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उत्तर प्रदेश में कब तक हावी रहेगी धर्म और जाति की राजनीती

Written By हरीश सिंह on सोमवार, 23 जनवरी 2012 | 9:12 pm

एक बार फिर उत्तरप्रदेश में चुनावी बयार बहने लगी है, चुनावी महाभारत में कूदने वाले रणबांकुरे महासमर पर विजय प्राप्त करने के लिए सभी नीतियों को अपना रहे है. उन्हें इस बात की चिंता नहीं है की किस तरह क्षेत्र, प्रदेश और देश का विकास होगा, उन्हें चिंता इस बात की है की चाहे जैसे हो जनता को बेवकूफ बनाकर वे विधानसभा में पहुँच जाय और पाँच साल तक जनता को बेवकूफ बनाने का मौका मिल जाय, किसी भी तरह मकसद सिर्फ एक ही है, चाहे वे किसी भी दल के हो. धर्म और जाति की गठजोड़ हो रही है. 
 आज सुबह एक मदरसे के प्रधान अध्यापक मौलाना अशरफी से मुलाकात हुई वे मूलतः बिहार के रहने वाले है, बिहार में जनता दल यूनाइटेड और भाजपा गठबंधन की सरकार चल रही है. उसी पर चर्चा शुरू हो गयी, वे नितीश की सरकार के गुड गाते नहीं थक रहे थे. निश्चित तौर पर बिहार का रहने वाला हर व्यक्ति आज नितीश के गुड गा रहा है. आखिर क्या कर दिया नितीश ने कौन सा जादू चला दिया, जी हा उन्होंने वहा  पर सिर्फ एक ही जादू चलाया है, चाहे वे किसी के वोट से जीते हो पर उन्होंने बिना किसी भेदभाव के चहुमुखी विकास किया, मैंने देखा नहीं है पर सुनता रहता हूँ, सबसे पिछड़ा कहा जाने वाला बिहार आज विकास   की ओर उन्मुख है, वहा की सड़के अच्छी है, कानून व्यवस्था सुदृढ़ है,  लोगो को रोजगार मिल रहा है. युवको का पलायन रुक गया है. जो दुकाने शाम ढलते ही बंद हो जाती थी आज वे आधी रात तक खुली रहती है. हो सकता है की मैंने गलत सुना हो पर आपको बता दू की मैं कालीन नगरी में रहता हूँ. भदोही का कालीन पूरे विश्व में मशहूर है. इसे डालर नगरी  भी कहा जाता है. पर यहाँ की टूटी फूटी सड़के, बजबजाती नालिया देखकर लगता है की हम किसी कसबे में रहते है. पहले जिन बिहारियों को यहाँ पर पैर की जूती समझा जाता था आज कालीन कारखाने वाले उनकी मन्नत करते है फिर भी वे आने को तैयार नहीं है. लोंगो को बुनकर नहीं मिल रहे है. क्योंकि नितीश ने रोज़गार के साधन उपलब्ध कराये. आप यह न सोचे की मैं जनता दल का कार्यकर्त्ता हूँ बल्कि जो सच है उसे कहने में परहेज नहीं है. बिहार के कानून व्यवस्था की देन है पूर्वांचल से अपहरण उद्योग बंद हो गया. 
अब जरा यु पी को देखिये.. प्रदेश की राजधानी चमक रही है. बसपा प्रमुख मायावती ने विकाश किया है पर अपना और अपने समाज का. राजा को सदैव समान भाव हर प्रजा के प्रति रखना चाहिए. पर ऐसा कभी नहीं हुआ, मुलायम सिंह आये तो यादवो को देखा, मायावती आयी तो उन्हें सिर्फ दलित दिखाई दिखाई दिया. पूर्ण बहुमत में आने के बाद उन्हें सुनहरा मौका मिला था चाहती तो वे अपराध मुक्त स्वच्छ समाज की स्थापना कर सकती थी. हर वर्ग में गरीब होता है, सभी के हित के लिए कार्य करती पर उन्हें अपना वोट बैंक बचाना था. इसका सबसे बड़ा दुस्परिनाम यह हुआ की मुलायम और भाजपा ने हिन्दू मुसलमानों के बीच दूरियां पैदा की और जबकि मायावती ने हिन्दुओ में ही मतभेद कर दिया. आज पूर्वांचल में दलितों के प्रति सवर्णों में जो आक्रोश पैदा हुआ है उसका परिणाम शायद बहुत बुरा होगा. जिससे बात होती है वह यही कहता है की अब सरकार नहीं रहेगी तो पता चलेगा. यह सामाजिक पतन का ही मार्ग है. मायावती चाहती तो आज उत्तर प्रदेश की सारी जनता उनका वोट बैंक होती पर वे फेल हो गयी.
आज गरीब महगाई, भ्रष्टाचार, अपराध, रिश्वत आदि समस्याओ से ग्रस्त है. फिर भी उसकी आंख नहीं खुल रही है. सभी राजनितिक दलों ने जाति धर्म की बहुलता के आधार पर टिकट बांटे है. अभी जिस दल की मैं बड़ाई  कर रहा था. उसी दल के एक बड़े  नेता से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. मैं लखनऊ एक मित्र को उसी पार्टी से टिकट दिलाने गया था. वह पढ़ा लिखा एक उत्साही युवक है. देहरादून मसूरी से पढने के बाद उसके मन में राजनीती में आने का शौक था. अच्छी बात है ऐसे लोंगो को आना चाहिए. पर साक्षात्कार के दौरान उससे पूछे गए प्रश्न ने मुझे हैरान कर दिया. उसकी जाति के साथ जातिगत आंकड़े और अन्य दलों के प्रत्यासियो की जाति पूछी जा रही थी. खैर टिकट तो मिला पर नेता जी के सवालो ने मुझे विचलित कर दिया. 
मैंने आज तक सिर्फ दो जातिया देखी है. 
अमीर और गरीब .... एक वह है जो अपने बच्चो को दो वक्त की रोटी खिलाने  के लिए दिन रात मेहनत  करता है. और एक वह है जो अपने कुत्तो को भी बिरयानी खिलाता है. एक वह है जिसके बच्चे कर में बैठकर स्कूल जाते है. एक वह है जिसकी बेटी आवारा लडको की फ़ब्तिया सुनते  हुए स्कूल  जाती है. या फिर वे पढ़ नहीं पाती है और अपनी इच्छाओ का गला घोटकर घर में पड़ी रहती हैं.

हमें सोचना होगा, धर्म कोई  भी हो वह हमें जीवन जीने की रह देता है. धर्म व जातिया इश्वर ने नहीं बनायीं. उसे हमने बनाया है. एक बार फिर हमें फैसला करने का वक्त मिला है. आज प्रत्यासी हमारी अदालत में फरियादी बनकर खड़ा है. हम जज है हमें न्याय करना है. जाति धर्म के बन्धनों से ऊपर उठकर हमें उसे चुनना  है जो हमारा रहनुमा बनने की क़ाबलियत रखता हो, इस बार मतदान करने से पहले जाती और धर्म न देंखे ... प्रत्यासी  की योग्यता , उसके संस्कार  उसका चरित्र, पूर्व में उसके किये गए कार्य देंखे. पार्टी कोई भी हो यदि सही व्यक्ति चुनकर जायेगा तो वह निश्चित रूप से बदलाव लायेगा .

सोचे समझे और मतदान अवश्य  करे, यह परिवर्तन  की बेला है. अब भी नहीं सोचे तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ़ नहीं करेगी .
उत्तर प्रदेश से धर्म और जाति की राजनीति ख़त्म करने के लिए एक कदम आप भी बढ़ाये...  
{शब्दों के उलटफेर और व्याकरण की अशुद्धियो के लिए माफ़ी चाहूँगा}
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1 टिप्पणियाँ:

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

ap bilkul sahi hai harish jee, uttar pradesh ka agar kisi ne beda gark kiya hai to apane ko sabse imanadar karhane vale do netaon . in logon ne pradesh ke jan jan men apani neetiyon se itani gahari khai khod dee hai ki usake liye kuchh bhi karne ko taiyar hain. ye dalit kee hit rakhsak kabhi inhone dalit kahe jane valon ke ghar aur jeevan ko jhank kar nahin dekha. apana prashasti gan kee bhooki aur apane naam ko pattharon ke sahare jinda rakhane kee lalasa rakhane vale kitna hit pradesh ka kar rahe hain isako bayan karne kee jaroorat nahin.
bhadohi kee bat kar rahe hain , kanpur to mahanagar hai aur usaki durdasha dekh leejiye. isaki durdasha ke lie jimmedar shasan khud hi apana peeth thok raha hai.
log vikas nahin to vot nahin ka nara laga rahe hain jo galat hai kyonki agar apane chunav ka bahishkar kiya to ve apane chamachon ke bal par hi chunav jeet jaayenge isaliye parti nahin balki vyaktitv aur usaki neetiyon ke nausar apana matdan karen. matdan avashya karen kyonki isa parivartan ke liye aapaka prayas hi ek mahatvapurn shastra ban sakata hai.

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