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मनोज मुन्तशिर का लेखन सीमा में बंधे

Written By Shalini kaushik on मंगलवार, 20 जून 2023 | 6:13 pm

 


 "कपड़ा तेरे बाप का,

   तेल तेरे बाप का, 

   आग भी तेरे बाप की 

   और जलेगी भी तेरे बाप की"

        भक्त शिरोमणि हनुमानजी के मुख से इस तरह के सड़क छाप डायलाग कहलाती "आदिपुरुष" के डायलाग राइटर "मनोज मुन्तशिर" शायद लंकेश रावण के पश्चात दूसरे ब्राह्मण होंगे जिन्होंने श्री राम के चरित्र के साथ खिलवाड़ करने का असहनीय कृत्य किया है. जिस दिन से" आदिपुरुष" सनातन धर्मावलंबियों के सामने आई है शायद ही कोई सच्चा सनातनी होगा जो मनोज मुन्तशिर के अनोखे ज्ञान को लेकर कम से कम दो शब्द विरोध में न बोला हो और जिस तरह से हमेशा होता आया है गलत अपनी गलतियों को कभी स्वीकार नहीं करता अपितु और नई गलतियां करना आरंभ कर देता है. पहले तो असभ्यता, अश्लीलता की सीमाएं पार कर "आदिपुरुष" ने हिन्दू धर्म को कलंकित करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी थी, अब मनोज मुन्तशिर और कहने के लिए आगे बढ़े हैं, रामायण के गहरे जानकार मनोज मुन्तशिर कहते हैं -

"बजरंग बली ने भगवान राम की तरह से संवाद नहीं किए हैं। क्योंकि वे भगवान नहीं भक्त हैं, भगवान हमने उन्हें बनाया है, उनकी भक्ति में वह शक्ति थी।"

     कलियुग के एकमात्र प्रत्यक्ष भगवान के रूप में हम हनुमानजी की पूजा आराधना करते आ रहे हैं और अचानक पता चलता है एक प्रकांड विद्धान" मनोज मुन्तशिर " से कि हनुमानजी तो हमारे जैसे ही हैं बहुत गहरा धक्का पहुंचता है हमारी आस्था पर, अब ऐसे में मन यही कहता है कि कम से कम एक बार तो  बुद्धिमानी का दिखावटी चोला धारण किए मनोज मुन्तशिर को आईना दिखा ही दिया जाए.

   हनुमान भगवान शिवजी के 11वें रुद्रावतार, भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त एवं अमर बालाजी के रूप में हम सभी सनातन धर्मावलंबियों की आस्था के प्रमुख केंद्र हैं. हनुमान (संस्कृत: हनुमान्, आंजनेय और मारुति भी) परमेश्वर की भक्ति (हिन्दू धर्म में भगवान की भक्ति) की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में प्रधान हैं। वह भगवान शिवजी के सभी अवतारों में सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएँ प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से असुरों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। ऐसा भी जगत में प्रसिद्ध है कि जब श्री राम ने सरयू नदी के जल में महाप्रयाण का निश्चय किया तब उन्होंने हनुमानजी को जगत के प्राणियों की रक्षा के लिए धरती पर ही रहने का आदेश दिया और तब से हनुमानजी धरती पर ही निवास करते हैं और जहां जहां भी रामायण पाठ होता है वहां अवश्य पहुंचते हैं. इसी कारण रामायण पाठ के आरंभ में

"कथा प्रारम्भ होत है -, आओ वीर हनुमान,

ऊंचे आसन बैठकर करो सदा कल्याण"

और, रामायण पाठ पूर्ण होने पर 

"कथा समाप्त होत है, जाओ वीर हनुमान,

राम लखन श्री जानकी सहित करो सदा कल्याण"

 कहने का विधान है और धरती पर बहुत से भक्त जनों ने हनुमानजी की उपस्थिति को प्रत्यक्षतः अनुभव भी किया है. आज मनोज मुन्तशिर जैसे सड़क छाप लेखक हिन्दू धर्म की गहरी आस्था के केंद्र सियाराम और हनुमानजी के चरित्र से ही खिलवाड़ पर उतर आए हैं और ऐसा तब हो रहा है जब केंद्र और उत्तर प्रदेश में बैठी सरकार हिन्दू धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए कृत संकल्प है. ऐसे में, आदिपुरुष बैन होनी चाहिए और मनोज मुन्तशिर के लेखन का सीमा बंधन होना चाहिए.

शालिनी कौशिक 

  एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

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