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पवित्र प्रेम ही सारी समस्याओं का एकमात्र हल है

Written By DR. ANWER JAMAL on शुक्रवार, 20 जनवरी 2012 | 3:17 pm

अपने प्रेम को पवित्र कैसे बनाएं ?
चरम सुख के शीर्ष पर औरत का प्राकृतिक अधिकार है और उसे यह उपलब्ध कराना
उसके पति की नैतिक और धार्मिक ज़िम्मेदारी है.
प्रेम को पवित्र होना चाहिए और प्रेम त्याग भी चाहता है.
धर्म-मतों की दूरियां अब ख़त्म होनी चाहिएं. जो बेहतर हो उसे सब करें और जो ग़लत हो उसे कोई भी न करे और नफ़रत फैलाने की बात तो कोई भी न करे. सब आपस में प्यार करें. बुराई को मिटाना सबसे बड़ा जिहाद है.
जिहाद करना ही है तो सब मिलकर ऐसी बुराईयों के खि़लाफ़ जिहाद करें जिनके चलते बहुत सी लड़कियां और बहुत सी विधवाएं आज भी निकाह और विवाह से रह जाती हैं।
हम सब मिलकर ऐसी बुराईयों के खि़लाफ़ मिलकर संघर्ष करें.
आनंद बांटें और आनंद पाएं.
पवित्र प्रेम ही सारी समस्याओं का एकमात्र हल है.

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http://ahsaskiparten.blogspot.com/2012/01/love-jihad.html

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1 टिप्पणियाँ:

शिव मिश्रा Shive Mishra ने कहा…

प्रेम तो पवित्रता का पर्याय होता है . शायद प्रेम से अधिक कुछ भी पवित्र नहीं होता . जो पवित्र नहीं वह कम से प्रेम तो नहीं हो सकता और प्रेम तो पवित्रता का पर्याय होता है . शायद प्रेम से अधिक कुछ भी पवित्र नहीं होता . जो पवित्र नहीं वह कम से प्रेम तो नहीं हो सकता और प्रेम तो पवित्रता का पर्याय होता है . शायद प्रेम से अधिक कुछ भी पवित्र नहीं होता . जो पवित्र नहीं वह कम से प्रेम तो नहीं हो सकता और चाहे कुछ भी हो . प्रेम के दायरे में सिर्फ आदमी और औरत ही क्यों ये तो आत्मीय अहसास है जो आदमी औरत पशु पक्षी प्रकृति और वह सब कुछ जो आप सोच सकते है , हो सकता है . आप जिस प्रेम की बात एक आदमी और एक औरत के मध्य कर रहे हैं वह शायद प्रेम का अति शूक्ष्म अंश है .


शिव प्रकाश मिश्रा
http://shivemishra.blogspot.com

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