Durgashakti Nagpal |
ऐसे में जिसको जो मिल रहा है वह किए जा रहा है। जिक्र है कि रायपुर में भी अधिकारी की जाति नागपाल के बारे में तहकीकात की जा रही है, कि वह अगर सिंधी है तो सिंधी समाज की सियासी विंग इसमें एक एंगल यह जोड़ दे या फिर वह ठाकुर है तो क्षत्रिय समाज की विंग कुछ करने लगे। यानी दुर्गाशक्ति नागपाल कम से कम यूपी राज्य सरकार की अफसर तो नहीं है। वह यूपी सरकार की नजरों में आतातायी हिंदू अफसर है, जो मुस्लिमों पर कुल्हाड़ी लेकर वार करने को तत्पर है, तो सोनिया की नजरों में पीडि़त महिला अफसर, भाजपा की नजरों में कुछ नहीं है, तो सिंधियों की नजरों में सिंधी, ठाकुरों के नजरों में ठाकुर, तो पंजाबियों की नजरों में पंजाबी है। कुछ आजीवन छात्रों की नजरों में वह चश्माधारी पढ़ाकू मैरिटोरियस है, जो उसे मैरिटोरियस कहकर यह बताना और जताना चाहते हैं कि देश में पढ़ाकुओं की कद्र नहीं है।
यह कोई नई बात नहीं है, देश में लगभग हर मामले को इसी दूरबीन से ताड़ा जाता है, फिर उसमें संभावनाएं देखी जाती हैं। ऐसा होता ही है, तो होने दीजिए। इसे रोकने के लिए कुछ तथाकथित लिख्खाड़ों और विचारों के गुब्बारों को फूटना होगा, अपने कंफर्ट से बाहर आना होगा, वह चूंकि संभव ही नहीं है, तो जाने दीजिए।
बेशक यह कांग्रेस के यूरोपियन शब्द सेकुलर से उपजी गंदगी है, लेकिन इसमें भाजपा की भूमिका भी कम नहीं है। चूंकि वे दूसरी तरफ एक अजीब सी बात रचते गए, अपने फायदे के लिए गढ़ते गए। अंतराल में सेकुलरिज्म को खतरा संप्रदायवाद से नहीं रहा, बल्कि हिंदूवाद से हो गया।
-सखाजी
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