Life is Just a Life - Neeraj Dwivedi: गीत - तरस रहीं दो आँखें Taras Rahin Do Ankhein:
तरस रहीं दो आँखें बस इक अपने को
मोह नहीं छूटा जीवन का,
छूट गए सब दर्द पराए,
सुख दुख की इस राहगुजर में,
स्वजनों ने ही स्वप्न जलाए,
अब तो बस कुछ नाम संग हैं, जपने को।
कब से तरस रहीं दो आँखें, अपने को।
जर्जरता जी मनुज देह की, ....
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