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मानव मानवता को वर ले

Written By Surendra shukla" Bhramar"5 on रविवार, 3 मई 2020 | 4:34 pm


हमने मिलकर थाल बजाई,
शंख बजा फिर ज्योति जगाई,
मंत्र जाप मन शक्ति अाई,
योग ध्यान आ करें सफाई,
जंग जीत हम छा जाएंगे,
विश्व गुरु हम कहलाएंगे,
आत्मशक्ति अवलोकन करके,
एकाकी ज्यों गुफा में रह के,
जन मन का कल्याण करेंगे
द्वेष नहीं हम कहीं रखेंगे
प्रेम से सब को समझाएंगे
मानव मानवता को वर ले
पूजा प्रकृति की जी भर कर ले
मां है फिर गोदी में लेगी
पीड़ा तेरी सब हर लेगी
हाथ जोड़ बस करे नमन तू
पाप बहुत कुछ दूर रहे तू
जल जीवन कल निर्मल होगा
मन तेरा भी पावन होगा
मां फिर गले लगा लेगी जब
खेल खेलना रमना बहुविधि
सब को गले लगाना फिर तुम
हंसना खूब ठ ठा ना जग तुम।

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
UTTAR PRADESH
10APRIL2020
7.11 AM
उम्र भर जलता रहा चराग़-ए-आरज़ू अपना,
लोग कहते रहे बड़ी मुख़तसर दीवाली थी !!

रंग-ओ-बू फाख्ता थे जिस गुलों की महफ़िल में,
उसी महफ़िल में मिरी सांझ ढलने वाली थी !!

इम्तहानों में गुज़ारी थी ज़िन्दगी हमनें,
ज़िन्दगी क्या थी, कोई दस्ता-ए-सवाली थी !!

लुटे पड़े थे आंधियों से दरख़्त औे, मकां,
अब न जाले थे कहीं,और न कहीं जाली थी !!

वो गया तो कर गया,मेरे हवाले मुझको,
वो नज़ाकत वो मोहब्बत, तो बस ख़याली थी !!


- सागर

Founder

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Saleem Khan