आम आदमी सरकारी चंगुल में......: तृप्ति देसाई परेशान न हो, सीहोर आकर देखो यहां मंदिर में महिला पुजारी तक हैं
श्री गणेशाय नम:, ऊं एं ऊं, मातृस्मृति श्री सखायै नम:, हर-हर नर्मदे, गुरुदेव बाबा साईं.
9:33 pm
आम आदमी सरकारी चंगुल में......: तृप्ति देसाई परेशान न हो, सीहोर आकर देखो यहां मंदिर में महिला पुजारी तक हैं
Written By Barun Sakhajee Shrivastav on शनिवार, 25 जून 2016 | 9:33 pm
8:36 am
मज़दूर
Written By Bisari Raahein on रविवार, 1 मई 2016 | 8:36 am
“ मजदूर ”
सर्द हवाओं का नहीं रहता
खौफ मुझे
और ना ही मुझे कोई
गर्म लू सताती है
आंधी, वर्षा और धूप का
मुझे डर नहीं
मुझे तो बस ये पेट की
आग डराती है
उठाते होओगे तुम
आनंद जिन्दगी के
यहां तो जवानी
अपना खून सूखाती है
खून पसीना बहा कर भी
फ़िक्र रोटी की
टिड्डियों की फौज
यहां मौज उड़ाती है
पसीना सूखने से पहले
हक़ की बात ?
हक़ मांगने पर मेहनत
खून बहाती है
रखे होंगे इंसानों ने
नाम अच्छे – अच्छे
मुझे तो “कायत”
दुनिया मजदूर बुलाती है
:- कृष्ण कायत
http://krishan-kayat.blogspot.com
सर्द हवाओं का नहीं रहता
खौफ मुझे
और ना ही मुझे कोई
गर्म लू सताती है
आंधी, वर्षा और धूप का
मुझे डर नहीं
मुझे तो बस ये पेट की
आग डराती है
उठाते होओगे तुम
आनंद जिन्दगी के
यहां तो जवानी
अपना खून सूखाती है
खून पसीना बहा कर भी
फ़िक्र रोटी की
टिड्डियों की फौज
यहां मौज उड़ाती है
पसीना सूखने से पहले
हक़ की बात ?
हक़ मांगने पर मेहनत
खून बहाती है
रखे होंगे इंसानों ने
नाम अच्छे – अच्छे
मुझे तो “कायत”
दुनिया मजदूर बुलाती है
:- कृष्ण कायत
http://krishan-kayat.blogspot.com
6:39 pm
" दुआ "
हिचकियों का इलाज ढूंढना तेरे बस की बात नहीं
इलाज ही करना है तो मेरे मरने की दुआ कर ।
मुझे भुला पाना भी इतना आसान नहीं है
भुलाना ही है मुझे तो जहाँ को भूलने की दुआ कर ।
मुझसे मिले बिना चैन न आएगा तुमको भी
चैन ही लेना है तो हर जन्म में मिलने की दुआ कर ।
क़त्ल कर मेरे अरमानों का खुशियाँ ढूंढते हो यहाँ
खुशियाँ ही लेनी है तो अरमानों के पलने की दुआ कर ।
वो और होंगे जिन्हें ख़ाक में मिला दिया तूने कभी
"कायत" को मिटाना है तो खाक में मिलने की दुआ कर ।
दुआ
Written By Bisari Raahein on रविवार, 24 अप्रैल 2016 | 6:39 pm
" दुआ "
हिचकियों का इलाज ढूंढना तेरे बस की बात नहीं
इलाज ही करना है तो मेरे मरने की दुआ कर ।
मुझे भुला पाना भी इतना आसान नहीं है
भुलाना ही है मुझे तो जहाँ को भूलने की दुआ कर ।
मुझसे मिले बिना चैन न आएगा तुमको भी
चैन ही लेना है तो हर जन्म में मिलने की दुआ कर ।
क़त्ल कर मेरे अरमानों का खुशियाँ ढूंढते हो यहाँ
खुशियाँ ही लेनी है तो अरमानों के पलने की दुआ कर ।
वो और होंगे जिन्हें ख़ाक में मिला दिया तूने कभी
"कायत" को मिटाना है तो खाक में मिलने की दुआ कर ।
12:07 pm
तुम तो जिगरी यार हो
Written By SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 on बुधवार, 20 अप्रैल 2016 | 12:07 pm
तुम तो जिगरी
यार हो
==================
दोस्त बनकर
आये हो तो
मित्रवत तुम
दिल रहो
गर कभी मायूस
हूँ मैं
हाल तो पूछा
करो ..?
-------------------------------
पथ भटक जाऊं
अगर मैं
हो अहम या
कुछ गुरुर
डांटकर तुम
राह लाना
(मित्र है
क्या ........?)
याद रखना
तुम जरूर
------------------------------
तुम हो प्रतिभा
के धनी हे !
और ऊंचे तुम
चढ़ो
पर न सीढ़ी
नींव अपनी
सपने भी
-भूला करो
------------------------------
हे सखा या
सखी मेरे
प्रेम के
रिश्ते बने हैं
सम्पदा ये
महत् मेरी
भाव भक्ति
के सजे हैं
--------------------------------
जिसको मानो
तुम प्रभू सा
मान नित दिल
से करो
कृष्ण सा
निज भूल करके
मित्र की
पूजा करो
--------------------------------
जितने गुण हैं
मित्र में वो
ग्रहण कर
तू बाँट दे
बांटने से
और बढ़ता
परख ले पहचान
ले
---------------------------------
सुख भी मिलता
मन है खिलता
आत्म संयम
जागता है
भय हमारा
भागता है
ना अकेले
हम धरा पर
संग तुम
-परिवार हो
खिलखिला दो
हंस के कह दो
तुम तो जिगरी
यार हो
=================
सुरेन्द्र
कुमार शुक्ल भ्रमर ५
कुल्लू हिमाचल
भारत
१५.४.२०१६
८ पूर्वाह्न
-८.१४ पूर्वाह्न
11:47 am
अभिव्यक्ति की आजादी
Written By Surendra shukla" Bhramar"5 on शनिवार, 5 मार्च 2016 | 11:47 am
अभिव्यक्ति की आजादी
=======================
पढ़ते हुए बच्चे का अनमना मन
टूटती ध्यान मुद्रा
बेचैनी बदहवासी
उलझन अच्छे बुरे की परिभाषा
खोखला करती खाए जा रही थी .......
कर्म ज्ञान गीता महाभारत
रामायण राम-रावण
भय डर आतंक
राम राज्य देव-दानव
धर्म ग्रन्थ मंदिर मस्जिद ..और भी बहुत कुछ ..
पी एच डी कर भी जेल जाना
गरीब अमीर परदा दीवार
आरक्षण भेदभाव मनुवाद सम्राज्य्वाद
सब मकड़जाल सा उलझा तो
बस उलझता गया…. दिमाग सुन्न.......
किताबें फेंक…शोर में खो गया
गुड्डे गुड़िया के खेल में
अचानक क्रूरता हिंसा ईर्ष्या जागी
कपडे नोंच चीड़ फाड़ रौंद पाँव तले
नर- सिंह
सा हांफ गया ............................
आजादी -आजादी इस से आजादी उस-से आजादी या फांसी ?
अभिव्यक्ति की आजादी ...
कुछ लोगों की भेंड़ चाल झुण्ड देख
वह दौड़ा अंधकार में अंधे सा ....
माँ ने एक थप्पड़ जड़ा ..रुका ……
आँचल से पसीना पोंछ ..समझाया
बैठाया… प्यार से पोषित कर , दिखाया
देख ! चिड़िया भी अपना घर तिनके तिनके ला
बनाती हैं घोंसला… उजाड़ती नहीं
बन्दर मत बन -….उजाड़ -आग -विनाश नहीं
जिस थाली में खाते हैं छेद नहीं करते
अपना घर परिवेश समाज देश समझ
संस्कार प्यार ईमान धर्म कर्म
तेरे खोखले पी. यच. डी. विज्ञान पर भारी हैं
भूख ..गरीबी जाति धर्म नहीं देखती
न ये वाद ..न वो वाद ..विवाद ही विवाद
सामंजस्य समझौता परख जाँच
जरुरी है महावीर बुद्ध ज्ञानी बनने हेतु
शून्य में विचर पानी में लाठी मत पीट
कुएं में एक भेंड़ कूदी
फिर सब सत्यानाश ...हाहाकार
जंगल राज ..अन्धकार से सहजता में आ
सरल बन ..शून्य बन
फिर ऊंचाइयों में चढ़ना आसान है
बच्चे ने आकाश की ऊंचाइयों में झाँका
कुछ आँका ..जाँचा
समझ आ गयी थी
आग लगाने से विकास नहीं होता
होता है विनाश ..नंगापन का नाच
भूख नहीं मरती
कटुता ही है बढ़ती
और हम आ जाते हैं ग्राफ में नीचे
पचास साल और पीछे
और फिर तिरंगा ले वह सावधान हो गया
वन्दे मातरम ..
जय हिन्द .....
उहापोह अब सुसुप्ति में आ चुका
था ...
=========================
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
कुल्लू यच पी
६-६.५२ पूर्वाह्न
२८ फरवरी २०१६
लेबल:
अभिव्यक्ति की आजादी,
bhramar5,
desh,
JNU,
samaj
सदस्यता लें
संदेश (Atom)