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मन्दिरों को पितृ स्थान से बचाएं योगी आदित्यनाथ जी

Written By Shalini kaushik on सोमवार, 28 मार्च 2022 | 8:30 pm

  


आज उत्तर प्रदेश में धर्म का राज है .ऐसे में सरकार द्वारा मंदिरों को पुनरुद्धार के लिए अनुदान दिया जा रहा है .फलस्वरूप मंदिरों को लेकर राजनीति और छीना-झपटी का समय चल रहा है .जैसे भी हो ,मंदिरों में कब्जे के लिए हिंदुओं का एक विशेष वर्ग काफी हाथ-पैर मार रहा है .साथ ही एक और षड्यंत्र उस विशेष वर्ग ने किया है और वह है मंदिरों में अपने पूर्वजों के स्थान स्थापित कर मंदिरों पर अपने कब्जे दिखाने की ओर , उस पर तुर्रा ये कि इस तरह मंदिरों में भक्तों का आवागमन बढ़ेगा , मतलब ये कि अब भगवान् के दर्शन के लिए भी भक्तों को बहाने चाहिए और इसके लिए वे अपने घर के कुंवारे मृत पूर्वजों की अस्थियों की राख को मंदिर की जमीन में दबायेंगे ,उनकी जयंती ,बरसी या श्राद्ध में उन्हें श्रृद्धासुमन अर्पित करने आएंगे और तब थोड़ा समय निकालकर भगवान् के दर्शन कर उन्हें भी कृतार्थ कर देंगे और ये पूर्वजों के स्थान भी ओरिजिनल रूप से नहीं वरन अपनी उन जमीनों से स्थानांतरित कर ,जिन्हें अपने क्षेत्र को छोड़कर जाने के लिए बेचकर नोट कमाने हैं  और जो वर्षों पहले खेतों की मिट्टी में दबकर भूमि में समाहित हो चुके हैं , से मंदिर में लाये जायेंगे .

              पवित्र पुण्य धाम हरिद्वार [उत्तराखंड] के निवासी पंडित सत्यनारायण जी के अनुसार मंदिरों में पूर्वजों के स्थान स्थापित करना उन्हें श्मशान बना देना है और अगर हम वास्तु शास्त्र का अध्ययन करते हैं तो उसमें साफ लिखा है कि मंदिर के शीर्ष पर स्थापित कलश और ध्वजा जहाँ तक दिखाई देती है वह सब क्षेत्र मंदिर की परिधि में आता है और यदि हम मंदिर तक नहीं भी पहुँच सकते हैं किंतु मंदिर के कलश और ध्वजा का बहुत दूर से भी दर्शन कर प्रभु को नमस्कार करते हैं तब भी प्रभु दर्शन का पुण्यफल हमें प्राप्त होता है .मंदिर के कलश ध्वजा दिखाई देने की यह परिधि एक धर्मक्षेत्र होता है ,जिसमे कोई भी धर्मविरुद्ध कार्य करना घोर पाप की श्रेणी में आता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि उस क्षेत्र में परमात्मा का प्रभा मंडल अधिक सक्रिय रूप में उपस्थित होता है. 

     आप अगर वास्तुशास्त्र का अध्ययन करते हैं तो आप पाएंगे कि घर के मंदिर तक में पूर्वजों की तस्वीर तक रखना मंदिर में नकारात्मक ऊर्जा को प्रविष्ट करता है ,ऐसा कहा गया है ,जबकि घर के मंदिर में तो भगवान् की प्राण-प्रतिष्ठा भी नहीं की जाती ,फिर क्यों इस तथ्य पर विचार नहीं किया जा रहा है कि जहां हमने भगवान को प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित किया है, हम वहां उनके बराबर में मृत शरीरों की अस्थियों की राख को दबाकर उन्हें क्यूँ असहज कर रहे हैं, क्यूँ वहां नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश द्वार खोल रहे हैं, क्यूँ मन्दिर को श्मशान बना रहे हैं?

             ऐसे में, सम्मानीय योगी आदित्यनाथ जी से विनम्र निवेदन है कि धर्म के राज में अधर्म न होने दें और मन्दिरों की पवित्र भूमि पर पूर्वजों के स्थान स्थापित किए जाने पर रोक लगाने के लिए कानून लाने की कृपा करें और जिन परिवारों ने मंदिरों में अपने पूर्वजों के स्थान दबंगई दिखाकर स्थापित कर लिए हैं उन्हें निश्चित समय में हटाने के लिए सरकार द्वारा नोटिस जारी किए जाएं क्योंकि ये पितृ स्थान स्थानीय मान्यताओं के अनुसार परिवारों द्वारा अपनी निजी भूमि में बनाए जाते हैं और ये व्यक्तिगत आस्था का विषय हैं इस तरह से मंदिरों की सार्वजनिक भूमि में इनका स्थापित किया जाना इन्हें जनसाधारण की पूजा का पात्र बना देता है जिसका बाद में पता चलने पर जिनके ये पितृ स्थान होते हैं और जो अनदेखी या अज्ञानता मे इन्हें पूजते हैं दोनों पक्षों के मध्य में घोर रोष की वज़ह बन जाता है. इसलिए मंदिरों में परिवारों के पितृ स्थानों पर रोक लगनी चाहिए साथ ही जो मन्दिर की देखरेख करने वाले या मन्दिर के ट्रस्ट या कमेटी के लोग ऐसी अनाधिकृत चेष्टा करते हैं उन्हें दण्डित भी किया जाना चाहिए.

       शालिनी कौशिक एडवोकेट

       अध्यक्ष

       मंदिर महादेव मारूफ शिवाला

       कांधला धर्मार्थ ट्रस्ट (रजिस्टर्ड) 



कैराना स्थित जनपद न्यायालय ही हो शामली जनपद का मुख्य न्यायालय

Written By Shalini kaushik on शनिवार, 26 मार्च 2022 | 9:02 pm

 


 2011 में 28 सितंबर को शामली जिले का सृजन किया गया. तब उसमें केवल शामली और कैराना तहसील शामिल थी. इससे पहले शामली और कैराना तहसील मुजफ्फरनगर जनपद के अंतर्गत आती थी. कुछ समय बाद शामली जिले में ऊन तहसील बनने के बाद अब शामली जिले के अंतर्गत तीन तहसील कार्यरत हैं. 2018 के अगस्त तक शामली जिले का कानूनी कार्य मुजफ्फरनगर जिले के अंतर्गत ही कार्यान्वित रहा किन्तु अगस्त 2018 में शामली जिले की कोर्ट शामली जिले में जगह का चयन न हो पाने के कारण कैराना में आ गई और इसे नाम दिया गया -" जिला एवं सत्र न्यायालय शामली स्थित कैराना. "

     2018 से अब तक मतलब मार्च 2022 तक शामली जिले के मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर जिला जज की कोर्ट के लिए जगह का चयन हो जाने के बाद केवल बाउंड्रीवाल का ही निर्माण हो पाया है और शामली जिले में केवल तहसील स्तर का ही कार्य सम्पन्न हो रहा है. जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि वहां कानूनी विभाग लगभग शून्यता की स्थिति में है और वहां जिला जज की कोर्ट की स्थापना के साथ साथ मुंसिफ कोर्ट से लेकर जिला जज की कोर्ट की स्थापना करने के लिए बहुत बड़े स्तर का कार्य सम्पन्न करना होगा, जबकि शामली जिले की तहसील कैराना में जिला जज की कोर्ट से एक नंबर कम की कही जाने वाली कोर्ट ए डी जे कोर्ट की स्थापना ही 2011 में हो चुकी है और कैराना तहसील में स्थापित न्यायालय परिसर शामली जिले के मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

      ऐसे में, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से विनम्र निवेदन है कि वे कैराना की सुदृढ़ न्यायिक व्यवस्था, कैराना में फैली अपराधियों की जड़ें और शामली जिले की बदहाल कर देने वाली जाम की समस्या को देखते हुए कैराना में ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय को शामली जिले का मुख्य न्यायालय घोषित करें और यदि इसके लिए उन्हें कैराना में न्यायालय परिसर तक के क्षेत्र को शामली जिले के अंतर्गत ही घोषित करना पड़े तो करें क्योंकि शामली जिले में जिस जगह का चयन जिला कोर्ट के लिए किया गया है वहां तक क्षेत्र के निवासियों का पहुंचना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है क्योंकि शामली जिला इतना सघन रूप से बसा हुआ है कि मात्र एक किलोमीटर पार करने में भी 1-2 घण्टे से ऊपर का समय लग रहा है. ऐसे में न्याय पाने के लिए पीड़ितों को या तो रात में ही घर से निकलना पड़ेगा या फिर न्याय पाने की आशा को ही खो देना पड़ेगा. साथ ही, यदि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कैराना स्थित जनपद न्यायालय को मुख्य न्यायालय का दर्जा दिया जाता है तो सरकार का बहुत सारा धन भी बचेगा और कैराना तहसील में लगभग खंडहर पड़े बहुत सारे क्षेत्र का न्यायालय और अधिवक्ताओं के चेम्बर के रूप में इस्तेमाल भी हो सकेगा. 

     अतः माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी कम से कम एक बार जांच कमेटी बिठाकर कैराना स्थित जनपद न्यायालय को ही शामली जिले के मुख्य न्यायालय का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करें. 

           🙏🙏धन्यवाद 🙏🙏

शालिनी कौशिक एडवोकेट

कैराना (शामली) 

खंडपीठ /चेंबर /आर्थिक मदद /आरक्षण कुछ तो दें योगी जी - शालिनी कौशिक एडवोकेट

Written By Shalini kaushik on शुक्रवार, 25 मार्च 2022 | 10:37 pm

 



      माननीय योगी आदित्यनाथ जी ने आज उत्तर प्रदेश के दूसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है. जहां एक ओर योगी आदित्यनाथ जी ने अपने पिछले कार्यकाल में पुलिस और प्रशासन का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करते हुए आपराधिक तत्वों को उत्तर प्रदेश में जेल के सींखचों में डालने का कार्य सफलतापूर्वक किया है वहीं न्याय के पैरोकार अधिवक्ताओं के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया योगी सरकार द्वारा अख्तियार किया गया है. योगी आदित्यनाथ जी के माध्यम से सभी के लिए घोषणाएं की जा रही हैं किन्तु वकीलों को लेकर अभी तक किसी मदद का आश्वासन सामने नहीं आया है. अतः देश औेर दुनिया की कोरोना कालीन उपजी विषम परिस्थितियों को देखते हुए मेरा योगी जी से निम्न निवेदन है -

1 - यह कि जूनियर अधिवक्ताओं के लिए आर्थिक सहायता हेतु कुछ राशि सरकार द्वारा घोषित की जाए और कुछ निश्चित धनराशि इस बीमारी के कारण अपने परिजन को खो चुके वकील के परिवार को दिए जाने की जल्द घोषणा की जाए.

2- यह कि रोजगार की समस्या को लेकर देखते हुए आज बड़ी संख्या में युवाओं द्वारा वक़ालत को अपने व्यवसाय के रूप में अपनाया जा रहा है किन्तु कचहरी में जूनियर वकीलों के लिए सबसे बड़ी समस्या उनके व्यवसाय स्थल को लेकर आ रही है. ऐसे में जूनियर वकीलों के चेम्बर के लिए सम्बन्धित कचहरी में स्थल की उपलब्धता सुनिश्चित करायी जाए.

3- यह कि वक़ालत व्यवसाय में आज भी महिला अधिवक्ताओं को दोयम दर्जा प्राप्त है और उन्हें अभी भी अपना स्थान मजबूत बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है. ऐसे में, महिला अधिवक्ताओं के लिए न्यायालयों में कमिश्नर और सरकारी वकीलों के पदों पर आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था की जाए.

4- यह कि पिछले 5 दशक से पश्चिमी यू पी के अधिवक्ताओं द्वारा हाई कोर्ट की खंडपीठ की मांग की जा रही है और अब भाजपा नीत सरकार द्वारा अपने मंत्रिमंडल में वेस्ट यू पी को तरजीह दी गई है. ऐसे में अधिवक्ताओं की इस मांग के साथ न्याय करते हुए माननीय योगी जी से निवेदन है कि वेस्ट यू पी में हाई कोर्ट खंडपीठ प्रदान करते हुए यहां की जनता को न्याय के करीब लाया जाए और अधिवक्ताओं के दामन पर हड़ताल प्रिय होने का कलंक हाई कोर्ट खंडपीठ देकर मिटा दिया जाए.

       माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी अधिवक्ताओं की इन सभी समस्याओं पर विचार करेंगे और उन्हें अवश्य हल करेंगे, ऐसा " योगी है तो यकीन है" उक्ति पर ध्यान केन्द्रित करते हुए कहा जा सकता है.

शालिनी कौशिक एडवोकेट

कैराना 

प्रसन्नता और गौरैया - एक सिक्के के दो पहलू

Written By Shalini kaushik on रविवार, 20 मार्च 2022 | 8:37 am

      


      20 मार्च अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस और विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है. प्रसन्नता कोई वस्तु नहीं है कि आप बाजार में गए और कुछ सस्ती या महंगी पैसा खर्च कर खरीद लाए. प्रसन्नता को आप महँगी होने पर सस्ती दर पर खरीद कर भी प्राप्त नहीं कर सकते, यह वह मानसिक क्षण है जिसे आप तभी पा सकते हैं जब यह आपके मन को गहराई तक स्पर्श करती है और हम भले ही कितने भौतिकवादी हो जाएं, हमारी आत्मा कभी किसी भी प्रकार के छल - प्रपंच का शिकार नहीं हो सकती और हमें सच्ची खुशी हमारी आत्मा की संतुष्टि से ही प्राप्त होती है और हमारी आत्मा की यह संतुष्टि ही प्रसन्नता का सही रूप है और क्योंकि आज विश्व गौरैया दिवस भी है ऐसे में अपने घर की बेटी - गौरैया की सुरक्षा हमें सही रूप में प्रसन्नता का हकदार बना सकती है. पहले घरों में गौरैया के, तोतों के रहने के छोटे छोटे कोटर बनाये जाते थे, पेड़ - पौधे होते थे, आज ये सब खत्म होते जा रहे हैं ऐसे में गौरैया का दिखाई देना भी बंद हो गया है.



      अतः मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन है कि आप सभी अपने घर के पास, यदि कस्बों में रहते हैं तो मोहल्ले में, यदि शहरों में रहते हैं तो कॉलोनी में पेड़ पौधे अवश्य लगाएं, उनका संवर्धन और संरक्षण करें. यदि आप वास्तव में ऐसा कर पाते हैं तो निश्चित रूप से आपके आँगन में एक बार फिर गौरैया फुदकते हुए आएगी और तब सच्ची प्रसन्नता आपके चेहरे पर आएगी और हृदय पर छाएगी.

शालिनी कौशिक एडवोकेट

कैराना 

बेटे का इतिहास

Written By Shalini kaushik on शनिवार, 19 मार्च 2022 | 11:24 pm

 

आज का बेटा
जब
कल बाप बनेगा
देखेगा
बेटा बाप के सर पर
रखकर पैर
खुद को
आगे बढ़ा रहा है
और
अपने बाप के मुँह पर
पर्दा डालता जा रहा है.
तब याद आता है उसे
इतिहास खुद को
दोहरा रहा है.
कल जो तूने
अपने
बाप के साथ किया था
आज तेरा बेटा
तेरे साथ
वही
किए जा रहा है.
शालिनी कौशिक एडवोकेट, कैराना

BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN: सरयू तट राम खेलें होली सरयू तट

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