अधिकांश रूप से धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत का भी विधान होता है और उसका कारण यह है कि प्रदोष व्रत द्वादशी तिथि में आरम्भ होता है और त्रयोदशी तिथि में व्रत का परायण होता है. सांय काल 6 बजकर 2 मिनट पर त्रयोदशी तिथि आरंभ होने के कारण आज शनि प्रदोष व्रत किया जा रहा है. धनतेरस त्रयोदशी तिथि में मनाया जाता है और त्रयोदशी तिथि सांय काल में 6 बजकर 2 मिनट से आरंभ हो रही है. जो कि कल दिनाँक 23 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 3 मिनट तक रहेगी और हिन्दू धर्म में सूर्योदय कालीन तिथि से ही तिथि की मान्यता होती है ऐसे में धनतेरस का पर्व कल दिनाँक 23 अक्टूबर 2022 को ही मनाया जाना सही और मान्य कहा जाएगा किन्तु यदि कोई श्रद्धालु गण रात्री में ही धनतेरस की खरीदारी कर सकते हैं तो वे 22 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 2 मिनट के बाद के ही समय का चयन कर सकते हैं जो कि धार्मिक और मांगलिक दृष्टि से उत्तम और शुभ दायक रहेगा . सभी सनातन धर्मावलंबियों को पांच दिवसीय महापर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹
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द्वारा
शालिनी कौशिक एडवोकेट
अध्यक्ष
मंदिर महादेव मारूफ शिवाला कांधला धर्मार्थ ट्रस्ट (रजिस्टर्ड)
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