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बन्दरों के आतंक से दहला जिला शामली

Written By Shalini kaushik on शनिवार, 16 जुलाई 2022 | 4:10 pm

 


 बन्दरों का आतंक, उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एक लम्बे समय से फैला हुआ है, शामली, कैराना, कांधला, थाना भवन में बन्दरों के हमले में आम आदमी को घातक दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ रहा है, 8 सितंबर 2021 को कैराना के भाजपा नेता अनिल चौहान की पत्नी सुषमा चौहान बन्दरों के हमले में छत से गिरी थी और मृत्यु का शिकार हुई थी, शामली के काका नगर में एक युवक को 9 मार्च 2020 को बन्दरों ने नोच नोच कर घायल कर दिया था जिससे बचने के लिए युवक ऊंचाई से गिरकर मृत्यु का शिकार हो गया था, थाना भवन में एक बच्ची को बन्दरों ने बुरी तरह घायल कर दिया था. प्रतिदिन क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में बन्दरों के हमले में घायल लोगों द्वारा बहुत बड़ी संख्या में जाकर एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगवाए जा रहे हैं. 



     बीच बीच में प्रशासन द्वारा बन्दरों को पकड़ने के लिए टीम लगाई जाती हैं किन्तु नतीज़ा ढाक के तीन पात ही नज़र आ रहा है. निरंतर जनता की मांग के बावजूद बंदरों की संख्या और उनके हमले बढ़ते जा रहे हैं और आज ही शामली जिले के सिक्का गाँव में एक महिला जसवंती कपड़े सुखाने के लिए छत पर गई और बन्दरों के हमले के कारण छत से गिर गई जिसे स्थानीय चिकित्सक द्वारा जिला अस्पताल के लिए रैफर किया गया है.

      अब दो - एक दिन फिर स्थानीय जनता की भीड़ जिलाधिकारी कार्यालय पर लगेगी और मांग की जाएगी बन्दरों को पकड़ने के लिए टीम बुलाने की, प्रशासन द्वारा जनता की मांग पर टीम बुलाई जाएगी, बन्दर पकड़े जाएंगे और सिक्का गाँव से दो चार गाँव छोडकर किसी अन्य गाँव में छोड़ दिए जाएंगे.

    क्या समस्या का यह समाधान सही है? क्या फायदा है इसका? क्या इससे पूरे शामली जिले से बन्दरों का आतंक समाप्त हो जाएगा? क्या इससे आम आदमी अपने घर पर बिना किसी डर या दहशत के रह पाएगा? प्रशासन द्वारा वर्तमान में कभी हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव कायम रखने के लिए तो कभी कांवड़ यात्रा सकुशल सम्पन्न कराने के लिए कड़े बंदोबस्त किए जा रहे हैं किन्तु इस समस्या का क्या जो घर के अंदर ही परिवार पर विशेषकर औरतों और बच्चों पर भारी पड़ रही है? क्या इसके लिए प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? 

     हम स्वयं अपने घर में बन्दरों के आतंक से बचने के लिए एक कुत्ते को पाल रहे हैं किन्तु 20 से 30 बन्दरों के सामने अकेला कुत्ता भी कमजोर पड़ जाता है ऐसे में बन्दरों का जाने का समय नोट कर ही घर के खुले हिस्से में निकल पाते हैं जबकि बन्दर दिन भर वहां रहकर घर पर लगाए गए पेड़ पौधों और घर की दीवारों को नुकसान पहुंचाने का कार्य तल्लीनता के साथ करते रहते हैं.

    अतः शामली जिला प्रशासन से सादर अनुरोध है कि वह जिले में बंदरों के आतंक की समस्या को गम्भीरता से लेते हुए अति शीघ्र उचित कदम उठाए जाने की कृपा करें.

निवेदक

शालिनी कौशिक एडवोकेट

 कांधला (शामली) 

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