नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » » ग़ज़लगंगा.dg: उसने चाहा था ख़ुदा हो जाए

ग़ज़लगंगा.dg: उसने चाहा था ख़ुदा हो जाए

Written By devendra gautam on शनिवार, 13 दिसंबर 2014 | 12:43 pm

उसने चाहा था ख़ुदा हो जाए

सबकी नज़रों से जुदा हो जाए.
उसने चाहा था ख़ुदा हो जाए.

चीख उसके निजाम तक पहुंचे
वर्ना गूंगे की सदा हो जाए.

अपनी पहचान साथ रहती है
वक़्त कितना भी बुरा हो जाए.

थक चुके हैं तमाम चारागर
दर्द से कह दो दवा हो जाए.

उसके साए से दूर रहता हूं
क्या पता मुझसे खता हो जाए.

कुछ भला भी जरूर निकलेगा
जितना होना है बुरा हो जाए.

होश उसको कभी नहीं आता
जिसको दौलत का नशा हो जाए.

घर में बच्चा ही कहा जाएगा
चाहे जितना भी बड़ा हो जाए.

-देवेंद्र गौतम

Read more: http://www.gazalganga.in/2014/12/blog-post.html#ixzz3Ll9YpXwSग़ज़लगंगा.dg: उसने चाहा था ख़ुदा हो जाए
Share this article :

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.