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बंदर और उत्तर प्रदेश

Written By Shalini kaushik on गुरुवार, 3 अगस्त 2023 | 12:49 pm

 


    आज उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चाओं में अगर कोई शब्द है तो वह है " विकास", जो कि सत्ता पक्ष की नजरों में बहुत ज्यादा हो रहा है और विपक्ष की नजरों में गायब हो गया है किन्तु जो सच्चाई आम जनता के सामने है, जिस भयावह सच को उत्तर प्रदेश की जनता भुगत रही है, वह यह है कि घर के अंदर, घर के बाहर, मन्दिर, मस्जिद, कार्यस्थल, न्यायालय - कचहरी परिसर, सडकें, बिजली के खंबे, पानी की टंकियां, खुले घास के मैदान, वाहनों के पार्किंग स्थल आदि आदि क्या क्या कहा जाए, सभी बन्दरों के परिवार - खानदान से आतंकित हैं और इनके खौफ में कोई अपनी जिंदगी से हाथ धो रहा है तो कोई अपने हाथ पैर से तो कोई अपने बच्चों या बूढे माँ बाप से, किन्तु आश्चर्य इस बात का है कि जनता के हृदय पर विराजमान सरकार के दिल पर तो क्या असर करेगी, उसके कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही है.

         जबसे इस धरती पर जन्म लिया, बंदरों की बहुत बड़ी संख्या का सामना किया है. घर के ऊंचे ऊंचे जीनों से बन्दरों से बचने के लिए छलांग तक लगाई है. मम्मी को दो दो बार, एक बार रात में छत पर सोते समय और एक बार रसोई से बाहर आते समय बन्दरों ने काटा है, पापा को कैराना कचहरी में कोर्ट की ओर जाते समय बन्दर ने काटा है. मुझे खुदको बन्दर ने छत पर पकड़ लिया था, वो तो और बन्दरों के शोर को सुनकर मेरे मुँह के पास तक पहुंचा बन्दर मुझे छोडकर भाग गया था और मैं वे दर्दनाक इंजेक्शन लगवाने से बच गई थी जो मम्मी को दो बार और पापा को एक बार लगवाने पड़े थे.

    यही नहीं, दुःखद स्थिति तब रही जब कैराना के भाजपा नेता अनिल चौहान जी की धर्मपत्नी को बन्दरों के हमले के कारण असमय मृत्यु का शिकार होना पड़ा. बन्दरों का आतंक, उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एक लम्बे समय से फैला हुआ है, शामली, कैराना, कांधला, थाना भवन में बन्दरों के हमले में आम आदमी को घातक दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ रहा है, 8 सितंबर 2021 को कैराना के भाजपा नेता अनिल चौहान की पत्नी सुषमा चौहान बन्दरों के हमले में छत से गिरी थी और मृत्यु का शिकार हुई थी, शामली के काका नगर में एक युवक को 9 मार्च 2020 को बन्दरों ने नोच नोच कर घायल कर दिया था जिससे बचने के लिए युवक ऊंचाई से गिरकर मृत्यु का शिकार हो गया था, थाना भवन में एक बच्ची को बन्दरों ने बुरी तरह घायल कर दिया था. प्रतिदिन क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में बन्दरों के हमले में घायल लोगों द्वारा बहुत बड़ी संख्या में जाकर एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगवाए जा रहे हैं. वर्तमान में हाल यह है कि पूरे प्रदेश में कभी कोई पिता अपने बच्चे को बचाते हुए बन्दरों के हमले में छत से गिर रहा है और चोटिल हो रहा है. कभी कहीं बन्दर वकीलों के कोट, फाइल उठा कर उन्हें घण्टों परेशान कर रहे हैं. रोज अखबारों में कहीं न कहीं की बंदरों के हमलों की खबरें आती रहती हैं, कहीं बन्दर घरों की दीवारें तोड़ रहे हैं, कहीं हरे भरे बाग उजाड़ रहे हैं, पेड़ों पर लगे चिड़ियाओं के घौंसले तोड़ रहे हैं, कहीं बिजली के खंबे से लगे तारों पर झूल कर उन्हें अपने आवा जाही का जरिया बना रहे हैं, जिससे बिजली के तार खम्भों पर ढीले हो रहे हैं और बिजली के आने पर स्पार्किंग के कारण खंबे के नीचे खड़े हुए लोग चिंगारियों से झुलस रहे हैं. रोज सरकारी अस्पतालों में बंदरों के काटने पर इंजेक्शन लगवाने वालों की भीड़ रहती है किन्तु उत्तर प्रदेश की सरकार तक एक सारस की खबर तो पहुंच जाती है किन्तु बन्दरों के आतंक से दहले ज़न जीवन की कोई सूचना सरकार के पास या तो पहुंच ही नहीं रही है या सरकार ने बंदरों के प्रति धार्मिक आस्था को अधिक महत्त्व देते हुए ज़न ज़न की पीड़ा से मुँह मोड़ लिया है.

      मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़ आदि कुछ जगहों पर बन्दरों के हमले में मारे गए या घायल हुए लोगों के लिए वन विभाग द्वारा मुआवजे का प्रावधान किया है किन्तु उत्तर प्रदेश में ऐसी कोई व्यवस्था वन विभाग द्वारा नहीं की गई है. उत्तर प्रदेश की सरकार उदार है, जीव मात्र के सुरक्षित जीवन को लेकर संवेदनशील है किन्तु इंसान को, आम जनता को भी तो एक सुरक्षित जीवन की जरूरत होती है. सामर्थ्यवान लोग जाल आदि लगाकर, कुत्ते पालकर अपने जीवन को सुरक्षित कर लेते हैं किन्तु जिनके लिए दो वक़्त की रोटी, रोज पहनने के कपड़े और सर पर छत को जुटाना ही भारी हो क्या वे बन्दरों के हमलों से बचने के अधिकारी नहीं हैं?

       उत्तर प्रदेश की एक जागरूक नागरिक होने के नाते मेरा माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी से कर बद्ध निवेदन है कि आम जनता के प्रति भी थोड़ा उदार रवैय्या अपनाएं, ताकि वह अपनी रोज की जरूरतों को पूरा करने की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर सके और पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की राह पर चलते हुए जिन पौधों का रोपण किया है उन पौधों को बन्दरों के हमलों से बचाते हुए पेड़ बनते हुए देख सकें. साथ ही, जनता की परेशानी को देखते हुए बंदरों के हमलों में घायल या मारे गए लोगों की सहायता हेतु उत्तर प्रदेश के वन विभाग को लंगूरों की व्यवस्था और मुआवजे का प्रावधान किए जाने का भी आदेश दें.

शालिनी कौशिक एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

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