फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है, मैं भी सियासी माहौल
से थोड़ा हटकर इसी माहौल में रहना चाहता हूं, कई साल बाद इस बार मैं भी दीपावली का
त्यौहार घर पर परिवार के बीच मनाना चाहता हूं। इसके लिए मैं अपने गृहनगर मिर्जापुर
जाने के लिए शनिवार को निकल चुका हूं। मित्रों इस बार ट्रेन का सफर बहुत उबाऊ रहा,
क्योंकि ट्रेन दो चार घंटे नहीं बल्कि 14 घंटे लेट थी। खैर अब घर पहुंच चुका हूं,
सभी थकान भी भूल गया हूं। सच तो ये है कि मैं अपने साथ और लोगों को भी चाहता हूं
कि वो भी खूब मस्ती से त्यौहार इंज्वाय करें, मैं आज किसी की छीछालेदर नहीं करना
चाहता।
हालांकि एक बात मुझे परेशान कर रही है, वो ये की
तिहाड़ में दीपावली इस बार कैसी होगी। यहां ज्यादातर कैदी ऐसे हैं, जिनकी कई दिपावली
यहां बीत चुकी है, लेकिन कुछ खास मेहमान जो शायद पहली बार ही यहां आए हैं और उन्हें दीपावली इसी
चारदीवारी के भीतर मनाना है। उनके बारे में सोचकर मैं थोड़ा असहज हूं। मेरा मानना
है कि पूर्व मंत्री ए राजा और कनिमोडी तो इसके हकदार हैं, क्योंकि वो बेईमानी अपने
फायदे के लिए कर रहे थे, लेकिन कई नामी गिरामीं कंपनियों के सीईओ भी यहां हैं, जो
अपने से ज्यादा अपनी कंपनी के लिए काम कर
रहे थे। यानि वो बेचारे तो कंपनी की बैलेंस शीट मजबूत करना चाहते थे। इस बात का ही
वो वेतन लेते हैं।
अब राजा और कनिमोडी जेल में रहें तो चलो कोई खास बात
नहीं, पर एक दर्जन से ज्यादा अफसरों के जेल जाने से तो यही कहा जाएगा ना कि गेंहूं
के साथ बेचारे घुन भी पिस गए। खैर ऐसा
होता है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यहां से निकलने के बाद ये अफसर जान जाएंगे कि
सच्चाई और ईमानदारी से काम करना कितना जरूरी है। कम से कम वो यहां से निकलने के
बाद और कुछ भले ना बन पाएं, पर सच्चा इंसान बनेंगे।
मुझे याद है
अभी ज्यादा समय नहीं बीता है, जेल में कैंपस प्लेसमेंट के दौरान 90 से ज्यादा
तिहाड़ के कैदियों ने अपने हुनर दिखाए और 52 कैदी बेहतर हुनर के चलते सलेक्ट हो
गए, पर मेरिट के आधार पर 43 कैदियों को नौकरी मिल
गई। वो भी ऐरू गैरू कंपनी में नहीं, बल्कि देश के नामचीन कंपनियों ने कैदियों
के हुनर को सराहा और अपनी कंपनी में इन्हें नौकरी दी। कुछ खास कंपनियों का जिक्र
किया जाए तो इसमें हल्दीराम, वेदांता फाउंडेशन,रोगन गोरमेंट्स, जीआई पाइप के साथ
कई और नामी गिरामीं कंपनी शामिल हैं।
दरअसल तिहाड़ जेल में कैदियों को उनकी क्षमता के
अनुसार प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था है, जिससे वो यहां से सिर्फ सजा काट कर ना निकलें, बल्कि बेहतर नागरिक बने
। इसी वजह से यहां कैदियों के लिए व्यावसायिक
प्रशिक्षण की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है।
इस बात का जिक्र मैं इसलिए कर रहा था कि जेल में
बेहतर नेता कैसे बनें, जेल में आए नेताओं को बेहतर नागरिक कैसे बनाया जाए, उनके चारित्रिक
दोष को कैसे खत्म किया जाए, इस तरह के किसी भी प्रशिक्षण का प्रावधान नहीं हैं। मुझे लग रहा है कि जिस तरह से यहां नेताओं
और केंद्र सरकार के मंत्रियों का लगातार आना जाना बना हुआ है, सरकार इस बारे में भी
विचार करेगी और जेल में बेहतर नेता कैसे
बनें, भ्रष्टाचार से कैसे अछूते रहें, कुछ इस तरह की ट्रेनिंग का भी प्रावधान
होगा। पर लगता है कि मैं गलत सोच रहा हूं, सरकार की प्राथमिकता सिर्फ ये है कि किस
तरह जल्द से जल्द आरोपी नेताओं और मंत्रियों को जमानत मिल जाए। पूरी कवायद सिर्फ यहीं
तक सीमित है।
मुझे नहीं पता कि जो बात मैं कहने जा रहा हूं वो
कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है या नहीं, पर मैं इतना जरूर कहूंगा कि आज
न्यायालय से लोगों को न्याय बिल्कुल नहीं मिल रहा, बल्कि न्याय बिक रहा है, बस खरीददार की जरूरत है। न्यायालयों की छवि को
सुधारने के लिए कुछ जज बडे और चर्चित मामले
में जनभावनाओं के मुताबिक फैसला सुनाते हैं, जिससे न्यायालय की छवि बनी रहे। अमर सिंह को
कुछ दिन जेल में रखने के बाद उन्हें जमानत दे दी गई, आधार बनाया गया उनकी बीमारी
का। पूरा देश जानता है कि आपरेशन के बाद स्वदेश लौटने पर अमर सिंह उत्तर प्रदेश
में सक्रिय रहे हैं, उन्होंने दर्जनों सभाएं की और लगातार अपने राजनीतिक
महत्वाकांक्षा को पूरा करने में लगे हुए हैं। तब अमर सिंह बीमार नहीं होते हैं,
लेकिन जेल जाने पर उन्हें दो दिन में ऐसी बीमारी जकड़ती है कि वो जेल में नहीं रह
सकते, सीधे बड़े अस्पताल आ जाते हैं। बहरहाल वो जल्दी स्वस्थ हों, जिससे नोट के बदले वोट कांड का
खुलासा हो सके।
दोस्तों भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्री और अफसर अपने
रसूख का फायदा उठाकर तिहाड़ में पांच सितारा सुविधाएं जरूर ले रहे होंगे, ऐसा मेरा
मानना है। वो यहां किसी तरह की ट्रेनिंग तो कम से कम नहीं ही ले रहे होंगे, जिससे
कल बाहर आएं तो लोग उन्हें घृणा और नफरत से देखने के बजाए, उनमें एक अच्छे शहरी की
तस्वीर देंखें। फिर मैं आशावादी हूं, मैं दीपावली की बधाई ए राजा, कनिमोडी के साथ
ही सभी टेलीकाम कंपनियों के सीईओ को भी देता हूं, इस उम्मीद के साथ कि वो कानून की
खामियों का सहारा लेकर खुद को बेदाग साबित करने के बजाए अपनी गल्ती कोर्ट में
स्वीकार करें। इतना ही नहीं वो लूट खसोट कर जिस तरह से देश के करोडों लोगों की
दीपावली फीकी करते रहे हैं, उसके लिए माफी मांगते हुए देश को हुए नुकसान की भरपाई
करें। ऐसा करके वो भी मेरी तरह खुशी खुशी दीपावली का त्यौहार अपने पैतृक गांव में
पूरे परिवार के साथ मना सकते हैं।
तिहाड़ में ही सुरेश कलमाड़ी भी हैं, उन्हें भी मेरी
शुभकामनाएं। नोट के बदले वोट कांड में बंद नेताओं को भी दीपावली की शुभकामनाएं।
मजेदार बात तो ये है कि सरकार बचाने के लिए सांसदों की खरीद फरोख्त करने वाला जेल
हो आया, जिसने योजना बनाई वो अभी भी जेल में है, जिन सांसदों ने इस मामले का
खुलासा किया और पैसे संसद में पेश कर दिए, उन्हें भी जेल हो गई। लेकिन इस पूरे
घटनाक्रम से जिसे फायदा हुआ, उसका कोई नाम भी नहीं ले रहा है। बहरहाल ये नहीं तो
अगली दीपावली उनकी भी यहीं तिहाड़ में बीतेगी।
चलिए दोस्तों आप
सभी को भी दीपावली की ढेर सारी
शुभकामनाएं। कोशिश ये होनी चाहिए कि आज अपना घर तो रोशन करें ही, पास पडोस में भी
अँधेरा ना रहने दें।