Eknath Shinde को CM बनाकर BJP ने साधे 10 लक्ष्य | Maharashtra CM | Deven...
Written By Barun Sakhajee Shrivastav on गुरुवार, 30 जून 2022 | 5:52 pm
पुरुषों का सम्मान और कानून
[False dowry case? Man kills self
''मुझे दहेज़ कानून की धारा ४९८-ए,३२३ और ५०४ के तहत जेल जाना पड़ा ,मेरी पत्नी विनीता ने शादी के 2 साल बाद हमारे परिवार के खिलाफ दहेज़ के रूप में 14 लाख रुपये मांगने का झूठा मुकदमा लिखाया था .इतनी रकम कभी मेरे पिता ने नहीं कमाई ,मैं इतना पैसा मांगने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकता था ,मेरी भी बहने हैं ,इस मुक़दमे के चलते मेरा पूरा परिवार तबाह हो गया है ,हम आर्थिक तंगी के शिकार हो गए ,मकान बिक गया ,अब मैं ज़िंदा नहीं रहना चाहता हूँ ख़ुदकुशी करना चाहता हूँ ,मेरी मौत के लिए मेरी ससुराल के लोग जिम्मेदार होंगे .''
ये था उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के जानकीपुरम सेक्टर -सी में रहने वाले पुष्कर सिंह का ख़ुदकुशी से पहले लिखा गया पत्र ,जिसे लिखने के बाद ६ फरवरी २००८ को पुष्कर ने फांसी का फंदा गले में डाल कर ख़ुदकुशी कर ली .
दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक 'पवित्र बंधन 'में एक पात्र मीनाक्षी ,जो कि एक एडवोकेट है और धारावाहिक के नायक गिरीश रॉय चौधरी की मृतक पत्नी की सहेली ,वह गिरीश राय चौधरी से एकतरफा पागलपन की हद तक प्यार करती है और उसे पाने के लिए किसी भी हद तक गुज़र जाने को तैयार है .अपने इस प्रयास में विफल रहने पर वह स्वयं को चोटें मारती है ,स्वयं के कपडे फाड़ती है और पुलिस लेकर पहुँच जाती है गिरीश राय चौधरी के घर ,ये इलज़ाम लेकर कि गिरीश ने उसके साथ 'बलात्कार का प्रयास किया है '.
ये दोनों ही मामले ऐसे हैं जो संविधान द्वारा दिए गए प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण के मूल अधिकार से एक हद तक पुरुष जाति को वंचित करते हैं .पुरुषों ने महिलाओं पर अत्याचार किये हैं ,उनके साथ बर्बर व्यवहार किये हैं किन्तु ये आंकड़ा अधिकांशतया होते हुए भी पूर्णतया के दायरे में नहीं आता .अधिकांश पुरुषों ने अधिकांश महिलाओं के जीवन को कष्ट पहुँचाया है किन्तु इसका तात्पर्य यह तो नहीं कि सभी पुरुषों ने महिलाओं को कष्ट पहुँचाया है .अधिकांश महिलाएं पुरुषों के द्वारा पीड़ित रही हैं किन्तु इस बात से ये तो नहीं कहा जा सकता कि सभी महिलाएं पुरुषों के द्वारा पीड़ित रही हैं और इसीलिए अधिकांश के किये की सजा अगर सभी को दी जाती है तो ये कैसे कहा जा सकता है कि संविधान द्वारा सभी को जीने का अधिकार दिया जा रहा है .जीने का अधिकार भी वह जिसके बारे में स्वयं संविधान के संरक्षक उच्चतम न्यायालय ने मेनका गांधी बनाम भारत संघ ए.आई.आर.१९७८ एस.सी.५९७ में कहा है -
''प्राण का अधिकार केवल भौतिक अस्तित्व तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें मानव गरिमा को बनाये रखते हुए जीने का अधिकार है .''
फ्रेंसिसी कोरेली बनाम भारत संघ ए.आई.आर.१९८१ एस.सी. ७४६ में इसी निर्णय का अनुसरण करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा -''अनुच्छेद २१ के अधीन प्राण शब्द से तात्पर्य पशुवत जीवन से नहीं वरन मानव जीवन से है इसका भौतिक अस्तित्व ही नहीं वरन आध्यात्मिक अस्तित्व है .प्राण का अधिकार शरीर के अंगों की संरक्षा तक ही सीमित नहीं है जिससे जीवन का आनंद मिलता है या आत्मा वही जीवन से संपर्क स्थापित करती है वरन इसमें मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी सम्मिलित है जो मानव जीवन को पूर्ण बनाने के लिए आवश्यक है .''
और ऐसे मामले जहाँ कानून से मिली छूट के आधार पर शादी के सात साल के अंदर के विवाह को दहेज़ से जोड़ देना और नारी के द्वारा स्वयं ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न करने पर पुरुष से धिक्कार पाने पर उसे बलात्कार के प्रयास का रूप दे दिया जाना सीधे तौर पर पुरुष की गरिमा पर ,जीने के अधिकार पर हमले कहें जायेंगें क्योंकि इन मामलों में नारी का पक्ष न्यायालय के सामने मजबूत रहता है और एक यह पक्ष भी न्यायालय के सामने रहता है कि नारी ऐसे मामलों में शिकायत की पहल नहीं करती है और इसका खामियाजा पुरुषों को भुगतना पड़ता है .ऐसे मामलों में सबूतों ,गवाहों की कमी यदि महिलाओं को रहती है तो पुरुषों को भी इसका सामना करना पड़ता है और अपने मामलों को साबित करना दोनों के लिए ही कठिन हो जाता है किन्तु महिला के लिए न्यायालय का कोमल रुख यहाँ पुरुषों के लिए और भी बड़ी कठिनाई बन कर उभरता है .यूँ तो अधिकांशतया नारियों पर ही अत्याचार होते हैं किन्तु जहाँ एक तरफ ख़राब चरित्र के पुरुष हैं वहीँ ख़राब चरित्र की नारियां भी हैं और इसका फायदा वे ले जाती हैं क्योंकि ख़राब चरित्र का पुरुष ऐसे जाल में नहीं फंसता वह पहले से ही अपने बचाव के उपाय किये रहता है जबकि अच्छे चरित्र का पुरुष उन बातों के बारे में सोच भी नहीं पाता जो इस तरह की तिकड़मबाज नारियां सोचे रहती हैं और अमल में लाती हैं .
जैसे कि हमारे ही एक परिचित के लड़के से ब्याही लड़की विवाह के कुछ समय तो अपनी ससुराल में रही और बाद में अपने मायके चली गयी और वहां से ये बात पक्की करके ही ससुराल में आई कि लड़का ससुराल से अलग घर लेकर रहेगा .लड़के के अलग रहने पर वह आई और कुछ समय रही और बाद में एक दिन जब लड़का कहीं बाहर गया था तो घर से अपना सामान उठाकर अपने भाइयों के साथ चली गयी और अपने घर जाकर अपने पति पर दहेज़ का मुकदमा दायर कर दिया ,सबसे अलग रहने के बावजूद घर के अन्य सभी को भी पति के साथ ४९८-ए के अंतर्गत क्रूरता के घेरे में ले लिया .स्थिति ये आ गयी कि लड़के के मुंह से यह निकल गया -''कि बस अब तो ऊपर जाने के मन करता है .''वह तो बस भगवान की कृपा कही जाएगी या फिर उसके घरवालों का साथ कि अपनी कोई जमीन बेचकर उन्होंने लड़की वालों को १० लाख रूपये दिए और लड़के को ख़ुदकुशी और खुद को जेल जाने से बचाया किन्तु अफ़सोस यही रहा कि कानून कहीं भी साथ में खड़ा नज़र नहीं आया .
ऐसे ही ये बलात्कार या बलात्कार का प्रयास का आरोप है जिसमे या तो लम्बी कानूनी कार्यवाही या लम्बी जेल और या फिर ख़ुदकुशी ही बहुत सी बार निर्दोष चरित्रवान पुरुषों का भाग्य बनती है .हमारी जानकारी के ही एक महोदय का अपनी संपत्ति को लेकर एक महिला से दीवानी मुकदमा चल रहा है और वह महिला जब अपने सारे हथकंडे आज़मा कर भी उन्हें मुक़दमे में पीछे न हटा पायी तो उसने वह हथकंडा चला जिसे सभ्य समाज की कोई भी महिला कभी भी नहीं आज़माएगी .उसने इन महोदय के एकमात्र पुत्र पर जो कि उससे लगभग १५ साल छोटा होगा ,पर यह आरोप लगा दिया कि उसने मेरे घर में घुसकर मेरे साथ 'बलात्कार का प्रयास 'किया .वह तो इन महोदय का साथ समाज के लोगों ने दिया और कुछ राजनीतिक रिश्तेदारी ने जो इनका एकमात्र पुत्र जेल जाने से बच गया और उसका जीवन तबाह होने से बच गया किन्तु कानून के नारी के प्रति कोमल रुख ने इस नारी के हौसलों को ,जितने दिन भी वह इन्हें इस तरह परेशान रख सकी से इतने बुलंद कर दिए कि वह आये दिन जिस किसी से भी उसका कोई विवाद होता है उसे बलात्कार का प्रयास का आरोप लगाने की ही धमकी देती है और कानून कहीं भी उसके खिलाफ खड़ा नहीं होता बल्कि उसे और भी ज्यादा छूट देता है .भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा १४६[३] में अधिनियम संख्या ४ सं २००३ द्वारा परन्तुक अंतःस्थापित कर कानून ने ऐसी ही छूट दी है .जिसमे कहा गया है -
[बशर्ते कि बलात्कार या बलात्कार करने के प्रयास के अभियोजन में अभियोक्त्री से प्रतिपरीक्षा में उसके सामान्य अनैतिक चरित्र के विषय में प्रश्नों को करने की अनुज्ञा नहीं होगी .]
क्या यही है कानून कि एक निर्दोष चरित्रवान मात्र इसलिए अपमानित हो ,जेल काटे कि वह एक पुरुष है .अगर बाद में कानूनी दांवपेंच के जरिये वह अपने ऊपर लगे आरोपों से मुक्ति पा भी लेता है तब भी क्या कानून उसके उस टुकड़े-टुकड़े हुए आत्मसम्मान की भरपाई कर पाता है जो उसे इस तरह के निराधार आरोपों से भुगतनी पड़ती है ?क्या ज़रूरी नहीं है ऐसे में गिरफ़्तारी से पहले उन मेडिकल परीक्षण ,सबूत ,गवाह आदि का लिया जाना जिससे ये साबित होता हो कि पीड़िता के साथ यदि कुछ भी गलत हुआ है तो वह उसी ने किया है जिस पर वह आरोप लगा रही है .ऐसे ही दहेज़ के मामले ,क्रूरता के मामले जिस तरह एकतरफा होकर महिला का पक्ष लेते हैं क्या ये कानून के अंतर्गत सही कहा जायेगा कि निर्दोष सजा पाये और दोषी खुला घूमता रहे .आज कितने ही मामलों में महिलाएं ही पहले घर वालों के द्वारा की गयी जबरदस्ती में शादी कर लेती हैं और बाद में उस विवाह को न निभा कर वापस आ जाती हैं और दहेज़ कानून का दुरूपयोग करती हैं .कानून को गंभीरता से इन मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के लिए सही व्यवस्था करनी ही होगी अन्यथा इस देश में मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार पुरुषों को भी है यह बात भूलनी ही होगी .
शालिनी कौशिक
(एडवोकेट)
10 से 5 - कौन खरीदता /पीता शराब
Written By Shalini kaushik on रविवार, 26 जून 2022 | 10:00 am
यूपी में आज नहीं मिलेगी शराब, सरकार ने घोषित किया ड्राई डे, आबकारी विभाग में अपर आयुक्त हरिश्चंद्र ने बताया कि आज ड्राई डे घोषित किया गया है, जिसके चलते शराब की दुकानों को सुबह 10 से शाम 5 बजे तक पूरी तरह से बंद रखा जाएगा. इसके अलावा सरकारी भांग की दुकानें भी आज पूरी तरह से बंद रखी जाएंगी. अगर उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश की गुणवत्ता की जांच की जाए तो इसे शून्य प्रभावी ही कहा जाएगा क्योंकि शराब आज के पुरुष समाज की एक आवश्यक आवश्यकता के रूप में जगह बना चुकी है और यह एक आम चलन बन चुका है कि गरीब और मजदूर वर्ग का व्यक्ति दिन भर मजदूरी करता है और शाम होते ही चल देता है शराब की दुकान की तरफ, मयखाने की शरण में, शाम मतलब 5 बजे के बाद और शराब की दुकानों और मयखाने के खुलने के समय के बारे में तो हमारे महान कवि डॉ हरिवंशराय बच्चन भी अपनी विश्व प्रसिद्ध रचना " मधुशाला" तक में इशारा कर कह गए हैं -
किरण किरण में जो छलकाती जाम जुम्हाई का हाला,
पीकर जिसको चेतनता खो लेने लगते हैं झपकी
तारकदल से पीनेवाले, रात नहीं है, मधुशाला।।"
द्रौपदी मुर्मू - महिलाओं का गौरव
Written By Shalini kaushik on बुधवार, 22 जून 2022 | 10:35 am
आज भारत में बहुत परिवर्तन आये हैं. बहुत से परिवर्तन दुःखद हैं तो कुछ सुखद भी हैं और उन परिवर्तनों में सबसे बड़े परिवर्तन ये हैं कि आज भारत का वह समाज, जो हमेशा से हमारे आदिवासी समाज के अधिकार छीनने का कार्य करता था, आज वह उसे समाज में अग्रणी का अधिकार देने के लिए आगे आ रहा है और यही नहीं कि आदिवासी समाज को बल्कि आदिवासी समाज की महिला को देश का सर्वोच्च पद देने की तैयारी की जा रही है और वह भी उस दल द्वारा, जिसने कभी उच्च पद के लिए अपने दल की ही बहुत सी श्रेष्ठ व्यक्तित्व की धनी महिलाओं की अनदेखी की, वह भी मात्र इसलिए कि वे महिलाएं थी, पर आज ये परिवर्तन आ रहे हैं भले ही राजनीतिक लाभ लेने के लिए आ रहे हैं, किन्तु सुखद हैं क्योंकि इनसे सदियों से दबे कुचले आदिवासी समुदाय और महिलाओं को आगे बढ़कर अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सुअवसर प्राप्त हो रहे हैं. एक संघर्षशील महिला, आदिवासी समुदाय की महिला श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को एनडीए का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है और जहां तक आज संसद में और भारतीय राज्यों की विधानसभाओं में एनडीए का प्रतिनिधित्व है, द्रौपदी मुर्मू जी का भारत का राष्ट्रपति चुना जाना लगभग तय है. ऐसे में, भले ही राजनीतिक लाभ के लिए, महिला सशक्तिकरण के एक और नए युग के आरंभ के लिए भारतीय जनता पार्टी, एनडीए का बहुत बहुत धन्यवाद और देश की आगामी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी और समस्त भारतीय महिलाओं को हार्दिक शुभकामनाएं.
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)
कर्मवीर पिता -स्व बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट - सादर नमन
Written By Shalini kaushik on शनिवार, 18 जून 2022 | 10:12 pm
बाल श्रम पर रोक लगे
Written By Shalini kaushik on रविवार, 12 जून 2022 | 9:59 am
उठे न बोझ खुद का भी उठाये रोड़ी ,सीमेंट को .”
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”लोहा ,प्लास्टिक ,रद्दी आकर बेच लो हमको ,
हमारे देश के सपने कबाड़ी कहते हैं खुद को .”
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”खड़े हैं सुनते आवाज़ें ,कहें जो मालिक ले आएं ,
दुकानों पर इन्हीं हाथों ने थामा बढ़के ग्राहक को .”
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”होना चाहिए बस्ता किताबों,कापियों का जिनके हाथों में ,
ठेली खींचकर ले जा रहे वे बांधकर खुद को .”
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”सुनहरे ख्वाबों की खातिर ये आँखें देखें सबकी ओर ,
समर्थन ‘शालिनी ‘ का कर इन्हीं से जोड़ें अब खुद को .”
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भाग लें - पुरुस्कार जीतें-जय श्री राम 🙏🌹🙏
Written By Shalini kaushik on गुरुवार, 9 जून 2022 | 2:27 pm
Written By yayawer on बुधवार, 8 जून 2022 | 12:21 pm
कुलदेवी कुलदेवता वर्णन
यह पुस्तक महत्वपूर्ण और हर घर में रखने और सबके पढने लायक है,
कुलदेवी व इष्टदेवी के रूप में ओसियां की महिषमर्दिनी स्वरूपा सच्चियाय माता, परमार उपलदा द्वारा ओसियां बसाने से लेकर परमार व सांखला वंश का माता सचियाय के साथ सम्बंध के बारे में विवरण दिया है।
साथ ही इसमें सच्चियायमाता कथामाहात्म्य भी पाठकों के लिये प्रस्तुत किया है। सांखला बंधुओं की परमार के रूप में उत्पति के समय प्रथम आराध्या देवी के रूप में कात्यायनी शक्तिपीठ माउंट आबू की अर्बुदादेवी-अधर माता और उनके मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथायें भी दी गई हैं। अर्बुदांचल की प्रतिरक्षक अधर देवी के मंदिर की प्राचीनता, देवी के अधर और पादुका आदि के बारे में बताया गया है। सांखलाओं की कुलदेवी के मंदिर आसोप के जाखळ माता मंदिर के बारे में पूर्ण जानकारी और साथ में रेण के जाखण माता मंदिर और यक्षिणी के बारे में जानकारी के साथ उनकी पूजा पद्धति के बारे में बताया गया है। पंवार वंश की इष्टदेवी उज्जैन की गढ़कालिका माँ हरसिद्धिभवानी और हमारे पूर्वज महान सम्राट विक्रमादित्य से जुड़ी कहानी बताई गई है।
प्रकाशक- कलम कला प्रकाशन, लाडनूं - ३४१३०६
पुस्तक का मूल्य- ५०० रुपैये
एक दिन ..
Written By mridula pradhan on सोमवार, 6 जून 2022 | 1:48 pm
एक दिन..
अकेली मैं उदास
बुलाने बैठी
आसमान में उड़ते हुए
चिड़ियों को
चिड़ियों ने कहा-
'रात होनेवाली है
घर जाने की
जल्दी है'.
सूरज को गोद में लिए
पश्चिम की लाली से
बोली मैं
कुछ देर के लिए
मेरे पास
आओ तो
'विदा करनी है
सूरज को,
कैसे आऊंगी इस वख्त
कहो तो?'..
थोड़ी ही देर बाद
आहट हुई
रात के आने की
दरवाज़े पर ही
खड़ी-खड़ी
रोकने लगी रात को
कि ठहर कर जाना
'अभी-अभी आयी हूँ '
रात ने कहा-
'मुश्किल है इन दिनों
बरसता है शबनम
सारी-सारी रात
भींगने का मौसम है'..
चाँद से बोली
आओ सितारों के साथ
कुछ बात करें
चाँद ने कहा-
'घूमना है तारों के साथ
आज की रात
कैसे बात करें?'..
फूलों,भौरों ,तितलियों ने
रचाया था उत्सव
स्वच्छंद विचरते हुए
मेघ-मालाओं ने कहा-
'बरसना है अभी और'..
हवाओं को जाना था
खुशबू लेकर
दूर-दराज़..
नदियों,झीलों को
करनी थी अठखेलियाँ ..
और..पहाड़ पर जमी हुई
बर्फ़ ने कहा-
'बहुत दूर है तुम्हारा घर'..
झरनों से गिरता हुआ
कल-कल
दूबों पर फैली
हरियाली
ताड़,खजूर ,युक्लिप्टस
और चिनारों ने
सुना दी अपनी-अपनी..
और हारकर कहा मैंने
अपने मन से
तुम मेरे पास रहना..
'मुझे नहीं रहना'
झुँझलाकर बोला-
मेरा अपना ही मन
'मैं जा रहा हूँ
बच्चों के पास
आ जाऊँगा मिल-मिलाकर
'तुम यहीं रहो'..
लेकिन..कितने दिन हो गये
मन तो
लौटा ही नहीं..
मेरे बच्चों,
तुमलोग ऐसा करना
वापस भेज देना
समझा-बुझाकर मेरा मन
कि..मैं यहाँ
अकेली रह गयी हूँ..
लघुत्तम विचारौषधि: कामनाएं
योगी जी और पर्यावरण दिवस - गहरा नाता
Written By Shalini kaushik on रविवार, 5 जून 2022 | 8:15 am
माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी और पर्यावरण दिवस का एक दूसरे से बहुत गहरा नाता है. संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए पांच जून साल 1972 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की घोषणा की. इस तरह दोनों का ही जन्म दिवस एक ही दिन, एक ही साल हुआ ये अलग बात है कि पर्यावरण दिवस पहली बार 5 जून 1974 को मनाया गया. आज हमारी धरती तप रही है और इस तपन का मुख्य असर हम अपने पेड़ पौधों पर देख सकते हैं, सुबह पानी से अच्छी सिंचाई के बाद भी वे शाम तक सूख जाते हैं, पनपने का तो सवाल ही नहीं है बस किसी तरह वे जिंदा ही बच जाएं. कारण इसके हम खुद हैं, सामान्य पँखों से काम नहीं चलता है अब हर किसी को ए सी चाहिए, एक बार बताइए सच्चे मन से - कितने ए सी वालों ने एक भी पौधा अपनी जिंदगी में इस धरती पर लगाया है. योगी आदित्यनाथ जी द्वारा हर साल लाखों पौधे लगाए जा रहे हैं हमारी धरती की रक्षा के लिए, क्या आपका कोई दायित्व नहीं है उस धरती के लिए जिस पर आपका घर बनता है, आपका परिवार रहता है. अगर कोई दायित्व स्वीकार करते हैं तो आगे आइए और कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएं और धरती माँ का कर्ज चुकाएं और हाँ पौधा लगाते हुए अपना फोटो लेकर सोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करें ताकि आप अन्यों की प्रेरणा का स्रोत बनें.
माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी को जन्म दिवस की और आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏
द्वारा
शालिनी कौशिक एडवोकेट
कैराना /कांधला
बीसीआई विचार करे
Written By Shalini kaushik on गुरुवार, 2 जून 2022 | 9:29 am