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ग़ज़लगंगा.dg: जाने किस-किस की आस होता है

Written By devendra gautam on रविवार, 6 मई 2012 | 1:10 pm

जाने किस-किस की आस होता है.
जिसका चेहरा उदास होता है.

उसकी उरियानगी पे मत जाओ
अपना-अपना लिबास होता है.

एक पत्ते के टूट जाने पर
पेड़ कितना उदास होता है.

अपनी तारीफ़ जो नहीं करता
कुछ न कुछ उसमें खास होता है.

खुश्क होठों के सामने अक्सर
एक खाली गिलास होता है.

हम खुलेआम कह नहीं सकते
बंद कमरे में रास होता है.

वो कभी सामने नहीं आता
हर घडी आसपास होता है.

----देवेंद्र गौतम


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1 टिप्पणियाँ:

Unknown ने कहा…

एक पत्ते के टूट जाने पर
पेड़ कितना उदास होता है.

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

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