चार दशकों का सिलसिला थमा नहीं:
1. सदी के आठवें दशक में देश को अपातकाल जैसी सरकारी दंगों को झेलने पड़ा।
2. नवे दशक में देश को इंदिरा एसेसिनेशन क चलते सिख दंगों को फेस करना पड़ा।
3. आखिरी दशक में बाबरी विध्वंस के बाद के दंगों का सामना करना पड़ा। और
4. इस सदी के पहले दशक में गुजरात दंगों का।
5. मौजूद दशक 2012 में असम हिंसा के नाम से जाने जाने वाले दंगों को भी हम भूल नहीं सकते।
आखिर यह दंगाई दशकों का सिलसिला कब तक थमेगा।
और आश्चर्य की बात है कि 2002 गुजरात दंगों को छोड़ दें तो शेष चारों के दौरान केंद्र में धर्म निरपेक्ष के पहरूआ दल कांग्रेस की ही सरकार रही है।
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