निजी क्षेत्र में सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों के नाम पर लूट-मार जारी है. हालांकि अपवाद स्वरुप कुछ अच्छे अस्पताल और अच्छे डॉक्टर भी होते हैं , जिनमे परोपकार और समाज सेवा की भावना जीवित है ,लेकिन अधिकाँश अस्पतालों की व्यवस्था देखकर लगता है कि मानवता खत्म हो गई है .अपने एक मित्र के बीमार पिताजी को देखने एक ऐसे ही स्वनाम धन्य अस्पताल गया तो मित्र ने बताया --- इस अस्पताल के डॉक्टरों की आपसी बातचीत अगर सुन लें तो आपको डॉक्टर और हैवान में कोई अन्तर नज़र नहीं आएगा .ये डॉक्टर अपने लंच टाईम में आपसी चर्चा में मरीजों को क्रिकेट का 'विकेट' कहते हैं. .एक डॉक्टर दूसरे से कहता है -आज चार विकेट आए थे ,एक विकेट गिरा है .
दरअसल सुपर स्पेशलिटी में स्पेशल बात ये होती है कि वहाँ किसी गंभीर
मरीज को ले जाने के बाद सबसे पहले बिलिंग काऊंटर में बीस-पच्चीस या पचास
हजार रूपए जमा करवा लिए जाते हैं . उसके बाद शुरू होता है असली लूट -खसोट
का सिलसिला . मरीज को आई.सी. यू .में भर्ती करने के बाद तरह-तरह के मेडिकल
टेस्ट करवाने और हर दो -चार घंटे बाद नई -नई दवाइयों की लिस्ट उसके परिजन
को थमा दी जाती है .उसी अस्पताल के परिसर में अस्पताल मालिक का मेडिकल
स्टोर भी होता है .यह मरीज के घर के लोगों के लिए सुविधा की दृष्टि से तो
ठीक है ,लेकिन वहाँ दवाईयां मनमाने दाम पर खरीदना उनकी मजबूरी हो जाती
है.मरीज को छोड़कर ज्यादा दूर किसी मेडिकल स्टोर तक जाने -आने का जोखिम
उठाना ठीक भी नहीं लगता . खैर किसी तरह अगर दवाई खरीद कर डॉक्टर को दे दी
जाए तो उसके बाद यह पता भी नहीं चलता कि उन सभी दवाइयों का इस्तेमाल मरीज
के लिए किया गया है या नहीं ?गौर तलब है कि आई.सी. यू. में मरीज के साथ हर
वक्त उसके परिजन को मौजूद रहने की अनुमति नहीं होती .उसे बाहर ही बैठकर
इन्तजार करना होता है .वह बड़ी व्याकुलता से समय बिताता है. उसे केवल
आई.सी.यू. में दाखिल अपने प्रियजन के स्वास्थ्य की चिन्ता रहती है,लिहाजा
डॉक्टर से कई प्रकार के मेडिकल टेस्ट का और मरीज के लिए खरीदी गयी दवाइयों
के उपयोग का हिसाब मांगने की बात उसके मन में आती ही नहीं. इसका ही बेजा
फायदा उठाते हैं कथित सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों के मालिक और डॉक्टर .वैसे
इस प्रकार के ज्यादातर अस्पतालों के मालिक स्वयं डॉक्टर होते हैं .सरकार तो
जन-कल्याण अच्छे इरादे के साथ गरीब परिवारों को स्मार्ट -कार्ड देकर उन्हें
सालाना एक निश्चित राशि तक निशुल्क इलाज की सुविधा देती है यह सुविधा
पंजीकृत अस्पतालों में दी जाती है ,लेकिन वहाँ डॉक्टर कई स्मार्ट कार्ड
धारक परिवार के किसी एक सदस्य के एक बार के इलाज में ही अनाप-शनाप खर्च
बताकर स्मार्ट कार्ड की पूरी राशि निकलवा लेते हैं.
दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी अस्पताल हैं ,जहां गंभीर से गंभीर बीमारियों का मुफ्त इलाज होता है.जैसे - नया रायपुर और पुट्टपर्थी स्थित श्री सत्य साईसंजीवनी अस्पताल ,जहां जन्मजात ह्रदय रोगियों का पूरा इलाज और ऑपरेशन मुफ्त किया जाता है .यह एक ऐसा अस्पताल है ,जहाँ कोई बिलिंग काऊंटर नहीं है. मरीजों के और उनके सहायकों के लिए भोजन और आवास की व्यवस्था भी निशुल्क है .-स्वराज्य करुण
दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी अस्पताल हैं ,जहां गंभीर से गंभीर बीमारियों का मुफ्त इलाज होता है.जैसे - नया रायपुर और पुट्टपर्थी स्थित श्री सत्य साईसंजीवनी अस्पताल ,जहां जन्मजात ह्रदय रोगियों का पूरा इलाज और ऑपरेशन मुफ्त किया जाता है .यह एक ऐसा अस्पताल है ,जहाँ कोई बिलिंग काऊंटर नहीं है. मरीजों के और उनके सहायकों के लिए भोजन और आवास की व्यवस्था भी निशुल्क है .-स्वराज्य करुण
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