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देखिये 'ब्लॉग की ख़बरें'

Written By DR. ANWER JAMAL on शनिवार, 30 अप्रैल 2011 | 8:41 am


क्योंकि यह ब्लॉग बना रहा है दुनिया की पहली '‘हिंदी ब्लॉगिंग गाइड‘' आपके सहयोग से


दो चार और लेखकों को जिन्हें आप पहचानते हों, उनसे भी लिखने के लिए कहिये . तब हम तैयार करेंगे दुनिया की पहली ‘हिंदी ब्लॉगिंग गाइड‘। जो लोग इसे पढ़ें वे भी आमंत्रित हैं। इसे हम छापेंगे बिना किसी से कोई आर्थिक सहयोग लिए। इसमें योगदान करने वाले ब्लॉगर्स का नाम और उनका परिचय प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे ... Read more

मैचिंग सेंटर

हमारे एरिया की यह दूकान महिलाओं की सबसे पसंदीदा दूकान है ! किसी भी रंग की साड़ी आप ले आइये उसका मैचिंग ब्लाउज यहाँ आपको निश्चित रूप से मिल जायेगा ! हर रंग के हलके गहरे दर्जनों शेड यहाँ उपलब्ध हैं ! अलमारियों में विभिन्न रंग के करीने से लगे हुए हलके से गहरे होते हुए कपड़ों के सजे हुए थान बहुत आकर्षक लगते हैं ! लेकिन काले रंग के थानों में यह स्थिति नहीं होती क्योंकि शायद काले रंग का केवल एक ही शेड होता है ! परन्तु क्या काले धन के साथ भी यही स्थिति है ? शायद नहीं ! आइये इस पर भी ज़रा गौर करें !

हमारे जैसे आम आदमियों की समझ से तो काला धन वह धन है जिसको कमाने के बाद सरकार को टेक्स नहीं दिया गया है और उसका प्रयोग कैश के रूप में किया जाता है तथा अनेक तरह से उस काले धन को व्हाईट बनाने की मशक्कत की जाती है ! सच पूछा जाये तो इस काले धन के भी अनेकों शेड हैं और आज इसीके विभिन्न रूपों पर चिंतन करने का प्रयास कर रही हूँ !

१ – व्यापारियों द्वारा अधिक खर्च और कम बिक्री दिखा कर कम लाभ दिखाना और उस पर टेक्स बचाना ! शायद यह काले धन का सबसे हलके रंग का शेड है !

२ - ठेकेदारों द्वारा प्रोजेक्ट्स में घटिया सामान लगा कर निर्माण की गुणवत्ता खराब कर उससे बचाया गया धन ! यदि इस लाभ पर वह टेक्स दे भी देता है तब भी बचा हुआ धन काला ही है !

३ – ऐसा धन जिसे सरकारी अधिकारी एवं नेता रिश्वत लेकर ठेकेदारों के अधिक मूल्य वाले टेंडर पास कर कमाते हैं और उन ठेकेदारों को भी कमाई करने के लिये गुणवत्ता की बलि देने के लिये हरी झंडी दिखा देते हैं ! इस तरह ना सिर्फ पब्लिक की गाँठ से पैसा अधिक निकलता है बल्कि उससे जो निर्माण होता है वह भी घटिया क्वालिटी का होता है जिसका खामियाजा भी आगे पब्लिक को ही उठाना पड़ता है ! इस तरह कमाया हुआ धन भी काला धन ही है और इससे पहले वर्णित काले धन के शेड से अधिक गहरा शेड है !

४ - ब्लैकमेलर्स जो ठेकेदारों और पूंजीपतियों को धमका कर उनसे रंगदारी वसूल करते हैं यह भी काले धन का ही एक शेड है !

५ - बच्चों को किडनैप करके फिरौती के रूप में धन अर्जित करना या सुपारी लेकर किसीकी ह्त्या करने के बाद अर्जित किया हुआ धन भी काले धन का ही एक विकृत स्वरुप है !

६ - डॉक्टरों को प्रलोभन देकर मरीजों को मंहगी दवाएं, इलाज व परीक्षण के लिये मजबूर करना और इस प्रकार धन अर्जित करना भी काले धन का ही एक अन्य रूप है !

७ - मंदिरों और मठों में भक्तों की धार्मिक भावनाओं को उकसा कर उनसे धन वसूलना और फिर उनका अधार्मिक कार्यों के लिये प्रयोग करना भी तो काले धन का ही एक और भयानक स्वरुप है !

८ - सरकारी सुविधाएँ चाहे वे गरीबो के लिये बनी हों या उद्योग धंधों के विकास के लिये बनी हों उनको सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से हड़प कर उनके द्वारा धन कमाना भी तो काला धन ही है !

९ - दूध, दवाएं व अन्य खाद्य पदार्थों में ज़हरीली व अखाद्य चीजों की मिलावट कर कमाया गया धन भी तो काले रंग का ही विभिन्न शेड है !

१० - शिक्षा संस्थानों में अनेक तिकड़मों के द्वारा सरकारी ग्रांट्स का दुरुपयोग करना व विद्यार्थियों से ज़बर्दस्ती ऊँची फीस वसूल करना और इस प्रकार धन कमाना भी तो काला धन ही माना जायेगा !

शायद काले धन के और भी अनेक रूप हैं जिन तक पहुँच पाना मेरे लिये संभव नहीं हो पा रहा है ! अपने सुधी पाठकों से मेरा निवेदन है वे इस तरह अनैतिक रूप से धन एकत्र करने के प्रचलित तरीकों के बारे में स्वयम भी एक सूची बनाएँ और लोगों को इसकी जानकारी दें !

बस मुझे एक ही चिंता है कि यदि काले रंग के भी इतने सारे शेड हो जायेंगे तो बेचारे हमारे मौचिंग सेंटर के मालिक को काले रंग के शेडों के लिये भी कपड़ों की एक नयी अलमारी बनवानी पड़ जायेगी ! इस बार जाऊँगी तो देखूँगी वहाँ उसके लिये जगह है भी या नहीं !

साधना वैद

बरगद


http://atulshrivastavaa.blogspot.com

सेकंड,
मिनट,
घंटा,
दिन,
महीना,
और साल.....।
न जाने
कितने कैलेंडर
बदल गए
पर मेरे आंगन का
बरगद का पेड
वैसा ही खडा है
अपनी शाखाओं
और टहनियों के साथ
इस बीच
वक्‍त बदला
इंसान बदले
इंसानों की फितरत बदली
लेकिन
नहीं बदला  तो
वह बरगद का पेड....।
आज भी
लोगों को 
दे रहा है
ठंडी छांव
सुकून भरी हवाएं.....
कभी कभी
मैं सोचता हूं
काश इंसान भी न बदलते
लेकिन
फिर अचानक
हवा का एक  झोंका आता है
कल्‍पना से परे
हकीकत से सामना होता है
और आईने में
खुद के अक्‍श को देखकर
मैं शर्मिंदा हो जाता हूं

शूर्पणखा काव्य उपन्यास----सर्ग ८-संकेत -भाग दो-- -डा श्याम गुप्त...

Written By shyam gupta on शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011 | 4:29 pm

    
शूर्पणखा काव्य उपन्यास-- नारी विमर्श पर अगीत विधा खंड काव्य .....रचयिता -डा श्याम गुप्त
         
        पिछली पोस्ट - अष्ठम सर्ग..संकेत....के प्रथम भाग --में शूर्पणखा खर-दूषण से अपनी व्यथा कहती है और वे  तुरंत अपराधी को दंड देने के लिए से सहित चल पड़ते हैं , प्रस्तुत है आगे ,.सर्ग ८ का अंतिम भाग दो --- छंद  १४ से २५ तक...
१४-
रघुबर बोले, सौमित्र सुनो,
भीषण निशिचर सेना आती |
सजग रहो सीता को लेकर,
पर्वत गुहा वास में जाओ |
राक्षस संकुल का वध करके,
मुक्त करूँ अब जन-स्थान को ||  
१५-
 निशिचर सेना ने घेर लिया,
चहुँ ओर से आकर रघुपति को |
शोभायमान हो  रहे 'राम,
धनु-बाण चढ़ाए तेजपुंज;
जैसे  मृग-झुंडों  में  कोई,
सिंह-शावक हो विचरण करता ||
१६-
देखी राघव की रूप छटा,
सब सेना ठगी ठगी सी थी |
आश्चर्य चकित थे खर-दूषण,
बोले, यह सुन्दर बालक है|
तीनों लोकों में कभी नहीं ,
ऐसी  सुन्दरता  देखी  है ||
१७-
यद्यपि भगिनी को कुरूप कर,
यह   दंडनीय  अपराधी  है |
फिर भी अति सुन्दर नर-वालक,
मन से वध के अनुरूप नहीं |
भेजो सन्देश  तुरत  मेरा,
उत्तर आकर के बतलाओ ||
१८-
स्त्री को सौंप के दैत्यों को,
अभी क्षेत्र से करें पलायन;
तो ही जीवित बच सकते हैं |
सन्देश सुना जब रघुबर ने,
हंसकर बोले, हे दूत ! सुनो-
कहना जाकर निज नायक से ||
१९-
हम क्षत्री हैं , वन में मृगया-
करना ही  खेल  हमारा है |
तुम जैसे दुष्ट मृग-दलों को,
हम सदा  खोजते  रहते हैं |
चाहे काल स्वयं सम्मुख हो,
नहीं  युद्ध से  डरते हैं  हम ||
२०-
भयभीत युद्ध से यदि हो तो,
लौट घरों को जा सकते हो |
नहीं कभी मैं वध करता हूँ ,
समर-विरत यदि रिपु होजाए |
रिपु से दया, कपट चतुराई ,
हैं  भयभीत ही  सदा करते ||
२१-
क्रोधित होकर खर-दूषण ने,
सेना को  आदेश  देदिया |
जीवित सबको लेकर आओ,
स्वयं करेंगे हम बध उनका |
विविध भाँति के अस्त्र-शस्त्र ले,
दौड़े  निशिचर  भरे  क्रोध में ||
२२-
राघव की  धनु-टंकार सुनी- 
सारी सेना दिग्भ्रमित हुयी |
रिपु समझें  एक-दूसरे को,
आपस में लड़कर नष्ट हुयी |
चहुँ और से वनवासी,वनचर,
तीरों  की  वर्षा  करते  थे ||
२३-
खर-दूषण-त्रिशिरा सहित सभी,
नायकों को,  दस -दस वाणों से;
यमलोक   राम ने  पहुंचाया |
देवों ने  अति हर्षित   होकर,
सुमन-वृष्टि की रघुनन्दन पर ;
रिपु दल नष्ट हुआ था सारा ||
२४-
राक्षस संकुल के विनाश  पर,
 जन-आशा   का  संचार हुआ|
लक्ष्मण भी सिय सहित आगये ,
कर  चरण वन्दना  हर्षित  थे |
रघुवर छवि निरखि निरखि सीता,
मन ही मन  आनंदित  होतीं  ||
२५-
निशिचर सेना के विनाश से,
आतंकित होकर  शूर्पणखा ;
लंका की और  चली जाती |
संकट है  आसन्न  देश पर,
सूचना  दशानन  को  देने;
बदला  लेने  को  उकसाने ||    ---क्रमश:  नवम  व अंतिम सर्ग --परिणति ...




इनाम महाघोटाले के छल का शिकार, चर्चित युवा ब्लॉगर सलीम ख़ान Interview (Hot News)


me
अस्सलामु अलैकुम !
स्वच्छ
ws
Sent at 8:12 AM on Friday
me
जनाब सलीम ख़ान साहब ! हिंदी ब्लॉगर्स को परिकल्पना समूह की तरफ़ वर्ष 2010 में ईनाम दिये जाने की जो घोषणा हुई थी, क्या उसमें आपका नाम मौजूद था ?
Sent at 8:14 AM on Friday
स्वच्छ
नहीं, मैंने देखा था लेकिन मेरा उसमें कहीं भी नाम नहीं है जबकि मैं पिछली मर्तबा आयोजकों में से था
Sent at 8:15 AM on Friday
me
आपको किस शीर्षक के अंतर्गत ईनाम दिया जा रहा था ?
स्वच्छ
मुझे  वर्ष  के  सर्वाधिक  चर्चित  ब्लॉगर  अंतर्गत   ईनाम  दिया गया  था. 
Sent at 8:18 AM on Friday
me
अब जो नई सूची हिंदी ब्लॉगर्स के सामने पेश की जा रही है, क्या उसमें आपका नाम मौजूद है ?
स्वच्छ
nahin
me
तो क्या आप यह कहना चाहते हैं कि इस सम्मान समारोह के आयोजकों ने ईनाम की मूल सूची ही बदल डाली है ?
स्वच्छ
पिछली मर्तबा जब घोषणा हुई थी उसमें मेरा नाम सर्वाधीक चर्चित ब्लॉगर में नाम था और मैं संयोजकों में से था मगर अबकी लिस्ट में मेरा नाम ही ग़ायब है
me
आप क्या समझते हैं कि आपके साथ ऐसा क्यों किया गया ?
Sent at 8:22 AM on Friday
स्वच्छ
मुझे नहीं मालूम, मगर कहीं न कहीं गहरी साज़िश  हुई है. रविन्द्र मेरे सहयोगियों में से हैं, मेरे ही शहर के ही हैं, लखनऊ ब्लॉगर्स एसोशियेशन और परिकल्पना व लोक संघर्ष के बैनर तहत उक्त इनमता दिया जा रहा था जिसके सर्वेसर्वा रविन्द्र थे और मुझे सम्मान भी मिला. बा जब इनाम की बात हो रही है तो उसमें मेरा नाम ही नहीं है.
me
सुना है कि परिकल्पना समूह वाले श्री रवीन्द्र प्रभात जी लखनऊ के नहीं हैं लेकिन उन्हें लखनऊ के लोगों ने हर तरह से सम्मान दिया है, तब उन्होंने लखनऊ के ही एक आदमी का नाम सम्मान सूची से क्यों निकाल दिया ?
Sent at 8:24 AM on Friday
स्वच्छ
हाँ, मूल रूप से वह लखनऊ के नहीं है. और मेरे द्वारा  लखनऊ ब्लॉगर्स एसोशियेशन के अध्यक्ष  बनाये  जाने  के पूर्व  उन्हें  कम  ही लोग  जानते  थे.
हाँ, मूल रूप से वह लखनऊ के नहीं है. और मेरे द्वारा लखनऊ ब्लॉगर्स एसोशियेशन के अध्यक्ष बनाये जाने के पूर्व उन्हें कम ही लोग जानते थे.
me
क्या आपको हिंदी ब्लॉगर्स को दिए जा रहे सम्मान समारोह में आने के लिए निमंत्रित किया गया है ?, किसी तरह का कोई निमंत्रण पत्र आपको दस्ती या फिर ईमेल से भेजा गया हो, जैसा कि सभी हिंदी ब्लॉगर्स को भेजा गया है ?
स्वच्छ
नहीं मुझे कोई निमंत्रण नहीं मिला
Sent at 8:29 AM on Friday
स्वच्छ
आखिर किस मुहँ से वो मुझे निमंत्रित करते.  उनके इस निंदनीय कृत्य के पीछे उनके सीने में तो पूर्वाग्रह बसा है
me
बड़े ताज्जुब की बात है ख़ान साहब। क्या कभी श्री रवीन्द्र प्रभात जी ने आपको फ़ोन भी नहीं किया बुलाने के लिए ?
स्वच्छ
नहीं
Sent at 8:31 AM on Friday
me
क्या आपने उनके साथ कभी अशिष्ट व्यवहार किया ? या उनका कोई हक़ आपने मारा हो ? क्या कभी उन्होंने आपसे आपके किसी व्यवहार की कोई शिकायत की ? जिससे आपके प्रति उनकी नाराज़गी का पता चलता हो।
Sent at 8:33 AM on Friday
स्वच्छ
नहीं ऐसा सलीम कर ही नहीं सकता. मैं सदैव सत्य के साथ रहा, व्यक्ति विशेष के प्रति लगाव मेरा तभी रहा जब वह सत्य पर हो. मैंने रविन्द्र जी का कभी कोई हक नहीं मारा बल्कि वे तो स्वयं ही लखनऊ ब्लॉगर्स एसोशियेशन का दामन छोड़ कर भाग गए.
और आज तक न फ़ोन किया और न ही कोई मेल. इसे आप क्या कहेंगे भगौड़ा और क्या?, 
लेकिन मैं उन्हीने भगौड़ा नहीं कहूँगा
me
चलिए श्री रवीन्द्र जी ने आपको निमंत्रित नहीं किया न सही लेकिन श्री अविनाश वाचस्पति जी तो आपको नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते, क्या उन्होंने भी आपको नहीं बुलाया

स्वच्छ
श्री अविनाश वाचस्पति जी  ने कोई निमंत्रण नहीं दिया और न ही फोन  किया.  श्री अविनाश वाचस्पति जी  का मैं सम्मान करता हूँ, chat  पर कई मर्तबा बात हुई जिसमें उन्होंने जीवन में कभी भी किसी भी ब्लॉग पर या अपने ब्लॉग पर टिपण्णी न करने की कसमें खाईं थीं और मैंने उन्हीने समझाया था.
me
अगर दोनों ने ही आपको इतने चर्चित सम्मेलन में नहीं बुलाया है तो क्या यह हिंदी ब्लागर्स के दरम्यान गुटबाज़ी को रेखांकित नहीं करता ?
Sent at 8:39 AM on Friday
स्वच्छ
यकीनन ऐसा ही है क्यूंकि अगर ऐसा नहीं होता तो वे मुझे अवश्य बुलाते अथवा सम्मान देते. हालंकि मैं सम्मान का भूखा नहीं. क्यूंकि न जाने कितने ब्लॉगर्स इस लिस्ट में शामिल नहीं. लेकिन मेरी शिकायत यह है की मैन्न्स्वयम आयोजकों में से था. और मेरा ही नाम ग़ायब है ये तो ऐसे ही हुआ की अपने शादी के कार्ड में अपने बाप का नाम ही नहीं लिखा.
मैन्न्स्वयम= मैं स्वयं
Sent at 8:43 AM on Friday
me
क्या आपने किसी पोस्ट के माध्यम से यह सब ब्लॉग जगत को कभी बताया है ?
क्या आम हिंदी ब्लॉगर यह सब जानता है कि आपके साथ यह सब अन्याय किया गया
?
Sent at 8:45 AM on Friday
स्वच्छ
नहीं मेरी ऐसी आदत नहीं है लेकिन जब अपने मुझसे पूछा तो बता दिया. अब आम ब्लॉगर्स को तो पता चलना ही चाहिए की ब्लॉग जगत में भी गुटबाजी चल रही है
me
कोई संदेश जो आप ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ के माध्यम से हिंदी ब्लॉग जगत को देना चाहें ?
Sent at 8:47 AM on Friday
स्वच्छ
जी हाँ, ब्लॉग जगत को सीधी राह पर और सार्थक सन्देश देने के नाम पर जो इनाम की बंदरबांट हुई है वह वाकई चिंतनीय है हिंदी ब्लॉग जगत के हित में नहीं है. यहाँ सब नेताओं की तरह मौक़ापरस्त  हो गए हैं. जब सलीम नाम की सीढ़ी की ज़रूरत थी तो आयोजक बना कर चर्चा में आ गए. जब सलीम की ज़रुरत थी तो साइंस ब्लॉग में उसे शामिल किया फिर लिखने की पॉवर ही छीन ली. यह सब क्या है???? लेकिन मैं इन्तिज़ार करूँगा और प्रयासरत भी रहूँगा हिंदी की सेवा के लिए. आपने मुझे तीसरी बार जगाया है हिंदी सम्मान कीई घालमेल से अवगत कराया. वैसे मैं अवगत कराऊंगा. लगता है इसीलिए मुझे हमारिवानी से निकलवा दिया और मेरे ही चेले शाहनवाज़ को मेरे खिलाफ कर दिया.
Sent at 8:51 AM on Friday
me
ख़ान साहब ! आपका शुक्रिया कि आपने अपना क़ीमती समय हमारे ‘वर्चुअल न्यूज़पेपर‘ को दिया।
स्वच्छ
शुक्रिया
me
ख़ान साहब ! जो सच आज तक हिंदी ब्लॉग जगत से छिपा रहा है, उसे ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ हिंदी ब्लॉगर्स के सामने रखकर यह ज़रूर पूछेगा कि आप सभी विचारशील लोग हैं, सारे हालात को सामने रखकर सोचिए कि ब्लॉगिंग के नाम पर गुट बनाना और अपनी रंजिंशें निकालना ब्लॉग जगत को किस ओर ले जा रहा है ?
ऐसे लोगों को मार्गदर्शक और सिरमौर बनाना ‘हिंदी ब्लॉगिंग के भविष्य‘ के लिए फ़ायदेमंद कहा जाएगा या फिर घातक ?
bye
Khuda Hafiz
स्वच्छ
यकीन एक डॉक्टर के ओपरेशन की माफिक फायदेमंद होगा'
Sent at 8:54 AM on Friday
स्वच्छ
चलते चलते मैं आपको यह भी बता दूं कि http://utsav.parikalpnaa.com/ पर अभी भी मेरा नाम आयोजन समिति में चमक रहा है
Sent at 8:56 AM on Friday
me
आपने यह भी एक हैरतअंगेज़ तथ्य उजागर किया है। आपके इंटरव्यू के लिए हम आपके शुक्रगुज़ार हैं।
Sent at 8:57 AM on Friday
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तो साहिबान ! जो सच अब तक था पर्दे के पीछे, अब वह आ चुका है मंज़रे आम पर, आप सबके सामने। एक ऐसा सच जिसे कहने से टालते रहे जनाब सलीम ख़ान साहब आज तक और जो लोग उनके साथ अन्याय करते रहे उन्होंने भी यह सच आपके सामने आने नहीं दिया आज तक। 
यह है आज हिंदी ब्लॉगिंग का नंगा सच, जिसे आप देख पा रहे हैं ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ पर। पहला वर्चुअल समाचार पत्र, जो आपको बाख़बर रखता है हिंदी ब्लॉगिंग के सच से, सच जो कड़वा होता है, सच जो असहनीय होता है, लेकिन सच ही अमृत होता है। हिंदी ब्लॉगिंग की आत्मा का हनन हो नहीं सकता जब तक कि सच बोलने के लिए ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ मौजूद है और इसके ज़रिये सच जानने के ख्वाहिशमंद ब्लॉगर्स मौजूद हैं।
जनाब सलीम ख़ान साहब को सर्वाधिक चर्चित ब्लॉगर के शीर्षक के तहत पुरस्कृत किया जा रहा था और अब उनका चर्चा कहीं भी नहीं है ?
जबकि उनका नाम आयोजन समिति में अब भी चमक रहा है। जिसका फ़ोटो भी आप देख सकते हैं और दिए गए लिंक पर जाकर प्रमाणित भी कर सकते हैं।
जिन ब्लॉगर्स को सम्मानित किया जा रहा है, उनमें से अधिकतर ने हिंदी ब्लॉगिंग को अपना यादगार योगदान दिया है। उनका हम भी सम्मान करते हैं। उनका काम ही उनका सम्मान है, उनके काम को सम्मान मिलना ही चाहिए लेकिन सम्मान की आड़ में व्यक्तिगत रंजिंशें निकालना कहां तक उचित है ?
आज यही सवाल हम सबके सामने है।
विचारशील ब्लॉगर्स विचार करें कि अपने व्यापार के लिए, अपनी लिखी किताब की पब्लिसिटी के लिए सम्मानित ब्लॉगर्स को अपनी तुच्छ रंजिश और अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल करना कहां तक उचित है ?
अपना जवाब आप टिप्पणियों के माध्यम से खुलकर दें ताकि आइंदा आयोजित होने वाले कार्यक्रम गंदी गुटबाज़ी के मनहूस साये से दूर रहें।
ऐसी ही रोचक और खोजपूर्ण रिपोर्ट लाता रहेगा ब्लॉग की ख़बरें‘
हिंदी ब्लॉग जगत का सबसे पहला और सबसे विश्वसनीय अख़बार
जो लिखता सदा सच ।
जय हिंद ! 
(यह इंटरव्यू Chat पर लिया गया ताकि संदेह की कोई गुंजाइश ही न रहे.)     

रूहें यहाँ जली काया जो हो अधमरी आह भरती है

Written By Surendra shukla" Bhramar"5 on गुरुवार, 28 अप्रैल 2011 | 10:48 pm




 हे मन-मोहन -मन को मोहो
माया अपनी छोडो !!
 अरे सोणिये से जा कह दे 
बहू हमारी गृह लक्ष्मी है ?? 
तुलसी-राम के आँगन आई !
इस धरती की आज वेदना -दर्द हमारा
चिट्ठी पाती -रचना लेख
वहीँ से पढ़ ले !!

जन-जागरण से जुडी रहे वो 
एक चिट्ठी तो नाम हमारे 
अपने मन की महिमा सारी
मन आये जो कभी तो लिख दे

"शांति" रहे भूषण -आभूषण 
कितने  -रोज हमें  मिल जाएँ
अन्ना -अन्न- हमारा भाई
बिन उसके हम ना जी पायें

तुम अबोध –‘बालक से हो के
प्रेम बीज सच इस धरती पर
दिवस’- निशा संग आ के बो दो

अलका सी तुम अलख जगाओ
प्रात काल  की स्वर्णिम बेला
कमल के जैसे खिल के अपने
भारत को तुम हंसी दिलाओ

जो गरीब -बच्चे-भूखे हैं
पेट भरे -तुम उन्हें पढ़ा दो
हो विनीत आदर्श प्यार से
लाल-बहादुर-बाजपेयी बन
अच्छाई का यश तुम गा दो

राम राज्य का सपना ही न
राम-राज्य ला के दिखला दो
नीलम मोती मणि को गुंथ के
हार बनाओ हाथ मिलाओ
गले मिलाओ-सचिन के जैसे
छक्के -जड़ के विश्व पटल पर
भारत का झंडा फहरा दो !!

रचना – ‘प्रियासे प्रेम बढ़ा के
नारी को सम्मान दिलाओ
दीप-संदीप करो उजियारा
ब्रज-किशोर चाहे हरीश या आशुतोष बन
मंगल धरती मदन अमर कर !!

सेवा भाव सदा ही रखना
माँ का नित ही नमन करो
कोमल-कपिल-दिव्य-मृतुन्जय
विश्वनाथ बन -कंचन -बरसा दो

तू मनीष चाहे सलीम बन
आलोकित- पुलकित -मन कर दे
संगीता- रजनी या मोनिका
गृह लक्ष्मी -शारद  बन जाओ

अख्तर- खान -अकेले बढ़ के
हीरा ढूंढो और तराशो
डंडा चाहे चक्र चला दो

मथुरा में दिव्या क्यों रोती
श्याम उसे तुम न्याय दिला दो
तन्मय हो के –‘राज छोड़ दे
गाँधी का तुम भजन सुनाओ !!
सुशील, ‘चैतन्य ,’रवि या दिनेश हो
धरती को जीवन दे जाओ
हे देवेन्द्र’- कृशन’- गगन पर
सत्यम शिवम् सुंदरम लिख के
मोती अमृत कुछ बरसाओ !!!

आशा- लता -है  कुम्हलाई जो
सींच उसे - कुछ शौर्य सुना दे
गीत - भजन -कुछ ऐसा गा दें  
युवा वर्ग में जोश जगा दे !!


रूहें यहाँ जली काया जो
हो अधमरी आह भरती हैं
प्रेम’- सुधा रस शायद पी के
जी जाएँ कुछ क्रांति करें !!

सोच नयी हो- भाई-चारा
धर्म -जाति-बंधन या भय से
मुक्त हुए सब गले मिले
कहें 'भ्रमर' तब दर्द दूर हो
बिन भय दर्पण जब सब कह दे !!

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
२४.४.२०११ जल पी बी 

Founder

Founder
Saleem Khan