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चैन दिल का हम कहाँ तलाशते रहे |

Written By Nazeel on गुरुवार, 2 अप्रैल 2015 | 11:13 am

चैन दिल का हम कहाँ  तलाशते रहे |
इस ज़मीं से आसमां तलाशते रहे ||

और चेहरों में नहीं मिली हमें ,
या खुदा ! ताउम्र माँ तलाशते रहे ||

ये कहे हिन्दू ,कहे मुस्लमान वो,
ना मिला हमको ,इंसां तलाशते रहे |

कुछ आया न हाथ तो उदास से हुए ,
ख़ाक से मेरी दास्ताँ तलाशते रहे ||

नींद आई थी कहाँ हिज्र की रात में ,
बस उसे अपने दरम्याँ तलाशते रहे ||

बात  ही तो थी "नज़ील" ये नसीब की ,
उजड़ के हम पासबाँ तलाशते रहे ||

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