हम देते हैं – हम लेते हैं
हम ही तो हैं भ्रष्टाचारी !
हम ही उनको पैदा करते
हम ही बड़े हैं – अत्याचारी !!
पाक-साफ़ पहले खुद होकर
भाई रोज बजाओ घंटी !
ऊँगली एक उठाते उस पर
तीन इशारा तुम पर करती !!
एक बताती – ऊपर तुम हो
कुछ करने को तुम को कहती !!
अपने घर की रोज सफाई
काहे ना ये जनता करती !
वो जो ‘पागल” बौराए हैं
जिनसे डर है हम को लगता !
रोटी उनको हम ही डालें
कौन कहे है ना वो सुनता !!
प्यार में तेरे जो शक्ति है
कर उपयोग मोम तू कर दे !
अगर बना है लोहा फिर भी
चला हथौड़ा सीधा कर दे !!
अंधियारे से उजियारे ला !
दर्पण पग-पग उसे दिखा दे !!
वरना कल जनता जो उसको
चौराहे – खींचे – लाएगी !
भाई -बाप- पुत्र है तेरा
पल-पल याद दिलाएगी !!
चुल्लू भर पानी खोजोगे
शर्म तुझे भी आएगी !!
हम ही तो हैं भ्रष्टाचारी !
हम ही उनको पैदा करते
हम ही बड़े हैं – अत्याचारी !!
पाक-साफ़ पहले खुद होकर
भाई रोज बजाओ घंटी !
ऊँगली एक उठाते उस पर
तीन इशारा तुम पर करती !!
एक बताती – ऊपर तुम हो
कुछ करने को तुम को कहती !!
अपने घर की रोज सफाई
काहे ना ये जनता करती !
वो जो ‘पागल” बौराए हैं
जिनसे डर है हम को लगता !
रोटी उनको हम ही डालें
कौन कहे है ना वो सुनता !!
प्यार में तेरे जो शक्ति है
कर उपयोग मोम तू कर दे !
अगर बना है लोहा फिर भी
चला हथौड़ा सीधा कर दे !!
अंधियारे से उजियारे ला !
दर्पण पग-पग उसे दिखा दे !!
वरना कल जनता जो उसको
चौराहे – खींचे – लाएगी !
भाई -बाप- पुत्र है तेरा
पल-पल याद दिलाएगी !!
चुल्लू भर पानी खोजोगे
शर्म तुझे भी आएगी !!
शुक्ल भ्रमर ५ -३.७.२०११
9 पूर्वाह्न जल पी बी
9 पूर्वाह्न जल पी बी
9 टिप्पणियाँ:
प्रगति पंख को नोचता, भ्रष्टाचारी बाज |
लेना-देना क्यूँ करे , सारा सभ्य समाज ||
बिल्कुल सही कहा आपने,
पहले हम ही सोचते हैं कि हमारे कुछ काम "कुछ ले दे कर" जल्दी हो जाएँ|
फिर हम ही भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाते हैं :)
--बहुत सुन्दर कविता है , भ्रमर जी..भाव और कथ्य में तो है ही ...आज तो कलात्मकता में भी सटीक है ....१६-१६ मात्रा के चार पंक्तियों के बंद हैं ..साथ में दो पंक्तियों के परिणामी बंद भी ...बन्दों को लगातार लिखने के बजाय ..देखिये इसे इस तरह रखें तो और भी सुन्दर लगते हैं...एक दो स्थान पर मात्राओं को आप स्वयं व्यवस्थित कर सकते हैं...बधाई ..
हम देते हैं – हम लेते हैं ...16 मात्राएं
हम ही तो हैं भ्रष्टाचारी !
हम ही उनको पैदा करते
हम ही बड़े हैं–अत्याचारी !
पाक-साफ़ पहले खुद होकर ...16
भाई रोज बजाओ घंटी ||
ऊँगली एक उठाते उस पर ...16
तीन इशारा तुम पर करती !
एक बताती – ऊपर तुम हो
कुछ करने को तुम को कहती !
अपने घर की रोज सफाई ...16
काहे ना ये जनता करती ||
वो जो ‘पागल” बौराए हैं ...16
जिनसे डर है हम को लगता !
रोटी उनको हम ही डालें
कौन कहे है ना वो सुनता !
प्यार में तेरे जो शक्ति है ....16
कर उपयोग मोम तू कर दे !
अगर बना है लोहा फिर भी
चला हथौड़ा सीधा कर दे !
अंधियारे से उजियारे ला ! ...16
दर्पण पग-पग उसे दिखा दे ||
वरना कल जनता जो उसको ...16
चौराहे खींचे लाएगी !
बेटा-भाई-बाप तेरा है ..17
पल-पल याद दिलाएगी ! ...14
चुल्लू भर पानी खोजोगे ....16
शर्म तुझे भी आएगी || ...14
शुक्ल भ्रमर ५ -३.७.२०११
9 पूर्वाह्न जल पी बी
जब कुछ लोगों का दे दा कर भी, काम ना हो पाये, तब उनके दिल पर क्या बीतती होगी,
बिना लिये दिये काम होने लगे तो क्या कहने।
रविकर जी सुंदर कथन आप का प्रगति के पंख क्या ये तो हाथ पैर काट पंगु ही बना दे रहे --आइये हम सब सुधरें
धन्यवाद आप का
शुक्ल भ्रमर ५
आइये कृपया निम्न पर भी अपना सुझाव समर्थन दें
भ्रमर का दर्द और दर्पण
भ्रमर की माधुरी
रस रंग भ्रमर का
योगेन्द्र पाल जी सुंदर कथन आप का -हम ही कारण हैं -हमारे से लोग ही कारण है उनकी संख्या बढती गयी हमारी गर्दन कसती गयी --आइये हम सब सुधरें
धन्यवाद आप का
शुक्ल भ्रमर ५
आदरणीय श्याम जी आप साहित्य के सृजन के लिए इतने कृत संकल्प और तत्पर हैं देख ख़ुशी होती है -सुन्दर और सार्थक जानकारी देने के लिए धन्यवाद -
ये १७-१४ और १६-१४ मात्राओं का कुछ हल सूझा हो तो बताइए ठीक रहा तो संपादन हो जायेगा --आइये हम सब सुधरें
धन्यवाद आप का
शुक्ल भ्रमर ५
आइये कृपया निम्न पर भी अपना सुझाव समर्थन दें
भ्रमर का दर्द और दर्पण
भ्रमर की माधुरी
रस रंग भ्रमर का
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
--बहुत आसान है...
--बेटा-भाई-बाप तेरा है ..17 = भाई बाप(या भैया पिता) पुत्र है तेरा =१६
--पल-पल याद दिला(जा)एगी ! ...14+२=१६
--चुल्लू भर पानी खोजोगे ....16
शर्म तुझे भी आ(जा)एगी || ...14+२=१६
आदरणीय श्याम जी धन्यवाद -
भाई- बाप- पुत्र है तेरा =१६
को ठीक किया जा सकता है -कर देंगे भी -लेकिन
लेकिन नीचे की पंक्तियाँ दिला -जाएगी
शर्म तुझे भी आ जाएगी -
उचित नहीं - धन्यवाद
--बेटा-भाई-बाप तेरा है ..17 =
--पल-पल याद दिला(जा)एगी ! ...14+२=१६
--चुल्लू भर पानी खोजोगे ....16
शर्म तुझे भी आ(जा)एगी || ...14+२=१६
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Thanks for your valuable comment.