आजकल कुत्तों को लेकर बहुत सी उनके द्वारा खतरनाक हमलों को लेकर खबरें सामने आ रही हैं. ऐसे में एक खबर उनकी वफादारी की भी आनी चाहिए और वह भी उस कुत्ते की जो कि सड़क पर, हमारे मोहल्ले में ही रहने वाला है.
एक काला कुत्ता और उसकी भूरी बहन , जिनकी माँ समान मौसी को लगभग 2 वर्ष पूर्व हमारे मोहल्ले में ही एक गाड़ी वाले ने अन्धाधुन्ध ड्राइविंग करते हुए कुचलकर मार डाला था और जो तब बहुत ही छोटे पिल्ले थे , को हम दोनों बहनें थोड़ा सा दूध और शुगर फ्री बिस्कुट खाने के लिए देते रहे और तब से लेकर आज तक वे दोनों पिल्ले बड़े होकर भी हमसे जुड़े रहे. इनमें से काला पिल्ला जो अब बड़ा कुत्ता हो गया है, की वफादारी कल शाम दिखाई दी, जब अंदोसर मन्दिर कांधला में बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम पूर्ण कर हम घर आ गए थे, अंधेरा हो गया था, श्री राम मन्दिर सीता चौक कांधला पर पूजा कार्य पूर्ण कर छोटी बहन डॉ शिखा कौशिक को अपने मोबाइल फोन की याद आई और तब जब वह घर में फोन ढूंढने लगी और फोन नहीं मिला तो उसे याद आया कि फोन पुस्तकालय में रह गया है अंदोसर मन्दिर बंद हो चुका होगा, अब रात भर क्या करें? ठण्ड भी काफी थी इसलिए सडकें भी लगभग खाली थी, क्या किया जाए, बहुत सोचकर मैंने कहा कि चल मन्दिर चलते हैं और हम 7 बजे शाम चल दिये मन्दिर, घर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी है मन्दिर की, कोई रिक्शा नहीं मिला, पैदल ही निकल पड़े, मन्दिर पहुंचे, गेट खोला, शिखा को अपना मोबाइल पुस्तकालय में मिल गया इसी बीच देखा कि वह काला कुत्ता मेरे साथ ही मन्दिर के गेट पर खड़ा था, बहुत हिम्मत बँध गई उसे देखकर और आश्चर्य भी हुआ क्योंकि वह आजतक कभी यहां नहीं आया था, आ भी नहीं सकता था क्योंकि मन्दिर की तरफ के कुत्ते उसे अपने क्षेत्र में आने ही नहीं देते,किन्तु यह उसकी वफादारी थी जो कि वह हमारा पालतू कुत्ता न होते हुए भी निभा रहा था. अंधेरी रात और अकेली सड़क पर उस प्यारे काले कुत्ते ने जो हमारा साथ निभाया उसे हम कभी नहीं भूल सकते, इनकी वफादारी एक मिसाल है और सदैव रहेगी.
Thanks lovely black dog 🙏🙏
शालिनी कौशिक एडवोकेट
कैराना (शामली)