दिल्ली में चलती बस में
वहशी दरिंदों की सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई छात्रा की मौत पर हम सब लगता है
जाग गए हैं। पर इस प्रकार की जो भी समस्याएं पैदा होती हैं उनका सही समाधान इस्लाम
ही पैश करता है। आज ज़रूरत है कि इस्लाम की शिक्षाओं की ओर झाँक कर देखा जाए जो मानव
के सृष्टा की ओर से अवतरित हुआ है। और सृष्टा ही सृष्टि की हित को सही रूप में समझ
सकता है।
इस्लाम महिला को ऐसे वस्त्र
पहनने से रोकता है जिस से पुरुषों के जज़बात भर्कें। फिर पुरुषों तथा महिलोओं दोनों
को भी निगाह नीची रखने का आदेश देता है।
उसके बाद भी यदि कोई व्यभीचार
करता है तो इस्लाम का आदेश यह है कि यदि वह विवाहित है तो उसे पत्थर से मार मार कर
नष्ट कर दिया जाए और यदि विवाहित नहीं है तो उसे 100 कुड़े मारे जाएं और एक वर्ष के लिए देश निकाला दिया
जाए।
जिस समय यह नियम पूर्ण रूप
में लागू था इस्लामी इतिहास साक्षी है कि इस प्रकार के दुष्कर्म बिल्कुल देखने को नहीं
मिले। और यदि एकांत में एक व्यक्ति से ऐसा अपराध हुआ भी तो वह दौड़ा दोड़ा मुहम्मद
सल्ल0 की सेवा में उपस्थित हुआ कि उसे पवित्र कर दिया जाए।
इस लिए कि इस्लाम सब से पहले
हृदय को बदलता है। आज बलात्कारियों के लिए कैसे भी नियम बना दिए जाएं जब तक दिल नहीं
बदलेगा, अपने प्रभु के समक्ष उपस्थित
होने का भय पैदा न होगा जब तक नियम और क़ानून बनाने के बावजूद किसी भी अपराध पर नियंत्रण पाना असम्भव है।
3 टिप्पणियाँ:
धन्यवाद !
JAB HUM ISLAM KE DAYRE ME THE TO PAK AUR NEK THE
HUM ISLAM KE KANUN SE ALAG HUYE TO WAHSI AUR DARINDE KE MANIND HO GAI
JARURAT HAI HUME ISLAM KE KANUN KO APNANE KI JAB
HUM ISLAM KE KANUN ME AAJAYE YAQEEN MANIYE IS TARAH KI
GHATNAO BILKUL HO SURAKCHIT RAHENGE
GREAT OF ISLAMIC LIFE STYLE
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