सुगंधा मिश्रा को एक तोहफा
Sugandha Mishraआवाज़ से सजाना, उसको गाना |
अंदाज़ ये तुम्हारा, दिल पे छाना |
सबको है भाता तुम्हारा यूँ गाना || १ ||
हुश्न भी पाया है, आवाज़ भी पायी है |
अदा भी पायी है, अदाकारी भी पायी हैं || २ ||
सबसे बड़ी बात है की, जज्बातों की कदर करती हो |
दूसरों के दिल की बात को, अपने दिल से सुनती हो || ३ ||
ये नवाजिस खुदा सबको नहीं देता है |
किसी खास को ही यह तोहफा देता है || ४ ||
तुम पर खुदा की मेहर बनी रहे |
हम पर तुम्हारी नज़र बनी रहे || ५ ||
नाभि से सुर उठा, नाद होकर |
छुआ दिल को, अहसास होकर |
कंठ से निकला, सुरीला होकर |
सुगंधा ने गाया, सुगन्धित होकर |
सबने ने सुना, आनंदित होकर || ७ ||
खता माफ़ करना, यूँ अब रुका जाता नहीं है |
बरबस तेरी तारीफ़ में, शेर निकल आता है || ८ ||
क्या करून तू है ऐसी, तेरी खूबसूरती तेरी शोखी |
तारीफ़ तेरी करून, ऐसा एक जोश-सा देती तोखी || ९ ||
तारीफ़ करता हूँ, तू वफादार है अपने हुनर से |
रोज़ करती है रियाज़, बिना किसी न नुकर से || १० ||
1 टिप्पणियाँ:
bahut badeya
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