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बड़ा अजीब पीएम है देश का

Written By Barun Sakhajee Shrivastav on शनिवार, 22 सितंबर 2012 | 1:15 pm

प्रधानमंत्री सच कह रहे हैं, किंतु तरीका ठीक नहीं। वे बिल्कुल भी एक जिम्मेदार व्यक्ति की तरह नहीं बोले। न ही एक देश के जिम्मेदार प्रधानमंत्री की तरह ही बोले। वे एक प्रशासक और गैर जनता से कंसर्न ब्यूरोक्रैट की तरह बोले। पैसे पेड़ पर नहीं लगते? 1991 याद है न? महंगी कारों के लिए पैसा है डीजल के लिन नहीं? और सबसे खराब शब्द सिलेंडर जिसे सब्सिडी की जरूरत है वह 6 में काम चला लेता है और गरीबों के लिए कैरोसीन है? अब जरा पीएम साहेब यहां भी नजर डालिए। देश में गरीबों को कैरोसीन मिलता कितना मशक्कत के बाद है और मिलता कितना है यह भी तो सुनिश्चि कीजिए। सिलेंडर जो यूज करते हैं वह 6 में काम चला लेते हैं, तो जनाब क्या यह मान लें कि गरीब कम खाते हैं या फिर मध्यम वर्ग कभी अपनी लाचारी और बेबसी से बाहर ही न आ पाए। सिलेंडर पर अगर आप कर ही रहे हैं कैपिंग तो इसके ऊपर के सिलेंडर एजेंसियों के चंगुल से मुक्त कर दीजिए। पीएम साहब1991 याद दिलाकर देशपर जो अहसान आप जता रहे हैं, वह सिर्फ आपका अकेले का कारनामा नहीं था। और ओपन टू ऑल इकॉनॉमी की ओर तो भारत इंदिरा गांधी के जमाने से बढ़ रहा था। 1991 से पहले जैसे जिंदगी थी ही नहीं? जनाब जरा संभलकर बोला कीजिए। पैसे पेड़ पर नहीं उगते यह एक ऐसी बात है जो किसी को भी खराब लग सकती है। ममता को रिडिक्यूल कीजिए, जनता को नहीं। यूपीए आप बचा लेंगे मगर साख नहीं बचा पाएंगे। और पैसे तो पेड़ पर नहीं लगते कुछ ऐसा जुमला है जो गरीब या भिखारियों को उस वक्त दिया जाता है जब वे ज्यादा परेशान करते हैं, क्या जनता से पीएम महोदय परेशान हो गए हैं। जब भी किसी विधा का शीर्ष उस विधा का गैर जानकार व्यक्ति बनता है तो उस विधा को एक सदी के बराबर नुकसान होता है। मसलन नॉन आईपीएस को डीजीपी, नॉन जर्नलिस्ट को एडिटर, नॉन एक्टर को फिल्म का मुख्य किरदार बना दिया जाए। वह उद्योग सफर करता है जिसमें ऐसी शीर्ष होते हैं। और हुआ भी यही जब पीएम डॉ. मनमोहन सिंह बनाए गए? - सखाजी
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10 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!

virendra sharma ने कहा…

rपरम सखा जी !बना तल्खी खाए दो टूक कह गए प्रधान मंत्री की रिमोटिया रोबो अवस्था के बारे में .एक कीर्तिमान बना .मौन सिंह बोले .

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

और अगर पैसे पेड़ पर लग रहे होते तो ये ही लोग उस पर बैठ कर
तोड़ रहे होते । उस समय पी एम साहब का जवाब होता । अब पेड़ पर पैसे लग रहे हैं तो क्या पेड़ जनता को दे दें ?

Rajesh Kumari ने कहा…

बिलकुल सही सार्थक लिखा है आपने सहमत हूँ

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

वीरेंद्र जी। यह बात एकदम सही जान पड़ती है कि प्रधानमंत्री का पद राष्ट्रपति की तरह तो है नहीं, जो कलाम या अंसारी के हवाले कर दें। यह विशुद्ध राजनैतिक और जिम्मेदार जवाबदेह पद है। प्रेसिडेंट की तरह सम्मान पाने के लिए नहीं। तब यहां पर गैर राजनैतिक व्यक्ति का बैठना ही गलत है। कमेंट के लिए बहुत शुक्रिया।

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

सुशील जी। सही कहा आपने। कांग्रेस जब भी एक पंचक से ज्यादा राज करती है, तो यह अपना एरोगेंस दिखाने लगती है। ऐसा ही हुआ था मध्यप्रदेश में भी 10 साल के राज में दिगविजय थे सीएम जब। यह एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में ठीक नहीं, तो वहीं भाजपा का कमजोर होने और भी ज्यादा देश के लिए नुकसानदेह है। कमेंट की लिए बहुत शुक्रिया।

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

राजेश जी। कांग्रेस के खिलाफ माहौल पूरे देश में दो चार दशकों बाद ऐसा बना है। मगर मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि लोगों के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है? धन्यवाद सहमत होने और सहमती भरा कमेंट देने के लिए।

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

श्री मयंक जी बहुत शुक्रिया, मुझे इस बारे में सूचित किया। यह बहुत ही अच्छा रहा मेरे लिए।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति,,,,आपने सही कहा,,

RECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता,

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

धन्यवाद श्री धीरेंद्र जी। बहुत बढिय़ा समय ठहर उस पल जाता.।

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