जब उनसे उनके परवरदिगार ने कहा इस्लाम कु़बूल करो तो अजऱ् में की सारे जहाँ के परवरदिगार पर इस्लाम लाया (131)
और इसी तरीके़ की इबराहीम ने अपनी औलाद से वसीयत की और याकू़ब ने (भी) कि ऐ फरज़न्दों खु़दा ने तुम्हारे वास्ते इस दीन (इस्लाम) को पसन्द फरमाया है बस तुम हरगिज़ न मरना मगर मुसलमान ही होकर (132)
(ऐ यहूद) क्या तुम उस वक़्त मौजूद थे जब याकू़ब के सर पर मौत आ खड़ी हुई उस वक़्त उन्होंने अपने बेटों से कहा कि मेरे बाद किसी की इबादत करोगे कहने लगे हम आप के माबूद और आप के बाप दादाओं इबराहीम व इस्माइल व इसहाक़ के माबूद व यकता खु़दा की इबादत करेंगे और हम उसके फरमाबरदार हैं (133)
(ऐ यहूद) वह लोग थे जो चल बसे जो उन्होंने कमाया उनके आगे आया और जो तुम कमाओगे तुम्हारे आगे आएगा और जो कुछ भी वह करते थे उसकी पूछगछ तुमसे नहीं होगी (134)
(यहूदी ईसाई मुसलमानों से) कहते हैं कि यहूद या नसारानी हो जाओ तो राहे रास्त पर आ जाओगे (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि हम इबराहीम के तरीक़े पर हैं जो बातिल से कतरा कर चलते थे और मुशरेकीन से न थे (135)
(और ऐ मुसलमानों तुम ये) कहो कि हम तो खु़दा पर ईमान लाए हैं और उस पर जो हम पर नाजि़ल किया गया (कु़रान) और जो सहीफ़े इबराहीम व इसमाइल व इसहाक़ व याकू़ब और औलादे याकू़ब पर नाजि़ल हुए थे (उन पर) और जो किताब मूसा व ईसा को दी गई (उस पर) और जो और पैग़म्बरों को उनके परवरदिगार की तरफ से उन्हें दिया गया (उस पर) हम तो उनमें से किसी (एक) में भी तफरीक़ नहीं करते और हम तो खु़दा ही के फरमाबरदार हैं (136)
बस अगर ये लोग भी उसी तरह ईमान लाए हैं जिस तरह तुम तो अलबत्ता राहे रास्त पर आ गए और अगर वह इस तरीके़ से मुँह फेर लें तो बस वह सिर्फ तुम्हारी ही जि़द पर है तो (ऐ रसूल) उन (के शर) से (बचाने को) तुम्हारे लिए खु़दा काफ़ी होगा और वह (सबकी हालत) खू़ब जानता (और) सुनता है (137)
(मुसलमानों से कहो कि) रंग तो खु़दा ही का रंग है जिसमें तुम रंगे गए और खुदाई रंग से बेहतर कौन रंग होगा और हम तो उसी की इबादत करते हैं (138)
(ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो कि क्या तुम हम से खु़दा के बारे झगड़ते हो हालाँकि वही हमारा (भी) परवरदिगार है (वही) तुम्हारा भी (परवरदिगार है) हमारे लिए है हमारी कारगुज़ारियाँ और तुम्हारे लिए तुम्हारी कारसतानियाँ और हम तो निरेखरे उसी के हैं (139)
क्या तुम कहते हो कि इबराहीम व इसमाइल व इसहाक़ व आलौदें याकू़ब सब के सब यहूदी या नसारानी थे (ऐ रसूल उनसे) पूछो तो कि तुम ज़्यादा वाकि़फ़ हो या खु़दा और उससे बढ़कर कौन ज़ालिम होगा जिसके पास खु़दा की तरफ से गवाही (मौजूद) हो (कि वह यहूदी न थे) और फिर वह छिपाए और जो कुछ तुम करते हो खु़दा उससे बेख़बर नहीं (140)
और इसी तरीके़ की इबराहीम ने अपनी औलाद से वसीयत की और याकू़ब ने (भी) कि ऐ फरज़न्दों खु़दा ने तुम्हारे वास्ते इस दीन (इस्लाम) को पसन्द फरमाया है बस तुम हरगिज़ न मरना मगर मुसलमान ही होकर (132)
(ऐ यहूद) क्या तुम उस वक़्त मौजूद थे जब याकू़ब के सर पर मौत आ खड़ी हुई उस वक़्त उन्होंने अपने बेटों से कहा कि मेरे बाद किसी की इबादत करोगे कहने लगे हम आप के माबूद और आप के बाप दादाओं इबराहीम व इस्माइल व इसहाक़ के माबूद व यकता खु़दा की इबादत करेंगे और हम उसके फरमाबरदार हैं (133)
(ऐ यहूद) वह लोग थे जो चल बसे जो उन्होंने कमाया उनके आगे आया और जो तुम कमाओगे तुम्हारे आगे आएगा और जो कुछ भी वह करते थे उसकी पूछगछ तुमसे नहीं होगी (134)
(यहूदी ईसाई मुसलमानों से) कहते हैं कि यहूद या नसारानी हो जाओ तो राहे रास्त पर आ जाओगे (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि हम इबराहीम के तरीक़े पर हैं जो बातिल से कतरा कर चलते थे और मुशरेकीन से न थे (135)
(और ऐ मुसलमानों तुम ये) कहो कि हम तो खु़दा पर ईमान लाए हैं और उस पर जो हम पर नाजि़ल किया गया (कु़रान) और जो सहीफ़े इबराहीम व इसमाइल व इसहाक़ व याकू़ब और औलादे याकू़ब पर नाजि़ल हुए थे (उन पर) और जो किताब मूसा व ईसा को दी गई (उस पर) और जो और पैग़म्बरों को उनके परवरदिगार की तरफ से उन्हें दिया गया (उस पर) हम तो उनमें से किसी (एक) में भी तफरीक़ नहीं करते और हम तो खु़दा ही के फरमाबरदार हैं (136)
बस अगर ये लोग भी उसी तरह ईमान लाए हैं जिस तरह तुम तो अलबत्ता राहे रास्त पर आ गए और अगर वह इस तरीके़ से मुँह फेर लें तो बस वह सिर्फ तुम्हारी ही जि़द पर है तो (ऐ रसूल) उन (के शर) से (बचाने को) तुम्हारे लिए खु़दा काफ़ी होगा और वह (सबकी हालत) खू़ब जानता (और) सुनता है (137)
(मुसलमानों से कहो कि) रंग तो खु़दा ही का रंग है जिसमें तुम रंगे गए और खुदाई रंग से बेहतर कौन रंग होगा और हम तो उसी की इबादत करते हैं (138)
(ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो कि क्या तुम हम से खु़दा के बारे झगड़ते हो हालाँकि वही हमारा (भी) परवरदिगार है (वही) तुम्हारा भी (परवरदिगार है) हमारे लिए है हमारी कारगुज़ारियाँ और तुम्हारे लिए तुम्हारी कारसतानियाँ और हम तो निरेखरे उसी के हैं (139)
क्या तुम कहते हो कि इबराहीम व इसमाइल व इसहाक़ व आलौदें याकू़ब सब के सब यहूदी या नसारानी थे (ऐ रसूल उनसे) पूछो तो कि तुम ज़्यादा वाकि़फ़ हो या खु़दा और उससे बढ़कर कौन ज़ालिम होगा जिसके पास खु़दा की तरफ से गवाही (मौजूद) हो (कि वह यहूदी न थे) और फिर वह छिपाए और जो कुछ तुम करते हो खु़दा उससे बेख़बर नहीं (140)
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