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पक्षकार और वकीलों को रोज़ परेशांन होना पढ़ रहा है

Written By आपका अख्तर खान अकेला on सोमवार, 22 अप्रैल 2019 | 6:38 am

राजस्थान के न्यायालयों में वर्तमान राजस्थान सरकार द्वारा ,,संशोधित क्रिमनल ,सिविल रूल पर स्थगन के आदेश निर्देश के बावजूद भी ,,यहाँ न्यायलयों में बढ़ी हुई कोर्ट फीस वसूली की प्रक्रिया के खिलाफ राजस्थान के वकीलों के नेतृत्व द्वारा कोई कारगर क़दम नहीं उठाने से पक्षकार और वकीलों को रोज़ परेशांन होना पढ़ रहा है ,ज्ञातव्य रहे ,राजस्थान में पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में सिविल ,क्रिमनल संशोधन नियम पारित किये गये थे ,जिसके तहत कोर्ट फीस भी पचास गुना तक वृद्धि कर दी गयी ,,राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व सरकार के पारित निर्देशानुसार ,,हायकोर्ट और अधीनस्थ न्यायलय में बढ़ी हुई कोर्ट फीस वसूली जब शुरू की ,तो वकीलों की आँखे खुली और जयपुर सहित कई वकील संगठनों ने राजस्थान सरकार की नयी सरकार के मुखिया अशोक गहलोत को ज्ञापन देकर पक्षकारों पर पढ़े अतिरिक्त भार को रोकने के लिए कोर्ट फीस की वसूली रोकने की मांग की ,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वकील और पक्षकारों की व्यथा सुनी और तत्काल एक कमेटी का गठन करने के निर्देश जारी कर ,कमेटी की रिपोर्ट आने तक सभी संशोधन पर स्थगन के निर्देश दिए ,,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उक्त निर्देशों के तहत ,राजस्थान सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव रवि शंकर श्रीवास्तव ने 25 फरवरी को प्रमुख शासन सचिव विधि विभाग राजस्थान श्री महावीर प्रसाद को उक्त ज्ञापनों का हवाला देते हुए उक्त संशोधन नियमों को स्थगन के निर्देश जारी कर औचित्य पूर्ण कार्यवाही कर सूचित करने के निर्देश भी दिए ,इस पत्र की प्रतिलिपि श्री राजेश शर्मा कर्नल अध्यक्ष दी बार एसोसिएशन जयपुर को भी भेजा ,अफ़सोस की बात यह है के उक्त पत्र जो 25 फरवरी को कोर्ट फीस स्थगन सहित सम्पूर्ण नियम स्थगन बाबत है ,उसकी पालना सुनिश्चित अभी तक नहीं है ,अफ़सोस यह भी है ,के जो लोग ज्ञापन देकर आये ,जिन लोगों के ज्ञापन पर यह आदेश हुए ,उन्होंने उक्त आदेशों के तहत फॉलोअप तक नहीं किया ,नतीजन पत्र जो सरकार का प्रमुख विधि सचिव के नाम निर्देश था वोह पत्र उनके द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट तक पहुंचाया गया भी या नहीं किसी ने जानकारी लेना तक उचित नहीं समझा ,,राजस्थान में एक मात्र कोटा अभिभाषक परिषद के तात्कालिक अध्यक्ष मनोजपुरी के नेतृत्व में बढ़ी हुई कोर्ट फीस की आलोचना कर वापस लेने की मांग को लेकर एक दिन की सांकेतिक हड़ताल भी रखी ,,अफ़सोस यह भी है के इस मामले में जब मेने पूर्व में एक राइट अप लिखा ,अतिरिक्त मुख्य सचिव रवि शंकर श्रीवास्तव से बात की ,विधि सचिव महावीर प्रसाद शर्मा से बात की ,फिर राजेश कर्नल जयपुर बार एसोसिशन के अध्यक्ष साहब से भी इस पत्र के आदेशों की क्रियान्वित का फॉलोअप करने की गुज़ारिश की लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया ,मेने बार कौंसिल वाईस चेयरमेन जनाब शाहीद हसन साहब को भी अवगत कराया ,,उन्होंने गंभीरता दिखाई ,राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से इस मामले में बात की ,लकिन रजिस्ट्रार जनरल हाईकोर्ट ने उन तक ऐसा कोई पत्र पहुंचने से इंकार किया ऐसा शाहिद हसन साहब ने वार्ता के बाद मुझे बताया ,,मेने बार कौंसिल सदस्य युवा तुर्क समस्याएं निर्भीकता से उठाने के लिए मशहूर भाई डॉक्टर महेश शर्मा से इस समस्या के समाधान के लिए ऑपरेशन करने का निवेदन किया ,,डॉक्टर महेश शर्मा साहब ने खुद इस मामले में प्रमुख विधि सचिव महावीर शर्मा साहब से बात की लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला ,,बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के चेयरमेन की इस मामले में चुप्पी है ,,बारकोंसिलर भी इस मामले में बहुत सख्त कार्यवाही कर कोई कारगर क़दम नहीं उठा पाए है ,कोटा अभिभाषक परिषद के नवनियुक्त अध्यक्ष ,कार्यकारिणीं ने इस मामले में अलबत्ता जिला जज के मार्फत मुख्य न्यायधीश राजस्थान हाईकोर्ट को उक्त पत्र की प्रति भेजकर इसकी क्रियान्विति के निर्देश जारी करने की मांग दोहराई है ,,मेने लगातार माननीय राजस्थान हाईकोर्ट को कई ई मेल भेजकर कार्यवाही की मांग की है ,,डॉक्टर महेश शर्मा ,शाहिद हसन बार कौंसिलर भी इसके लिए प्रयासरत है ,लेकिन नतीजे के नाम पर सिफर है ,पता चला है इस मामले में अब राजस्थान के वकील एक मई को उदयपुर में एकत्रित होकर बढ़ी हुई कोर्ट फ़ीस रोकने के लिए आंदोलन की रुपरेखा तैयार करेंगे ,,मेरी एक बात समझ में नहीं आती ,,बढ़ी हुई कोर्ट फीस की आमदनी राजस्थान सरकार के लिए वसूली जा रही ,है ,,यह बढ़ी हुई कोर्ट फ़ीस राजस्थान सरकार के कोष में जमा हो रही है ,,और इसी राजस्थान सरकार ने 25 फरवरी को प्रमुख शासन सचिव विधि विभाग को ,इस के स्थगन के आदेश जारी किये है ,फिर प्रमुख शासन सचिव विधि विभाग ने यह आदेश अब तक राजस्थान हायकोर्ट को उचित मार्गदर्शन के लिए क्यों नहीं पहुंचाए ,,खेर सरकारी लापरवाही के तहत वोह पत्र राजस्थान हाईकोर्ट तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी नहीं निभाई तो ,वकील साथियों को ,या जिनको इस आदेश की प्रतिलिपि भेजी गयी है वोह खुद इस लापरवाही की शिकायत के साथ संबंधित सरकार द्वारा लिखित स्थगन पत्र की प्रतिलिपि देकर मुख्यन्यायधीश महोदय से अब तक दो महीने गुज़रने के बाद भी क्यों नहीं मिल सके ,क्यों राजस्थान सरकार के इस स्थगन पत्र की क्रियान्विति नहीं करवा सके ,यह एक सवाल है ,जिसे राजस्थान के सभी वकील साथियों को सोचने की ज़रूरत है ,जिसे वोह समझ सके के वकीलों के हमदर्द नेतृत्व वकीलों की समस्याओं के समाधान के लिए कितने सक्रिय है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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