तुम अगर विश्वास की किरण न देते तो राह में खो जाता इंसान.
तुम अगर रिश्तेदारो से हमसफ़र न देते तो अकेला रह जाता इंसान.
तुम अगर मुश्किल भरे दिन न देते तो तुम को भूल जाता इंसान.
तुम अगर खुशियों भरे उत्सव न देते तो जीवन के सारे तत्व भूल जाता इंसान.
तुम अगर साहस न देते तो इतनी ताकत कहाँ से लाता इंसान.
तुम अगर हरा भरा जहाँ न देते तो कबका विलुप्त हो जाता इंसान.
तुम अगर गीता कुरान जैसे ग्रन्थ न देते तो बहक जाता इंसान.
तुम अगर इतने अवतार न लेते तो जीवन का सार कैसे जान पाता यह इंसान।
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6 टिप्पणियाँ:
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|
सुन्दर प्रस्तुति ...
वंदना जी आपका आभार चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए....
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Patali-The-Village जी आपका धन्यवाद|
संगीता स्वरुप जी धन्यवाद|
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Thanks for your valuable comment.