नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

.WELCOME RAHUL JI AS CONGRESS PARTY NEW WORKING PRESIDENT.

Written By Shikha Kaushik on बुधवार, 31 अक्टूबर 2012 | 9:39 pm



.WELCOME  RAHUL JI AS CONGRESS PARTY NEW WORKING PRESIDENT.

RAHUL GANDHI WITH A VISION FOR COMMON PEOPLE
[http://www.facebook.com/pages/RAHUL-GANDHI-WITH-A-VISION-FOR-COMMON-PEOPLE]

YESTERDAY I WAS SURE THAT SHRI RAHUL GANDHI WOULD TAKE OATH AS A CABINET MINISTER BUT HE DID'NT .ONE THING IS CERTAIN THAT ONLY A LEADER LIKE RAHUL JI CAN DO SO IN PRESENT INDIAN POLITICS .HE HAS CHOSEN THE PATH OF PUBLIC SERVICE DIRECTLY .RAHUL JI HAS PROVED AGAIN THAT WHY IS HE AN IDEAL LEADER .HE IS REALLY A YOUTH ICON .HE PREFERS TO STRENGTHEN PARTY ORGANIZATION .MESSAGE IS CLEAR HE BELIEVES IN HARD WORK .I APPRECIATED HIS BOLD DECISION AND CONGRATULATE HIM FOR HIS FIRM DETERMINATION .RAHUL JI HAS GIVEN RIGHT ANSWER TO OPPOSITION'S IRRELEVANT ALLEGATIONS THAT GANDHI FAMILY IS HUNGRY FOR POWER .
                                               I PRAY INDIA MUST ACHIEVE NEW HEIGHTS OF PROGRESS IN HIS GREAT LEADERSHIP .WELCOME  RAHUL JI AS CONGRESS PARTY NEW WORKING PRESIDENT.


[[http://www.facebook.com/pages/RAHUL-GANDHI-WITH-A-VISION-FOR-COMMON-PEOPLE]

IF INDIAN POLITICS IS A VAST DESERT 
HE IS A DROP OF WATER .

[यदि भारतीय राजनीति एक विशाल रेगिस्तान है 
तो राहुल जी जल की एक बूँद  है ]

IF INDIAN POLITICS IS DARK NIGHT 
HE IS A SHINING STAR.

[यदि भारतीय राजनीति एक अँधेरी निशा है 
तो राहुल जी एक चमकता हुआ सितारा हैं ]

IF INDIAN POLITICS IS AUTUMN 
HE IS SPRING .

[यदि भारतीय राजनीति पतझड़ है 
तो राहुल जी बसंत  हैं ]

IF INDIAN POLITICS IS A KINGDOM 
HE IS THE KING .

[यदि भारतीय राजनीति एक साम्राज्य है 
तो राहुल जी राजा हैं ]

IF INDIAN POLITICS IS AN OYSTER 
HE IS A PEARL .

[यदि भारतीय राजनीति एक सीप है 
तो राहुल जी मोती हैं ]

HE IS SENSIBLE ,HONEST AND PATIENT 
I AM HIS ADMIRER , DO'NT THINK ME SYCOPHANT .

[राहुल जी समझदार हैं ,ईमानदार हैं  और धैर्यवान हैं ,
मैं उनकी प्रशंसक हूँ ,मुझे चापलूस न समझें ]

                                                   JAY HIND ! JAY BHARAT 
                                                     SHIKHA KAUSHIK 

जिज्ञासा(JIGYASA) : अजंता के अंदर जो मानव और जंतु रूप चित्रित किए गए ह...

Written By mark rai on रविवार, 28 अक्टूबर 2012 | 5:09 pm

जिज्ञासा(JIGYASA) : अजंता के अंदर जो मानव और जंतु रूप चित्रित किए गए ह...: यूनेस्‍को द्वारा 1983 से विश्‍व विरासत स्‍थल घोषित किए जाने के बाद अजंता और एलोरा की तस्‍वीरें और शिल्‍पकला बौद्ध धार्मिक कला के उत्‍कृष्‍ट ...

मसाल

Written By Barun Sakhajee Shrivastav on बुधवार, 24 अक्टूबर 2012 | 10:27 pm

लेकर मसाल हाथ में,
चिन्गारियों का ख्याल साथ में,
भींचकर मु_ियां मैं रावण खोजता हूं।
रिमझिम सा बूंदों से बना
इल्जामों का सावन खोजता हूं।
- सखाजी

रावण ने लगाई पीआईएल

,
रावण ने लगाई पीआईएल
कइयों को हो गई जेल
वकीलों के कोट फट गए
अफसर फिर जैसे कह कर नट गए
जज बोला रावण सही
उसने अच्छी बात कही
न जलाओ मुझे बार
कि जलन होती है वदन में
अगर जलाना है तो मन से
जलाओ क्यों रखते हो मुझे मन में
हू हू हू करके चिल्लाते हो
दशहरा मैदानों को कब्जाते हो
मुझे करते हो बदनाम
खुद ही तो रावण से लच्छन बताते हो
सदियों से देख रहा था
कोई मंच नहीं मिल रहा था
मीडिया को बुलाया तो कोई नहीं आया
सबने मेरे नाम का दशहरे पर खूब खाया
तब कोर्ट में आया हूं
वहां भी पर्सनल केस नही लगा पाया हूं
तब मिला मुझे विधुर सा वकील
तो मैं आ गया भारत को कोर्ट में
लगा दी है पीआईएल
देखता हूं क्या होता है इसका हाल
- सखाजी

खुशी-खुशी खुशी को अपना लिया

खुशी-खुशी खुशी को अपना लिया
दफ्न कर गमों को झुठला दिया
कब्र में मगर भूल गया नमक डालना
लौटकर भुतहा सा रूह ने कंपा दिया
दफ्न गमों का पिंजर न गल सका
अक्ल में फिर-फिर वह आ खड़ा
महफूज नहीं इन खुशियों के बीच भी
अफसोस फिर भी खुश नहीं ताउम्र
अटपटा लगे, तो न कहना
यह दस्तूर ए जहां है
चाहो खुशी तो मिलती है वो जरूर
पर मगर गमों के चादर में लिपटी हुई
अस न बस खोलोगे खुशी फिर भी गमों को उकेर कर।
-सखाजी

Life is Just a Life: जीवन - एक तारा Jeevan - ek tara

Life is Just a Life: जीवन - एक तारा Jeevan - ek tara: जीवन अनजानी  राहों पर  चलता एक  तारा है , कब टूट  गिरे मर  जाये पर  सबको  प्यारा है। नहीं दिशा का ज्ञान जरा भी , नहीं ज्ञात है  ल...

यही मेरा भारत ( तांका )

राम का पात्र 
मुहम्मद ने खेला 
रामलीला में 
यही ढंग यहाँ का 
यही मेरा भारत ।

***********

कब निखरेगा ये बछड़ा

Written By Barun Sakhajee Shrivastav on बुधवार, 17 अक्टूबर 2012 | 12:39 pm

किसान अपने बछड़े को बैल बनाने से पहले दो युक्तियां करता है। पहली तो मैं बता नहीं सकता दूसरी निखारने की। इसके लिए वह नाथ डालकर बछड़े को बलात बैलगाड़ी में लगाकर खेतों में घुमाता है। पूरा गांव उस गाड़ी के पीछे मजे करता घूमता है। खासकर बच्चे। और जब बछड़ा नहीं निखरता तो दूसरी युक्ति के रूप में उसके गले पर बेवजह एक लकड़ी डाल दी जाती है, ताकि उसकी आदत है। तब भी नहीं निखरता तो बछड़े को खेत में गहरे हल गड़ाकर निखारा जाता है। और फिर भी नहीं निखरा तो किसान उसे गर्रा कहकर बेचने की कवायद में जुट जाता है। और कई बार वह कसाइयों के हात्थे भी चढ़ जाता है। मोरल ऑफ द स्टोरी श्रमवीर, कर्मवीर बनो वरना कसाई के चाक पर गर्दन रखो। संसार कहता है कर्म करो या मरो।
ऐसा ही राहुल बाबा के साथ सोनिया कर रही हैं। उन्हें 25 साल के बाद तो निखारने के लिए मना पाईं। फिर लोकसभा के आम चुनाव 2009 में नाथ डाली गई। पहला काम जो किसान करता है वह तो शादी के इतने लेट होने से अपने आप हो गया। (एक विधि से किसान बछड़े का मर्दानापन कम करता है)। फिर उन्हें रिएक्टिवेट करके बैलगाड़ी में नुहाया (लगाया) गया। यानी महासचिव बनाया गया। फिर भी नहीं निखरे तो यूपी में प्रपंच करवाया गया। फिर भी नहीं निखर रहे तो अब सोनिया उन्हें केबिनेट में लाने की तैयारी में हैं। पीएम सीधे न सही तो बेटा केबिनेट में अंकल लोगों से कुछ सीखकर बिजनेस में हाथ बटा। मगर राहलु बाबू हैं कि चिगते (हिलते) ही नहीं है। अब किसान करे तो क्या। कसाई को बेचेगा तो भगवान मार डालेंगे, नहीं तो जिंदगीभर खिलाएगा तो बोझ पड़ेगा। और फिर बछड़ा बड़ा होकर दो लाइन में किसी एक में जाता है, पहली तो किसान के साथ बैल बन कर सालों सेवाओं के बाद ससम्मान सेवनिवृत्ति की तरफ जाती है। कुछ-कुछ आदमी के नौकरी करने जैसा। और दूसरी लाइन सांड बनने की होती है, यह रिस्की है किंतु मजेदार है। इसमें भी एक लाभ है अगर सांड के रूप में आपकी पोस्टिंग गांव में हुई तब तो लोग पूज भी सकते हैं और पेट भी पाल लेंगे, लेकिन अगर शहर में हुई तो समस्या होगा, यहां तो सब्जियों के ठेलों पर लट्ठ ही मिलते हैं। और गाहेबगाहे मौका मिलते ही सकाई भी लपक सकते हैं। अब राहुल बाबा को सोनिया सियासी सेवानिवृत्ति तो देंगी नहीं। केबिनेट में और लाकर देखती हैं, अगर वे सुबह जल्दी उठकर मंत्रालय (मनी फैक्ट्री) जाने लगे तो ठीक वरना फिर किसान को खेती के लिए अपनी दूसरी बछिया पर निर्भर रहना पड़ेगा, वह खेतों में जा नहीं सकेगी तो फिर कौन बचा.....वा.......ड्रा ! वरुण के सखाजी

वक्त


वक्त के पन्ने उड़ते जाते हैं.
जो लिखे नहीं, खाली रह जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते जाते हैं.

आंधीया तो गुजरी हैं, मेरे भी घर से.
कुछ चिराग हैं, फिर भी जले रह जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते........

मैने तो कुछ पन्ने सिर्फ काले किये.
वो खुदा ही हैं, जो कुछ कह जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते........

बड़ी मुद्दत के बाद ये यकीं हुआ हैं.
पराये शहर में, अपने भी मिल जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते........


जिज्ञासा(JIGYASA) : हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के सामने बहुत चुनौतियां हैं....

Written By mark rai on मंगलवार, 16 अक्टूबर 2012 | 2:29 pm

जिज्ञासा(JIGYASA) : हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के सामने बहुत चुनौतियां हैं....: सरकार कोयला खानों से निकलने वाली मिथेन गैस, शेल गैस, भूमिगत कोयला गैस और जैव ईंधनों आदि की पूरी क्षमता का उपयोग करने को प्राथमिकता दे रही ह...

जिज्ञासा(JIGYASA) : इन्सैट प्रणाली की क्षमता का संवर्धन

Written By mark rai on रविवार, 14 अक्टूबर 2012 | 5:34 pm

जिज्ञासा(JIGYASA) : इन्सैट प्रणाली की क्षमता का संवर्धन: जीसैट-12, इसरो द्वारा निर्मित नवीनतम संचार उपग्रह का भार उत्थापन समय में लगभग 1410 कि.ग्रा. है। जीसैट-12 का संरूपण कम प्रत्यावर्तन समय में द...

जिज्ञासा(JIGYASA) : राष्ट्रीय ई- शासन योजना

Written By mark rai on गुरुवार, 11 अक्टूबर 2012 | 7:26 pm

जिज्ञासा(JIGYASA) : राष्ट्रीय ई- शासन योजना: राष्ट्रीय ई- शासन योजना (एनईजीपी)के अंतर्गत देशभर में ई-शासन के लिए की जा रही कार्रवाई का एक सामूहिक विचार, एक साझा विषय के रूप में एकीकृत क...

Life is Just a Life: मरते हुये दीप की आशा Marte Huye Deep Ki Asha

Written By नीरज द्विवेदी on बुधवार, 10 अक्टूबर 2012 | 10:27 pm

Life is Just a Life: मरते हुये दीप की आशा Marte Huye Deep Ki Asha: इस मरते हुये दीप की आशा , चल लेकर भाग चलें। निःशब्द हवाएँ व्याकुल अंकुर , शब्दों के इस बहिर्जाल में , भाव हुये सुने क्षणभंगुर ,...

जिज्ञासा(JIGYASA) : वेनेज़ुएला की जनता ने ह्यूगो चावेज़ के नेतृत्व में...

Written By mark rai on मंगलवार, 9 अक्टूबर 2012 | 2:42 pm

जिज्ञासा(JIGYASA) : वेनेज़ुएला की जनता ने ह्यूगो चावेज़ के नेतृत्व में...: वेनेज़ुएला में 1958 से लोकतांत्रिक सरकार थी और देश की दो मुख्य पार्टियों पर लगातार भ्रष्टाचार और तेल संसाधनों के ग़लत इस्तेमाल के आरोप लगते ...

Life is Just a Life: देश अपना मर रहा है Desh Apna Mar raha hai

Written By नीरज द्विवेदी on सोमवार, 8 अक्टूबर 2012 | 9:44 am

Life is Just a Life: देश अपना मर रहा है Desh Apna Mar raha hai: चल रही शब्दों  की  कोशिश , अर्थ  देखो डर रहा है , तुम मगर  समझे न समझे , देश अपना मर रहा है। कुछ कार्टूनों की नजर में , संविधान सड़...

ग़ज़लगंगा.dg: अंधी नगरी चौपट राजा

Written By devendra gautam on शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012 | 11:21 pm

राखे बासी त्यागे ताज़ा.
अंधी नगरी चौपट राजा.

वो देखो लब चाट रहा है
खून मिला है ताज़ा-ताज़ा.

फटे बांस के बोल सुनाये
कोई राग न कोई बाजा.

अंदर-अंदर सुलग रही है
इक चिंगारी, आ! भड़का जा.

बूढा बरगद बोल रहा है
धूप कड़ी है छावं में आ जा.

जाने किस हिकमत से खुलेगा
अपनी किस्मत का दरवाज़ा.

हम और उनके शीशमहल में?
पैदल से पिट जाये राजा?

वक़्त से पहले हो जाता है
वक़्त की करवट का अंदाज़ा.

---देवेंद्र गौतम

Read more: http://www.gazalganga.in/2012/09/blog-post_30.html#ixzz28SheNRrv

ग़ज़लगंगा.dg: अंधी नगरी चौपट राजा:

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जिज्ञासा(JIGYASA) : 'गुरिल्ला ट्रेक'

जिज्ञासा(JIGYASA) : 'गुरिल्ला ट्रेक': अमरीकी लेखक अलोंजो लियोंस के साथ निकाली गई इस किताब में एक नक्शा भी है.इस गाइड में उन पहाड़ों, गुफाओं, गाँवों और नदियों का जिक्र है जहाँ एक ...

Life is Just a Life: तब तक भाग्य नहीं बदलेगा Tab tak bhagy nahi badlega...

Life is Just a Life: तब तक भाग्य नहीं बदलेगा Tab tak bhagy nahi badlega...: जब तक  भारत का  आँसू , बस केवल  आँसू बना रहेगा , जब तक  आर्द भाव का  झोंका , केवल झोंका बना रहेगा , जब  तक  भारत का  टुकड़ा , केवल टु...

खबरगंगा: पछताते रह जायेंगे .

Written By devendra gautam on गुरुवार, 4 अक्टूबर 2012 | 4:34 pm

... चलिए एक कहानी सुनाती हूँ ..एकदम सच्ची कहानी..एक बिटिया और उसके पापा की कहानी ..मेरी दादी कहा करती  थी कि हमारे खानदान की  परंपरा है 'पान खाना'. ख़ुशी का मौका हो या गम का, 'पान खाना' ही पड़ता .परीक्षा देने जाना हो, यात्रा करनी हो, शुभ काम होनेवाला हो या  हो चूका हो, लगभग  हर मौके पर 'पान' हाज़िर होता .बाबा और दादी तो बड़े शौक से पान खाते थे. ये उनकी दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा था.दादी तो बाकायदा  पान मंगवाती.. साफ़ करती ... अपने साफ़-सफ़ेद बिस्तर (जिनपर हमारा चढ़ना मना था) पर सूखाती ..काटती  - छांटती ....कत्था पकाती..पान लगाती .. खाती और खिलाती..बचपन में हमें भी पान खूब पसंद आया करता. असल में इसे खाने के बाद जीभ एकदम लाल हो जाती. हम बच्चों को बहुत मज़ा आता. बात इन खुशिओं तक  सीमित  रहती तो अच्छा था पर  'अति सर्वत्र वर्ज्यते' यू ही नहीं कहा गया. अत्यधिक जर्दा के घुसपैठ ने 'पान खाने' जैसी परंपरा को भयावह रूप दे दिया.और हमने अपने पापा को खो दिया .. 
जैसा कहा मैंने 'पान खाना' हमारे खानदान कि अभिन्न परंपरा थी. पापा भी पान खाया करते . हाँ, उनके पान में जर्दा (तम्बाकू) की मात्रा बहुत ज्यादा होती थी.मम्मी मना करती पर वो नहीं मानते. मम्मी ने हम बच्चो से भी कहा कि पापा को जर्दा मत खाने दो.अब  हमारे लिए ये एक खेल बन गया.  पापा के जर्दा (तम्बाकू) का डिब्बा अक्सर छिपा दिया करते थे ..पापा हमसे मांगते...हम भी मनुहार करवाते, पर दे देते ...जर्दा (तम्बाकू) की मात्रा कम करने का हमारा आदेश होता  ..पापा भी  दिखाने  के लिए मान जाते, कहते आज खाने दो, कल से नहीं खायेंगे...हम भी खुश और पापा भी खुश . .देखते ही देखते समय निकलता गया.पापा का पान और जर्दा (तम्बाकू) खाना नहीं छूटा. हम बड़े हो गए...व्यस्तताएं बढ़ गयी...पापा को बार बार टोकना बंद हो गया..पर कभी-कभार जरुर शोर मचाते ..मम्मी की तबीयत ख़राब रहने लगी.उनको लेकर हम बहुत परेशां रहते..बार-बार खून चढ़ाना, जगह-जगह दिखाना...पापा पर ध्यान देना थोडा कम हो गया था...इसी बीच पापा के भी मूह में दर्द रहने लगा...आशंका हुई पर बेटी का मन, गलत बातो को क्यों कर मान जाता .अब  पापा ने  पान खाना छोड़ दिया, पर तबतक बहुत देर हो चुकी थी. एक दिन उन्हें जबरदस्ती  डॉक्टर के पास ले जाया गया. उसने देखते ही कह  दिया -इन्हें ओरल कैंसर है. पटना में बायोप्सी  करा ले .कैंसर ही निकला. हालाँकि मन ये मानने को तैयार ही नहीं था. अब भी लग  रहा था कि रिपोर्ट झूठी है .  यकीं था , पापा ठीक हो जायेंगे.  असल में उन्हें कभी बड़ी बीमारी से जूझते नहीं देखा था. और हमारे लिए तो वो 'सुपरमैन' थे , उन्हें क्या हो सकता था .

खैर , महानगरो की दौड़ शुरू हुई . कई अस्पतालों के चक्कर काटे गए. पता चला कि फीड-कैनाल में भी  कैंसर है, फेफड़ा भी काम नहीं कर रहा. डॉक्टर ने बताया कि 'ओपरेशन' और 'कीमो' नहीं हो सकता.' रेडियेशन'  ही एकमात्र उपाय है . सेकाई शुरू हुई, पापा कमज़ोर होने लगे. खाना छूट गया.' लिक्विड  डायट' पर रहने लगे. रेडियेशन पूरा होने के बाद गले का कैंसर ठीक हो गया पर 'ओरल'  ने भयावह  रूप ले लिया. डॉक्टरों  ने भी हाथ खड़े कर लिए. बीमारी बढ़ने लगी.  पहले होठ गलना शुरू हुआ . गाल में गिल्टियाँ  निकलने  लगीं और वो भी गलने लगा. धीरे-धीरे पूरा बाया गाल और दोनों होठ गल गए. घाव नाक तक पंहुचा..साँस लेने में परेशानी होने लगी. खाना पूरी तरह छुट चूका था. शरीर एकदम कमज़ोर हो गया. दावा-दारू काम न आया. ईश्वर ने हमारी 'बिनती' पर  ध्यान नहीं दिया. मित्रो-रिश्तेदारों की शुभकामनाओं की एक न चली. एक दिन  पापा हमें छोड़ कर चले गए. हम अवाक् से थे. सही है कि सबके माता-पिता जाते है पर हम अभी इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थे. वैसे भी 'अडसठ साल' की  उम्र मौत के लिए बहुत ज्यादा नहीं होती, खासतौर पर तब, जब कभी- भी कोई बीमारी न रही हो. पर मौत आयी ..जल्द आयी..समय से पहले आयी, क्यूंकि जर्दा (तम्बाकू)  के सेवन ने उनकी उम्र को दस साल कम कर दिया था. हम रोते रहे, बिलखते रहे, छटपटाते रहे पर क्या हासिल ...पिता का साया उठ जाना बहुत बड़ी बात होती है..हम अनाथ हो गए ..बेसहारा से..

एक साल के अन्दर एक बिटिया के प्यारे से पापा उसे छोड़कर हमेशा के लिए चले गए. पापा के जाने के बाद हर पल याद आया कि कैसे पापा से जर्दा छोड़ देने का  आग्रह करते और पापा हमें फुसला देते ..काश कि पापा ने उसी वक़्त हमारी बाते मान ली होती ... काश कि अपनी बीमारी को बढ़ने न दिया होता.. काश कि... पर 'काश' कहने और सोचने मात्र से कुछ नहीं संभव था . छोडिये, अब  कुछ आंकड़े देखिये --- टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के अनुसार हर साल कैंसर के नए मरीजों की संख्या लगभग सात लाख होती है जिसमे तम्बाकू से होनेवाले कैंसर रोगियों की संख्या तीन लाख है और इससे हुए कैंसर से मरनेवाले मरीजो की संख्या है प्रति वर्ष दो हज़ार है ...बी. बी. सी. के अनुसार भारत में हर दस कैंसर मरीजों में से चार ओरल कैंसर के है..

पापा ने जबतक  'जर्दा' छोड़ा,  समय हाथ से निकल चूका था . पर बाकि लोग ऐसा क्यूँ कर रहे है? क्यूँ अपनी मौत खरीदते और खाते है? कल खबर देखा कि यू. पी. सरकार ने भी गुटखा  (तम्बाकू) प्रतिबंधित कर दिया ...बिहार और देलही में ये पहले से lagu है. इसके अनुसार गुटखा  (तम्बाकू) बनाने, खरीदने  और बेचने पर प्रतिबन्ध है...बावजूद इसके गुटखा (तम्बाकू) खुले आम धड़ल्ले से बेचा-ख़रीदा जाता है...कम से कम अपने राज्य बिहार में तो यही देख रही हूँ...लोग आराम से  खरीदते  है...कोई रोक-टोक नहीं..पाबन्दी नहीं..सरकारे सिर्फ नियम बनाकर कर्त्तव्य पूरा कर देती है.. इसे लागू करने कि उसकी कोई मंशा नहीं होती. तभी तो कही कोई सख्ती नहीं बरती जाती. पुलिस और प्रशाशन के लोग स्वयं इसका सेवन करते है. भाई  लोग,  तम्बाकू का हर रूप हानिकारक है. इसका सेवन करनेवाले अपनी 'मृत्यु' को आमंत्रित करते है.  क्या आप  अपने अपनों से प्यार नहीं करते? फिर  इसकी लत जान से ज्यादा प्यारी कैसे बन जाती है जो  छूटती ही नहीं!  या फिर इच्छाशक्ति का घोर अभाव है, मन से बेहद कमज़ोर, लिजलिजे से हैं . यदि नहीं तो छोड़ दीजिये इस 'आदत' को .  मित्रों  आप तो समझदार है . चेत जाइये.  अरे,   जिम्मेदार नागरिक बने . तम्बाकू का किसी भी रूप में सेवन छोड़े . अपने रिश्तेदारों और मित्रो को भी रोके. कही बिकता देखे तो शिकायत करे . अन्यथा पछताते रह जायेंगे ....
खबरगंगा: पछताते रह जायेंगे .:

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Life is Just a Life: ढलता सूरज dhalta suraj

Written By नीरज द्विवेदी on मंगलवार, 2 अक्टूबर 2012 | 4:08 pm

Life is Just a Life: ढलता सूरज dhalta suraj: डगमगाती चाल , टूटी अस्थियों की ढाल , कुछ बुदबुदाते होंठ , कुछ सहेज रक्खीं चोट , कांपती जर्जर जरा , हर श्वांस  में अनुभव भरा , ...

किया जा रहा है 'वास्तु' के नाम पर एक धोखा -Praveen Shah

सुनिये मेरी भी....: किया जा रहा है एक धोखा, नाम 'वास्तु' है !...

आपके घर में रोशनी आये, हवा का आना जाना न रूके, बारिश व सीलन से घर बचा रहे व कीमती सामान सुरक्षित रहे... यदि आपका घर यह सब कर रहा है तो उसमें कोई वास्तु दोष नहीं... बेफिकर उसमें रहिये... जीवन की अपनी सफलताओं व विफलताओं व अपने आसपास के लोगों से अपने अच्छे-बुरे संबंधों के कारण अपने अंदर ढूंढिये... और कोई स्वयंभू वास्तु विशेषज्ञ यदि आपको फिर भी  घर के वास्तुदोष गिना रहा है तो आप सीना तान के उस से कहिये...
बंधु, 
कर रहे हो एक धोखा, तुम सबसे, नाम वास्तु है !
http://praveenshah.blogspot.com/2012/10/blog-post.html

उनकी पोस्ट पर हमारा विचार यह है-
विचार भी वास्तु मात्र हैं. घर-दूकान और वस्तुओं का वास्तु ठीक करने के बाद भी समस्या से नजात न मिले तो अपने विचार का वास्तु ठीक कर लीजिये आपकी समस्या दूर हो जायेगी.
आप चिंता, नफ़रत और ग़ुस्सा छोड़ दीजिये, आपके शरीर में फ़ालतू एसिड नहीं बनेगा. आप दुश्मनों को माफ़ कर दीजिये. आपका मन निर्मल हो जाएगा. साड़ी मनोग्रंथियाँ विलीन हो जायेंगी. आप लोगों से मुस्कुरा कर मिलें, हर जगह आपका स्वागत किया जाएगा. आप नौकरी कर रहे हैं तो स्किल्ड लेबर है. आप हमेशा तंगदस्त और क़र्ज़दार रहेंगे. ५० साल में आप जो बचायेंगे उसे आप से किसी अस्पताल में ५० दिन में ले लिया जाएगा. आप अपना छोटा सा बिजनेस शुरू करें. समय के साथ वह बढ़ता जाएगा और दो चार साल में ही आप धनवान हो जायेंगे.
यह सब तब होगा जब आप अपने विचार का वास्तु ठीक कर लेंगे.

मुहब्बतों को सलीक़ा सिखा दिया मैंने -Anjum Rahber.mp4

Founder

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Saleem Khan