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योगी आदित्यनाथ इस तरह बना रहे हैं उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश

Written By Shalini kaushik on शनिवार, 26 अक्टूबर 2024 | 10:01 am

 


26 अक्टूबर 2024 के समाचारपत्रों की सुर्खियां "जिले के आठ केंद्रों पर होगी पीसीएस की प्री-परीक्षा" न केवल शामली जिले का गौरव बढ़ा रही थी बल्कि प्रदेश के युवाओं, छोटे व्यापारियों, दुकानदारों के लिए जीवन में एक नए उजाले की ऊर्जा भर रही थी.

    दैनिक अमर उजाला में प्रकाशित समाचार के अनुसार यूपीपीसीएस की परीक्षा जो पहले 26 व 27 अक्तूबर को प्रस्तावित थी, को टालकर सात और आठ दिसंबर कर दिए जाने के बाद जनपद में परीक्षा को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। परीक्षा के लिए शामली जनपद में आठ केंद्र बनाये गये हैं. जिला विद्यालय निरीक्षक जेएस शाक्य के अनुसार "इस बार जनपद में भी पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2024 का आयोजन होना है। आयोग के सचिव की ओर से पिछले दिनों डीएम को पत्र भेजकर केंद्रों की सूचना मांगी गई थी। उन्होंने बताया कि पत्र के अनुसार परीक्षा दो पाली में आयोजित होगी। जिसमें पहली पाली सुबह 9.30 से 11.30 तक रहेगी। जबकि दूसरी पाली दोपहर 2.30 से 4.30 बजे तक रहेगी। जिलाधिकारी से 17 अक्तूबर तक 480 और कम से कम 384 अभ्यर्थियों के बैठने की क्षमता वाले केंद्रों की सूची मांगी गई थी।उन्होंने बताया कि ऐसे आठ केंद्रों की सूची व कमरों की संख्या, कलक्ट्रेट से प्रत्येक सेंटर की दूरी आदि की जानकारी भेज दी गई है। केंद्रों पर सभी व्यवस्था चेक करने के बाद ही सूची को भेजा गया है. "

      उत्तर प्रदेश में अभी अगस्त माह में ही पुलिस भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें शामली जिले में भी कई परीक्षा केंद्र बनाये गये थे और अब पीसीएस की प्रारम्भिक परीक्षा के लिए फिर से वेस्ट यू पी में शामली जिले में भी परीक्षा केंद्र बनाये जाने से एक बात तो माननीय योगी आदित्यनाथ जी की उत्तर प्रदेश सरकार में साफ हो ही गई है कि अब वेस्ट यू पी का पैसा ईस्ट यू पी में नहीं जाएगा और न ही इधर के युवाओं को इलाहाबाद में परीक्षा देने जाने के लिए लंबी दूरी की ट्रेन यात्रा, गंदे होटलों में ठहरना, खाने पीने आदि की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

         अगस्त माह में आयोजित पुलिस भर्ती परीक्षा में जहां युवाओं के लिए नए स्थानों पर केंद्र होने के कारण थोड़ी आवागमन और ठहरने आदि की परेशानियां पैदा हुई वहीं छोटे दुकानदारों के लिए उनके अपने ही क्षेत्र में दूर दराज से युवाओं की भीड़ होने के कारण उनके व्यापार में तरक्की देखी गई. योगी आदित्यनाथ जी की उत्तर प्रदेश सरकार ने क्योंकि प्रदेश में युवाओं और व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए यह फैसला अभी ही लागू किया है इसलिए आरंभ में दिक्कतें आना स्वाभाविक है किन्तु यह दूरगामी प्रभाव रखता है और निश्चित रूप से पूरे उत्तर प्रदेश में इस तरह से परीक्षा भर्ती केंद्र होना न केवल युवाओं के समय, पैसे की बचत करने में कारगर होगा वहीं पूरे प्रदेश के रिक्शावालों, ठेली-खोमचा वालों, ढाबों वालों के लिए व्यापार बढ़ाएगा और इन जगहों पर होटल आदि के व्यवसाय के अवसर बढ़ाने का काम करेगा.

    इस तरह से योगी सरकार की परीक्षा केंद्र प्रणाली पूर्वी उतर प्रदेश का वर्चस्व तोड़कर वेस्ट यू पी को भी आगे बढ़ने के सुनहरे अवसर प्रदान कर रही है और उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश के पथ पर निरन्तर आगे बढ़ा रही है.

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

वकीलों से निरन्तर दुर्व्यवहार

Written By Shalini kaushik on गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024 | 6:17 am

 



सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक वकील द्वारा गलती से न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय को "न्यायमूर्ति हृषिकेश मुखर्जी" कह दिए जाने पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने तुरंत वकील को टोका और कहा कि एक वकील को न्यायाधीशों के नाम मालूम होने चाहिए। इस मामले का जिक्र करते हुए वकील ने कहा, "यह मामला न्यायमूर्ति हृषिकेश मुखर्जी के सामने था।" इस पर चीफ जस्टिस ने तुरंत उन्हें टोकते हुए कहा, "हृषिकेश मुखर्जी या न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय? अगर आप रॉय को मुखर्जी बना देंगे तो... आपको अपने जजों के नाम मालूम होने चाहिए। यह तो हद है। कृपया वेबसाइट पर जाकर नाम चेक कीजिए।"

       अपने कार्यकाल के दौरान यह कोई पहला वाकया नहीं है जब माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा वकीलों का अपमान किया गया है. जरा सी शब्दों की चूक या प्रक्रिया के पालन में थोड़ी कमी को माननीय मुख्य न्यायाधीश तुरंत नोट करते हैं और वकीलों को मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार लताड़ते या डांटते रहते हैं. वकील द्वारा जस्टिस हृषीकेश राय का नाम हृषीकेश मुखर्जी कह देना एक जरा सी संबोधन की चूक है जिसका कोई महत्त्व इतने बड़े स्तर पर नहीं होता है. न्यायालय के कार्यों के दौरान जज या न्यायाधीश के नाम का कोई स्थान नहीं होता है वहां वे केवल पद नाम से ही संबोधित किए जाते हैं इसलिए कोई जरूरी नहीं होता है कि जजों या न्यायाधीशों का नाम किसी भी वकील को आवश्यक रूप से पता होना ही चाहिए, ये अलग प्रतिभा की बात होती है जब जजों या न्यायाधीशों का नाम ही नहीं बल्कि उनकी शिक्षा, स्थाई निवास आदि का वकील को ज्ञान हो और रही बात हद की तो हद तो तब भी होनी चाहिए जब जज या न्यायाधीश वकील के किसी फार्म पर स्थानीय बार एसोसिएशन के पदाधिकारी के वकील के साथ होते हुए यह कहते हुए मना कर दे कि वह उस वकील को नहीं जानता. इस हद की ओर भी तो भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश का ध्यान जाना चाहिए कि जजों और न्यायाधीशों द्वारा ऐसा तब किया जाता है जब वकीलों के उन कागजात पर जजों या न्यायाधीशों द्वारा सत्यापन को सबंधित संस्था द्वारा आवश्यक बनाया गया है. 

शालिनी कौशिक एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

 

बदनसीब है बार एसोसिएशन कैराना

Written By Shalini kaushik on बुधवार, 2 अक्टूबर 2024 | 11:43 am

   


   आज भारतीय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मना रहे है. मैं भी देश के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले देश के इन दोनों अनमोल रत्नों को सादर श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. मैं इन दोनों महापुरुषों के योगदान को समझ सकती हूं क्योंकि मैं अपने पिता स्व बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी में इनकी छवि के एक साथ दर्शन करती हूं. कैराना में अधिवक्ताओं के उज्जवल भविष्य हेतु अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले मेरे पिता जीवन की ऐसी कोई सुविधा नहीं थी जिसे वे हासिल न कर सकते हों, जो व्यक्ति अपने संपर्कों के दम पर कैराना में सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट ले आए, ए डी जे कोर्ट ले आए, जिनके दम पर अधिवक्ता यह कह सकते हों कि हम आंदोलन करने के लिए आगे बढ़ जाते थे क्योंकि पता था कि बाबू कौशल हमें बचा ही लेंगे, वह व्यक्ति अगर केवल अपनी प्रेक्टिस पर ध्यान देता तो कितनों का ही कहना है कि वे अपनी कोठी कार बना सकते थे किंतु उन्होंने नहीं चुना यह सुख आराम, उन्होंने चुना अधिवक्ता हित और अधिवक्ताओं का उज्जवल भविष्य और इसी कारण वे शायद पहले ऐसे अध्यक्ष बार एसोसिएशन कैराना रहे होंगे जिन्होंने 26 बार बार एसोसिएशन का अध्यक्ष पद सम्भालने के बावजूद अपनी सारी जिंदगी अपनी शादी में मिले सूट में गुजार दी. जब उन्होंने अपना शरीर छोड़ा तो सूट पैंट से भरे कई संदूक छोड़कर नहीं गए बल्कि एक अटैची में कई सालों से पहनी दो पैंट, दो कमीज और दो पाजामे छोडकर गए और एक जर्जर सूट जो अपनी शादी 18 नवंबर 71 से 1 मार्च 2015 तक पहनते आ रहे थे. 

    बदनसीब है बार एसोसिएशन कैराना जिसने पूरे वेस्ट यू पी में एक मजबूत पहचान देने वाले, कैराना के अधिवक्ताओं को सुरक्षित भविष्य देने वाले और अधिवक्ताओं के दुख में साथ खड़े रहने वाले, कैराना कचहरी के अधिवक्ताओं को ही अपना परिवार समझने वाले स्व बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट के त्याग, मेहनत, ईमानदारी का अपमान कर ऐसे व्यक्तित्व के दोबारा जन्म लेने पर ही रोक लगा दी. आज पितृ विसर्जनी अमावस्या के दिन मैं तो यही कहूँगी कि इस धरती पर कभी भी जन्म न लें मेरे पिता जैसे लोग ताकि कभी भी किसी भी संस्था को अपना सब अर्पण कर ऊंचा उठाने वाला व्यक्ति न मिले.

शालिनी कौशिक एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

Founder

Founder
Saleem Khan