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आ रहा हूँ पलट के, मैं हूँ सलीम ख़ान !

Written By Saleem Khan on सोमवार, 2 जुलाई 2012 | 7:29 pm


मेरे दुश्मन समझ रहे थे 

मैं अब कभी लौट के ना आऊंगा, 

एक गुमनामी का समुन्दर है 

उसमे ही जाके डूब जाऊँगा. 


अभी बाक़ी मेरी कहानी है,
 
सारी दुनिया को जो सुनानी है... 


मुझे पहचानो 

देखो मैं हूँ कौन 

आ रहा हूँ पलट के 

मैं हूँ सलीम ख़ान, ख़ान, ख़ान....!


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2 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

अरे टोपी तो उतारो पहले। पहचान लेंगे । टेंशन नहीं लेने का ।

Ayaz ahmad ने कहा…

aa jaao aa jaao bhai.
aapka istaqbaal hai.

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