन करते है और उनके हौसलों की उडान को दिल से सलाम करते हैं. इंदिरा गांधी अमर रहें 💐🙏💐

शालिनी कौशिक

[एडवोकेट ]


धनतेरस संबधी सूचना

Written By Shalini kaushik on शनिवार, 22 अक्तूबर 2022 | 11:33 am

 


  आज 22 अक्टूबर 2022 को सभी सनातन धर्मावलंबियों द्वारा धनतेरस का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. यह बहुत ही पावन पर्व है और हिन्दुओं की आस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है किन्तु कुछ भ्रम के कारण और कुछ 25 अक्टूबर 2022 को सूर्य ग्रहण होने के कारण आज प्रातः काल से ही धनतेरस की खरीदारी आरंभ हो गई है जबकि धनतेरस की शुभ खरीदारी की बेला 22 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 2 मिनट से आरंभ होगी. 

         अधिकांश रूप से धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत का भी विधान होता है और उसका कारण यह है कि प्रदोष व्रत द्वादशी तिथि में आरम्भ होता है और त्रयोदशी तिथि में व्रत का परायण होता है. सांय काल 6 बजकर 2 मिनट पर त्रयोदशी तिथि आरंभ होने के कारण आज शनि प्रदोष व्रत किया जा रहा है. धनतेरस त्रयोदशी तिथि में मनाया जाता है और त्रयोदशी तिथि  सांय काल में 6 बजकर 2 मिनट से आरंभ हो रही है. जो कि कल दिनाँक 23 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 3 मिनट तक रहेगी और हिन्दू धर्म में सूर्योदय कालीन तिथि से ही  तिथि की मान्यता होती है ऐसे में धनतेरस का पर्व कल दिनाँक 23 अक्टूबर 2022 को ही मनाया जाना सही और मान्य कहा जाएगा किन्तु यदि कोई श्रद्धालु गण रात्री में ही धनतेरस की खरीदारी कर सकते हैं तो वे 22 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 2 मिनट के बाद के ही समय का चयन कर सकते हैं जो कि धार्मिक और मांगलिक दृष्टि से उत्तम और शुभ दायक रहेगा . सभी सनातन धर्मावलंबियों को पांच दिवसीय महापर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹

🌹


द्वारा 

शालिनी कौशिक एडवोकेट 

अध्यक्ष 

मंदिर महादेव मारूफ शिवाला कांधला धर्मार्थ ट्रस्ट (रजिस्टर्ड) 
 

कृतज्ञ दुनिया इस दिन की

Written By Shalini kaushik on शनिवार, 1 अक्तूबर 2022 | 8:58 pm



एक की लाठी सत्य अहिंसा एक मूर्ति सादगी की,

दोनों ने ही अलख जगाई देश की खातिर मरने की .

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जेल में जाते बापू बढ़कर सहते मार अहिंसा में ,

आखिर में आवाज़ बुलंद की कुछ करने या मरने की .

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लाल बहादुर सेनानी थे गाँधी जी से थे प्रेरित ,

देश प्रेम में छोड़ के शिक्षा थामी डोर आज़ादी की .

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सत्य अहिंसा की लाठी ले फिरंगियों को भगा दिया ,

बापू ने अपनी लाठी से नीव जमाई भारत की .

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आज़ादी के लिए लड़े वे देश का नव निर्माण किया ,

सर्व सम्मति से ही संभाली कुर्सी प्रधानमंत्री की .

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मिटे गुलामी देश की अपने बढ़ें सभी मिलकर आगे ,

स्व-प्रयत्नों से दी है बढ़कर साँस हमें आज़ादी की .

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दृढ निश्चय से इन दोनों ने देश का सफल नेतृत्व किया

ऐसी विभूतियाँ दी हैं हमको कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .

शालिनी कौशिक

(एडवोकेट) 

Founder

Founder
Saleem Khan