कहते है जो बीत गया सो बीत गया हम लोगों को उस से छोड़ कर आगे बढ़ना चाहिए शायद इसलिए ऊपर वाले ने भी हमको हमारी दोनों आँखें हमारे सर के पीछे न दे कर आगे चेहरे पर दी हैं ताकि हम चाह कर भी हमेशा के लिए या ज्यादा लम्बे समय के लिए अपने अतीत को ना देख सकें हालाँकि यह बात अलग है की यह ज़रूरी नहीं है की हर किसी का अतीत बुरा ही हो। लेकिन सवाल यह उठता है की अतीत चाहे अच्छा हो या बुरा हो हम चाह कर भी उस में लौट नहीं सकते अगर बुरा हो तो भी उस में वापस लौट कर सुधार नहीं किया जा सकता और यदि अच्छा हो सुखद हो तो भी उस में लौट कर उस को दुबारा जिया नहीं जा सकता। लोग कहते हैं यादें जिसकी जैसी भी हों होंठों पर मुसकान ले ही आती हैं मगर मेरा मानना है की यादें, यदि मुसकान लाती हैं तो उस के साथ-साथ उस पल के बीत जाने का ग़म भी साथ लाती हैं जिस पल ने उन्हें यादें बना दिया।
यादें एक ऐसा शब्द जिसमें न जाने कितनी गहराई छुपी हुई है। यादें जो खट्टी भी होती हैं और मीठी भी जीवन से जुड़ा सब से अटूट और महत्वपूर्ण रिश्ता होती हैं यह यादें जिसे कभी नहीं झूठलाया जा सकता। कोई साथ निभाये या ना निभाये, मगर हमेशा साथ निभाती हैं, यह यादें। कई बार यूँ भी होता है कि आप अपने जीवन में कुछ यादों से भागना चाहते हो, मगर तब भी आपका साथ नहीं छोड़ती यह यादें सच्चे जीवन साथी की तरह हमेशा साथ निभाती हैं यह यादें। न जाने कितने जज़्बातों का समंदर होती हैं यह यादें, जिसमे यह दिल की कश्ती डूबती, संभालती बस जीवन चक्र की भाति चलती ही चली जाती है। यादों के समंदर में जज़्बातों का सैलाब भी किस क़दर समाया हुआ होता है। जैसे किसी के लंबे इंतज़ार का जज़्बा, मानो यादों मे भी कभी खत्म नहीं हुआ होता। वो किसी खास का इंतज़ार, वो महकता हुआ तो, कभी सुलगता हुआ इंतज़ार,वो बचपन के दिन यहाँ मुझे याद आती हैं (जगजीत सिंग जी) की गाई हुई एक मशहूर गजल “यह दौलत भी लेलो, यह शोहरत भी लेलो, मगर मुझ को लौटा दो बचपन की यादें वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी” तो कभी पहले प्यार का, पहले मिलन का कुतूहल भरा इंतज़ार जिसमे ऐसा लगता है मानो मिलन कि घड़ी में सदियाँ बीत रही हों। एक पल जैसे एक-एक वर्ष के समान प्रतीत होने लगता है
इसी मिलन से जुड़ा एक वाक़या जो मेरी यादों में बसा है। आज आपको सुनती हूँ।
दो प्रेमी हुआ करते थे एक प्यारा सा लड़का और एक खूबसूरत सी शोख़ लड़की दोनों के नाम आप अपनी पसंद के अनुरूप रख सकते हैं J दोनों में प्यार हुआ प्यार का इज़हार भी हुआ। मिलने का दिन तय हुआ और जब घड़ी मिलन की आई तब जैसे दोनों का वक्त काटे नहीं कट रहा था। लड़का, लड़की के शहर से बहार रहा करता था। जिस दिन दोनों ने मिलने का तय किया उस दिन दोनों के ही मन मे तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे। मन ही मन दोनों यह सोच रहे थे कि जब सामना होगा महबूब से तो क्या कहेंगे एक दूसरे से शुरुवात कहाँ से होगी कैसे होगी। इस ही कुतूहल के चलते लड़की का मोबाइल बाजा और लड़के का SMS आया में स्टेशन पहुँच गया हूँ थोड़ी देर में आता हूँ। यह देख लड़की का मन था उछाल गया मारे ख़ुशी के वो बोल पड़ी थोड़ी देर में क्यूँ? जब आही गये हो तो आ भी जाओ ना जैसे भी हो अभी चले आओ लड़का ने कहा नहीं तुम्हारे घर आना है मुझे ऐसे ही नहीं आ सकता थोड़ा समय लगेगा खुद को ठीक-ठाक तो कर लू, लड़की ने जैसे तैसे खुद का दिल थाम लिया और घर के बाहर जाकर उसका इंतज़ार करने लगी तभी थोड़ी देर में पास आता एक आटो देख कर लड़की का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। और जब उस में से उसका राजकुमार उतरा तो दोनों का चहरा देखने लायक था। मारे ख़ुशी के लड़की का मन किया कि गले लगा ले अपने राजकुमार को ताकि उसे यक़ीन आ जाये की यह सपना नहीं हक़ीक़त है।
मगर मुहौले वालों के डर ने उसे ऐसा करने न दिया और लड़के का मन किया की वो बस एक बार लड़की को छु भर ले ताकि उसे भी यह यक़ीन आ सके की यह भ्रम नहीं हक़ीक़त है लड़का लड़की को बस पूरे समय अपनी आँखों के सामने देखना चाहता था उसे छु कर महसूस करना चाहता था। दोनों घर के अंदर गए मुहब्बत् के इक़रार के बाद भी दोनों की हालत ऐसी थी मानो अभी तक इज़हार ही न हुआ हो लड़की ने लड़के दिल की बात समझते हुए लड़के से एक बे मतलब की शर्त लगाई ताकि लड़का लड़की का हाथ थाम सके उसे छु सके, महसूस कर सके और जैसे ही लड़की का हाथ लड़के हाथों मे आया तो लड़की ने कहा इतनी घबराहट क्यूँ हो रही है तुमको की तुम्हारी धड़कने चल नहीं दौड़ रही है। लड़के ने अचंभित होकर पूछा तुम को कैसे पता की मेरी धड़कन बहुत तेज़ है। लड़की ने कहा मैंने प्यार किया है तुम से तुम्हारे हाथों से भी मैं तुम्हारी दिल की धड़कन को महसूस कर सकती हूँ और तभी लड़के ने लड़की से कहा की मैं भी एक बार अपने प्यार को महसूस करना चाहता हूँ और दूजे ही पल दोनों एक दूसरे के आग़ोश में ऐसे खो गये जैसे पानी में रंग, हवा में ख़ुशबू, लहरों में समंदर।
आज भी जब यह किसा यादों में याद आता है। होठों पर एक शरारत भरी मुसकान उभर कर आती है यादों में भी यादों की कश्ती दूर तलक ले जाति है।.....
9 टिप्पणियाँ:
Bahut hi acchhi aur saarthak prastuti.. Aabhar..
anilavtaar.blogspot.com
ji bahut hi sundar kaha aap ne
शुक्रिया अनिल जी, एवं विद्या जी आपका भी की आपने मेरी इस रचना को पसंद किया :)कृपया समपर्क बानये रखें.... धन्यवाद
बहुत मीठी कहानी
bhaut sundar kahani
vikasgarg23.blogspot.com
bahuta achi or sunadar prastuti...................
आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली(७) के मंच पर प्रस्तुत की गई है/आपका मंच पर स्वागत है ,आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें ,यही कामना है / आप हिंदी ब्लोगर्स मीट वीकलीके मंच पर सादर आमंत्रित हैं /आभार/
nice
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