नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » » ग़ज़लगंगा.dg: रास्ते में कहीं उतर जाऊं?

ग़ज़लगंगा.dg: रास्ते में कहीं उतर जाऊं?

Written By devendra gautam on रविवार, 20 मई 2012 | 7:20 am

रास्ते में कहीं उतर जाऊं?
 घर से निकला तो हूं, किधर जाऊं?

पेड़ की छांव में ठहर जाऊं?
धूप ढल जाये तो मैं घर जाऊं?

हर हकीकत बयान कर जाऊं?
सबकी नज़रों से मैं उतर जाऊं?

जो मेरा  जिस्मो-जान था इक दिन
उसके साये से आज डर जाऊं?

जाने वो मुझसे क्या सवाल करे
हर खबर से मैं बाखबर जाऊं.

जिसने  रुसवा किया कभी मुझको
फिर उसी दर पे लौटकर जाऊं?

क्या पता वो दिखाई दे जाये
दो घडी के लिए ठहर जाऊं.

वो भी फूलों की राह पर निकले
मैं भी खुशबू से तर-ब -तर जाऊं.

अपना चेहरा बिगाड़ रक्खा है
उसने चाहा था मैं संवर जाऊं.

मैंने आवारगी बहुत कर ली
सोचता हूं कि अब सुधर जाऊं.

----देवेंद्र गौतम


'via Blog this'
Share this article :

2 टिप्पणियाँ:

Unknown ने कहा…

बहुत ही रोचक .. मैंने आवारगी बहुत कर ली
सोचता हूं कि अब सुधर जाऊं...

Unknown ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.