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तम गहनतम हैं।

Written By Rahul Paliwal on शनिवार, 29 दिसंबर 2012 | 11:10 pm

तम आज, गहनतम हैं।
स्तब्ध आम जन हैं।
हौसले अभी टूटे तो नहीं,
हर आंख लेकिन नम हैं।

वो जो उसका राजा हैं।
अपना फ़र्ज़ भूल बैठा हैं।
आंखे, कर्ण बंद किये।
अपनी प्रजा से ऐंठा हैं।

क्या करे आमजन?
बैचैन और उदास हैं।
चल घर से निकलते हैं।
पास के नुक्कड़ पे पहुचते हैं।
दो और मिलेंगे , चार बनेंगे 
वहा राजपथ चलेंगे।
ले हाथो में हाथ चलेंगे।
दिए से दिया जलाएंगे।
तेरे मेरे उसके, जख्म सहलायेंगे।
भरोसा दिलाएंगे एकदूसरे को।
कि रखेंगे मानवता जिन्दा।
और इस आग को।
जो वो अपना जिस्म जला देके गई हैं।
और इसी आग से हरेंगे,
हर तम को।
कहेंगे सत्ता से।
या तो बदलो।
या हो जाओ, बेमानी होने को अभिशप्त।
बदलाव अब चाहिए। 
घर से दिल्ली तक।
मन से दिल तक।
मुझसे तुझ तक।
प्रजा से राजा तक।
दे साथी अब ये वचन हैं।

तम आज गहनतम हैं।
स्तब्ध आम जन हैं।
हौसले अभी टूटे तो नहीं,
हर आंख लेकिन नम हैं।
http://rahulpaliwal.blogspot.in/2012/12/blog-post_29.html

Written By तरूण जोशी " नारद" on सोमवार, 24 दिसंबर 2012 | 2:15 am

जनता आती हैं।

Written By Rahul Paliwal on रविवार, 23 दिसंबर 2012 | 4:28 pm


Life is Just a Life: जरुरत से डरो दरबारों Jarurat se Daro Darbaron

Life is Just a Life: जरुरत से डरो दरबारों Jarurat se Daro Darbaron: जरूरतें आसमानों को मजबूर कर सकती हैं बिजली बरसानें को तो इंसान को क्यों नहीं ? डरो जरुरत से डरो दरबारों , आज जरुरत यहाँ दिल...

आडवाणी चौधरी चरण सिंह की भूमिका निभाएंगे

Written By Barun Sakhajee Shrivastav on शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012 | 12:34 pm

सुना है आडवाणी ने मोदी को न बधाई दी और न कुछ कहा। पत्रकारों ने पूछा तो वे कार में बैठकर तुरंत चले गए।1992 में हमारे यहां एक पास के गांव से पाराशर जी आए थे। वे गैरसियासी थे, पेशे से शिक्षक, किंतु राजनीति का चश्मा जरूर अच्छा रहा होगा। उन्होंने एक कागज में लिखकर भार्गव की डिक्शनरी में लिखा था, अगर कभी भाजपा की सरकार केंद्र में बनी तो आडवाणी चौधरी चरण सिंह की भूमिका निभाएंगे, और सरकार धड़ाम हो जाएगी। जब भी मैं इस डिक्शनरी में घुसता मुझे यह पर्चा वहां मिलता था। 1996 में 13 दिन फिर 1998 में 13 महीने और फिर 1999 में 5 साल के लिए बनी भाजपा की सरकार में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। तो लगा पाराशर जी ने यूं ही लिख दिया था। मगर अब मैं उन्हें सलाम करता हूं, वे सही थे। बस उनका अनुमान था अटल और आडवाणी को लेकर पर वह साबित होगा मोदी और आडवाणी के मामले में।-सखाजी

Life is Just a Life: जीवन एक उत्थान-पतन Jeevan ek Utthan Patan

Written By नीरज द्विवेदी on गुरुवार, 20 दिसंबर 2012 | 6:44 pm

Life is Just a Life: जीवन एक उत्थान-पतन Jeevan ek Utthan Patan: छल छल बहती नदिया का , उत्थान-पतन   जीवन  है, सब कुछ  पाकर  खोने में , मशगूल  मगन जीवन  है। उगते  अंकुर   का  रोना , सर्पों  को...

Life is Just a Life: कब तक अंधा इतिहास पढ़ाओगे? Kab Tak Andha Itihas pa...

Written By नीरज द्विवेदी on रविवार, 16 दिसंबर 2012 | 10:07 pm

Life is Just a Life: कब तक अंधा इतिहास पढ़ाओगे? Kab Tak Andha Itihas pa...: आखिर कब तक  उगते भारत को  अंधा इतिहास पढ़ाओगे ? कब तक बचपन में  कायरता भर  खद्दर के दिए जलाओगे ? कब तक प्रश्न पूँछते  नौनिहाल के सम्मु...

My Clicks ...: Flowers from my Lenses

Written By नीरज द्विवेदी on शनिवार, 15 दिसंबर 2012 | 10:32 pm

Life is Just a Life: अलविदा मैसूर Alvida Mysore

Life is Just a Life: अलविदा मैसूर Alvida Mysore: आज चल  पडा निर्दोष जीवन , रह गयीं निःशब्द राहें अनमनी , ये धरा , बादलों की  पालनाघर , इतिहास  और शौर्य की  जमीं। चांद तारे  खेल...

चार दशकों का सिलसिला थमा नहीं:

Written By Barun Sakhajee Shrivastav on सोमवार, 10 दिसंबर 2012 | 12:49 pm


चार दशकों का सिलसिला थमा नहीं:
1. सदी के आठवें दशक में देश को अपातकाल जैसी सरकारी दंगों को झेलने पड़ा।
2. नवे दशक में देश को इंदिरा एसेसिनेशन क चलते सिख दंगों को फेस करना पड़ा।
3. आखिरी दशक में बाबरी विध्वंस के बाद के दंगों का सामना करना पड़ा। और
4. इस सदी के पहले दशक में गुजरात दंगों का।
5. मौजूद दशक 2012 में असम हिंसा के नाम से जाने जाने वाले दंगों को भी हम भूल नहीं सकते।
आखिर यह दंगाई दशकों का सिलसिला कब तक थमेगा।
और आश्चर्य की बात है कि 2002 गुजरात दंगों को छोड़ दें तो शेष चारों के दौरान केंद्र में धर्म निरपेक्ष के पहरूआ दल कांग्रेस की ही सरकार रही है।

Life is Just a Life: खारे पानी का घडा Khare Pani Ka Ghada

Written By नीरज द्विवेदी on बुधवार, 5 दिसंबर 2012 | 10:13 am

Life is Just a Life: खारे पानी का घडा Khare Pani Ka Ghada: उस चोट ने  मुझे  शायद बडा कर दिया है , फिर एक ठोकर लगाकर  खडा कर दिया है। अनजाने  अनचाहे  किसी  एक  अपने  ने , मट मैले सुर्ख रंगो...

Life is Just a Life: दीवार को बहना पड़ेगा Deewar ko Bahna Padega

Written By नीरज द्विवेदी on सोमवार, 3 दिसंबर 2012 | 9:57 am

Life is Just a Life: दीवार को बहना पड़ेगा Deewar ko Bahna Padega: रौशन शहर के एक कोने में   मेरा भी घर बनेगा, फिर भी पतंगों को हमेशा आग में जलना पड़ेगा? हम तुम्हारी राह में  अनगिन सितारे गढ़ चलेंगे...

श्वेता के साथ -सच का 'हाथ'

श्वेता के साथ -सच का 'हाथ'
Shweta Bhatt, the wife of suspended IPS officer Sanjiv Bhatt. File Photo.

 कॉंग्रेस ने गुजरात के निलंबित आई.पी.एस.अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट को मणिनगर सीट पर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उतारकर अपने विरोधियों का मुहं बंद कर दिया है . गुजरात दंगों का सच सामने लाने वाले बहादुर एवं ईमानदार अधिकारी संजीव भट्ट के परिवार को जो ज्यादती झेलनी पड़ी है -उसका जवाब जनता नरेंद्र मोदी को हराकर दे सकती है .जो लोग ''वन्दे मातरम'' का उद्घोष करते हुए एवं ''राष्ट्रीय ध्वज '' लहराते हुए दिल्ली में भ्रष्टाचार के विरुद्ध सीना तानकर खड़े थे और भ्रष्टाचार के लिए एकमात्र जिम्मेदार 'कॉंग्रेस 'को ठहराने की जिद पर अड़े थे क्या आज गुजरात में जाकर श्वेता के साथ  खड़े हो सकेंगें ?क्या वे भ्रष्टाचार से भी ज्यादा गंभीर मुद्दे साम्प्रदायिकता के खिलाफ श्वेता के कदम से कदम मिलाकर नरेन्द्र मोदी को हराने की मुहीम में शामिल होंगें ?पिछले दस साल से गुजरात में लोकतंत्र की धज्जिया उड़ाते इस तानाशाह के खिलाफ खड़े होने का साहस करने वाली श्वेता ने 'नेता के रूप में' मोदी से अपने को कमतर आंकते हुए कहा है की -''हालाँकि मैं मानती हूँ की मेरा और मोदी का मुकाबला बराबरी का नहीं है ''  लेकिन इस सन्दर्भ में ये उल्लेखनीय है की श्वेता और मोदी का मुकाबला बराबरी का हो ही नहीं सकता क्योंकि सच और झ्हूठ का कोई मुकाबला होता ही नहीं .गुजरात दंगों के मुख्य दोषी नरेंद्र मोदी को भले ही किसी अदालत द्वारा सजा न सुनाई गयी हो क्योंकि उनके आतंक के चलते   एक एफ.आई.आर.तक उनके खिलाफ किसी थाने   में दर्ज न हो सकी किन्तु बहादुर व् ईमानदार अधिकारी संजीव भट्ट ने उनके आतंक के आगे घुटने नहीं टेके .फिर भट्ट परिवार के सच और मोदी के झूठ  का मुकाबला कैसे हो सकता है ?श्वेता जिस सच का हाथ थामकर मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरी हैं उस सच का ओहदा मोदी के झूठ और षड्यंत्रों से कहीं ऊँचा है .नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी को समझ लेना चाहिए की श्वेता का उनके खिलाफ खड़ा होना ''सत्यमेव जयते ''की एक शुरुआत भर है .ये सिलसिला अब दूर तक जारी रहेगा .गुजरात के प्रत्येक नागरिक से श्वेता जैसे बहादुर -ईमानदार उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने की अपील करते हुए मैं यही कहूँगी -
''आतंक के आगे घुटने मत टेको !
जिंदगी को मौत बनने से रोको !
हर हालत को सह  जाना  हौसला नहीं !
एक बार खिलाफत करके भी देखो !!
                                     शिखा कौशिक 'नूतन'

Founder

Founder
Saleem Khan