कोरोना है डरा रहा,
चुन चुन करे शिकार
आंख बन्द माने नहीं ,
शामिल हुए हजार।
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कोरोना से मत डरो,
अपनाओ सब ढाल
हृष्ट पुष्ट ताकत रखो,
कर लो प्राणायाम,
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काढ़ा भाप गर्म पानी लो,
घर में करो आराम,
मास्क सैनिटाइजर ना भूलो,
बाहर गर हो काम
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अदरक तुलसी मिर्च हो काली,
लौंगा और गिलोय
नीबू सेंधा नमक प्याज भी,
घर में करो प्रयोग
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रूप प्रभु के यहां चिकित्सक
लो सलाह भरपूर
जो बोलें तुम करो दवाई
खा लो थोड़ा धूप
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कुछ कपूर हो लौंग साथ में,
कभी कभी लो सूंघ
प्रोन पोजिशन लेट सांस लो,
ऑक्सिजन भरपूर।
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प्रात उठो टहलो बस घर में
योग ध्यान कसरत कुछ कर लो,
पौधों फूलों से कुछ खेलो
प्यार करो हंस लो मुस्का लो।
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आंधी आए कुछ फल गिरते
बचते फिर जो हों मजबूत
आओ बांटें व्यथा सभी की,
हृदय बचे ना कोई शूल।
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
भारत
1 टिप्पणियाँ:
Nice poem.
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