अन्त होता हुया आज का दिन 13 जुलाई 2011, भारतीय इतिहास का इक और काला दिन है, जिस दिन ये फ़िर सिद्ध हुया कि भारत का नेतृत्व आज नपुंषक कर रहे हैं, और इस देश की विडम्बना कि जनता सो रही है और इन्हे ऐसा करने दे रही है । आज का दिन याद रहेगा, सुबह सुबह मैने कही पढा था कि आज कुख्यात आतंकवादी अजमल कासाब का जन्मदिन है, और आज की ही शाम भारत फ़िर धमाको से गूँज उठा, आतंकियों ने भारत के मुँह पर तमाचा मारा और इस देश का कायर और नपुंषक नेतृत्व केवल तथाकथित गम्भीर विचार करने मे व्यस्त रहा । दुर्भाग्य …
ये साजिश है गद्दारों की, सत्ता के गलियारों की,
नेताओं की पीढी को, अब बदलना ही होगा ।
देख लिया इनका कानून, देख लिया ये वोटाचार,
धरती के इन बोझों को, जिन्दा गडवाना ही होगा ।
रोज रोज ये मौतें देख, जीवन काँपा करता है,
इनकी आँखों में पट्टी, पूरा भारत शर्मसार है ।
अक्ल न अब भी आई तो, राजशक्ति ना थर्राई,
तो हे भारत के नपुंषकों, तुमको मरना ही होगा ।
ये इस देश के कातिल की, मेहमानवाजी करते हैं,
वो अपने जन्मदिवस पर, हमको मारा करते हैं ।
जागो अब महापुरुषों, क्यूँ कुम्भकरण से सोते हो ?
इन सत्तालोलुपों को, तुम्हे कुचलना ही होगा ॥
अब तो कुछ करना ही होगा ।
3 टिप्पणियाँ:
बहुत ही शानदार नीरज जी, पर नेता क्याकभी सुधरे हैं,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत ही शानदार
बहुत बहुत आभार आप दोनों का उत्साहवर्धन के लिए
ये नहीं सुधारे तभी तो सुधारने की कोशिश नहीं समूल उखाड़ फेंकने की बात की है.
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