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क्यों जी क्यों न कहें हिंदू राष्ट्रवादी

Written By Barun Sakhajee Shrivastav on शनिवार, 13 जुलाई 2013 | 11:16 pm

N.D. Modi, CM, Gujrat
मोदी इस देश का सबसे बड़ा विवाद हो गए हैं। कल एक मित्र ने कहा दिल खुश हो गया, किसी ने सालों बाद मुझे एहसास कराया कि मैं हिंदू हूं। और इससे ज्यादा जरूरी यह एहसास कराया कि हिंदू होना कोई खराब बात नहीं है। वरना देश में सेकुलर का मतलब हमेशा ही गैर हिंदू रहा है। यहां तक कि कुछ लोगों ने तो हिंदू शब्द तक को अपने जीवन दर्शन से निकाल फेंका है। इस माहौल से संसार की सबसे ज्यादा उदार और सहिष्णु जाति हिंदू ऐसी हो गई जैसे आतंकी कौम हो। इसके हत्थे कोई चढ़ा कि मरा। खासकर मुस्लमान। हुआ भी यूं कि सियासी फायदों को हिंदू इसे ऐसा ही साबित करना चाहते थे।
मोदी ने हिंदू राष्ट्रवादी क्या बतलाया खुद को दिल्ली में आग लग गई। यूपी की छुटभैया पार्टियां और नेता तो जैसे मान बैठे कि अब वे मरे। एक तथाकथित सेकुलर पार्टी के शिवानंद तिवारी तो यहां तक कह गए कि यह आदमी पागल है, इसके दिमाग का इलाज होना चाहिए, यह अगर देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठ गया तो बंटाढार हो जाएगा। यह वही सेकुलर हैं जो ओबैसी के भाषण पर चुप्पी साधे बैठे रहते हैं, जब मोदी ने दो शब्द बोल दिए तो ही सेकुलरिज्म खतरे में पड़ गया?
दूसरी बात मोदी ने उदाहरण जरूर गलत चुन लिया। इसमें कोई डिफेंड की जरूरत नहीं है। उन्हें पूरी जिम्मेदारी से अपना दर्द जताना चाहिए था। यह तो चिढ़ाने वाला दर्द हुआ। दरअसल हर किसी की भावनाओं का अकार और मिश्रण अलग-अलग होता है। लोग आमतौर पर औसतन भावनाओं को मानवीय भावनाएं कहते हैं। मोदी साहब को बेशक यहां पर दर्द हुआ होगा, हम मानते हैं। किंतु तरीका और उदाहरण दोनों ही सर्वथा गलत हैं। हालांकि इससे देश का सेकुलर स्ट्रक्चर खतरे में नहीं पडऩे वाला, चूंकि आदमी को कुल अंत में हिंसा और नरसंहारों का दर्द तो है ही न?
अजीबो गरीब सियासी चालों में मोदी का बयान पार्टी लेवल पर तो उन्हें माइलेज दे जाएगा, किंतु यह समझने की बात है कि सालों से भरा बैठा हिंदू फिर भी इस नाम पर वोट नहीं देने वाला। चूंकि वह मूर्ख नहीं। उसके लिए देश प्रथम है। वह सियासत और सल्तनत में फर्क करना जानता है। अमित शाह उधर मंदिर की घंटियां बजा रहे हैं तो इधर मोदी बाबू मुसलमानों को आंखे तरेर रहे हैं। अगर ऐसे में वे जीत भी जाएं, प्रधानमंत्री बन भी जाएं, तो विवाद उनका पीछा नहीं छोडऩे वाले। बहरहाल हिंदू राष्ट्रवादी होने पर सबको गर्व होना ही चाहिए, जिन्हें नहीं है तो वे या तो स्वशक्ति से वाकिफ नहीं हैं या फिर वे चापलूस, चाटूकार हैं। (यह टिप्पणी सिर्फ हिंदुओं पर ही लागू है)
- सखाजी

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