आया फिर से आजादी का दिन ये प्यारा ,
चहुँ दिशा में गूँज रहा ''जयहिंद' का नारा .
हाथ तिरंगा लेकर गली-गली में घूमें ,
जश्न मनाएं आओ मिलकर हम सब झूमें .
आज शहीदों को झुक कर हम नमन करेंगे
याद शहादत करके आँखें नम कर लेंगे .
प्रण इतना हमको करना है अब ये हँसकर;
प्राण न्यौछावर कर देंगे हम 'भारत माँ' पर .
छोड़ आपसी द्वेष सभी को गले लगा लो ;
बड़ी कीमती आजादी है इसे संभालो .
शिखा कौशिक
5 टिप्पणियाँ:
Bahut sundar rachna.. Aabhar.
bahut prernadayak.bahut sundar.
छोड़ आपसी द्वेष सभी को गले लगा लो ;
बड़ी कीमती आजादी है इसे संभालो
प्रेरणादायी सुन्दर रचना
Bahut sundar rachna.
छोड़ आपसी द्वेष सभी को गले लगा लो ;
बड़ी कीमती आजादी है इसे संभालो .
सुन्दर अभिव्यक्ति...
सादर बधाई...
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