2011 में 28 सितंबर को शामली जिले का सृजन किया गया. तब उसमें केवल शामली और कैराना तहसील शामिल थी. इससे पहले शामली और कैराना तहसील मुजफ्फरनगर जनपद के अंतर्गत आती थी. कुछ समय बाद शामली जिले में ऊन तहसील बनने के बाद अब शामली जिले के अंतर्गत तीन तहसील कार्यरत हैं. 2018 के अगस्त तक शामली जिले का कानूनी कार्य मुजफ्फरनगर जिले के अंतर्गत ही कार्यान्वित रहा किन्तु अगस्त 2018 में शामली जिले की कोर्ट शामली जिले में जगह का चयन न हो पाने के कारण कैराना में आ गई और इसे नाम दिया गया -" जिला एवं सत्र न्यायालय शामली स्थित कैराना. "
2018 से अब तक मतलब अगस्त 2023 तक शामली जिले के मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर जिला जज की कोर्ट के लिए जगह का चयन हो जाने के बाद शासन द्वारा 51 एकड़ भूमि जिला न्यायालय कार्यालय और आवासीय भवनों के लिए आवंटित की गयी थी, जिसमें चाहरदीवारी के निर्माण के लिए 4 करोड़ की धन राशि अवमुक्त की गई थी जिससे अब तक केवल बाउंड्रीवाल का ही निर्माण हो पाया है. उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा जिला न्यायालय कार्यालय और आवासीय भवनों के निर्माण के लिए 295 करोड़ रुपये का एस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा गया था किंतु शासन द्वारा वर्तमान तक भी कोई धनराशि अवमुक्त नहीं की गई.
अब तक हमने बात की केवल उन महत्वाकांक्षाओं की जिनके मद्देनजर बगैर किसी व्यवस्थित योजना के शामली जिले का निर्माण पहले प्रबुद्ध नगर के नाम से और बाद में जनता के दबाव में शामली जिले के ही नाम से कर दिया गया. अब यदि वास्तविकता की बात करें तो शामली जिले में केवल तहसील स्तर का ही कार्य सम्पन्न हो रहा है. जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि वहां कानूनी विभाग लगभग शून्यता की स्थिति में है और वहां जिला जज की कोर्ट की स्थापना के साथ साथ मुंसिफ कोर्ट से लेकर जिला जज की कोर्ट की स्थापना करने के लिए बहुत बड़े स्तर का कार्य सम्पन्न करना होगा, जबकि शामली जिले की तहसील कैराना में जिला जज की कोर्ट से एक नंबर कम की कही जाने वाली कोर्ट ए डी जे कोर्ट की स्थापना ही 2011 में हो चुकी है और कैराना तहसील में स्थापित न्यायालय परिसर शामली जिले के मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और फिर ज़िला न्यायालय शामली के कार्यालय और आवासीय भवनों का निर्माण अब भी तो शामली मुख्यालय पर नहीं किया जाना है अब भी तो वह शामली के गाँव बनत में किया जाना है और वह भी केवल शामली के अधिवक्ताओं और जनता की इस जिद पर कि शामली जिले का ही सर ऊंचा रहना चाहिए, जबकि कैराना भी तो शामली जिले की ही तहसील है और अगर उत्तर प्रदेश सरकार कैराना के न्यायालय तक के क्षेत्र को शामली जिले के ही क्षेत्र में सम्मिलित कर यहां स्थापित न्यायालयों को मुख्य न्यायालय का दर्जा प्रदान करती है तो जितने बजट की आवश्यकता शामली जिले के बनत गाँव में न्यायालय भवनों हेतु है उसके एक चौथाई से भी कम खर्च में शामली जिले के जनपद न्यायालय की समस्या का निवारण हो जाएगा, किन्तु मानवीय हठ इस साधारण सी बात को एक प्रदेश स्तरीय समस्या का रूप प्रदान कर रही है.
ऐसे में, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से विनम्र निवेदन है कि वे कैराना की सुदृढ़ न्यायिक व्यवस्था, कैराना में फैली अपराधियों की जड़ें और शामली जिले की बदहाल कर देने वाली जाम की समस्या को देखते हुए कैराना में ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय को शामली जिले का मुख्य न्यायालय घोषित करें और यदि इसके लिए उन्हें कैराना में न्यायालय परिसर तक के क्षेत्र को शामली जिले के अंतर्गत ही घोषित करना पड़े तो करें क्योंकि शामली जिले में जिस जगह का चयन जिला कोर्ट के लिए किया गया है वहां तक क्षेत्र के निवासियों का पहुंचना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है क्योंकि शामली जिला इतना सघन रूप से बसा हुआ है कि मात्र एक किलोमीटर पार करने में भी 1-2 घण्टे से ऊपर का समय लग रहा है. ऐसे में न्याय पाने के लिए पीड़ितों को या तो रात में ही घर से निकलना पड़ेगा या फिर न्याय पाने की आशा को ही खो देना पड़ेगा. साथ ही, यदि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कैराना स्थित जनपद न्यायालय को मुख्य न्यायालय का दर्जा दिया जाता है तो सरकार का बहुत सारा धन भी बचेगा और कैराना तहसील में लगभग खंडहर पड़े बहुत सारे क्षेत्र का न्यायालय और अधिवक्ताओं के चेम्बर के रूप में इस्तेमाल भी हो सकेगा.
अतः माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी कम से कम एक बार जांच कमेटी बिठाकर कैराना स्थित जनपद न्यायालय को ही शामली जिले के मुख्य न्यायालय का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करें.
🙏🙏धन्यवाद 🙏🙏
शालिनी कौशिक एडवोकेट
कैराना (शामली)
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