और मेरे बंदों से कह दीजिए कि वे बहुत ही अच्छी बात मुँह से निकाला करें क्योंकि शैतान आपस में फ़साद करवाता है, बेशक शैतान इंसान का खुला दुश्मन है।
क़ुरआन, 17, 53
निश्चय ही हमने अत्यंत व्यवस्थित ढंग से तुम पर कुरआन अवतरित किया है ; अतः अपने रब के हुक्म और फैसले के लिए धैर्य से काम लो और उनमें से किसी पापी या कृतघ्न का आज्ञापालन न करना ।और प्रातः काल और संध्या काल अपने रब के नाम का स्मरण करो । और रात के कुछ हिस्से में भी उसे सजदा करो , लंबी लंबी रात तक उसकी तसबीह करते रहो। निःसंदेह ये लोग जल्दी मिलने वाली (सांसारिक) चीज़ से प्रेम रखते हैं और एक भारी दिन को अपने परे छोड़ रहे हैं । हमने उन्हें पैदा किया है और उनके जोड़-बन्द मजबूत किए और हम जब चाहें उन जैसों को पूरी तरह बदल दें।
निश्चय ही यह एक नसीहत है, अब जो चाहे अपने रब की ओर मार्ग ग्रहण कर ले।
और तुम नहीं चाह सकते सिवाय इसके कि अल्लाह चाहे । निःसंदेह अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है। वह जिसे चाहता है अपनी दयालुता में दाख़िल करता है। रहे ज़ालिम, तो उनके लिए उसने दुखद यातना तैयार कर रखी है ।
क़ुरआन, 76, 23-31
क़ुरआन, 17, 53
निश्चय ही हमने अत्यंत व्यवस्थित ढंग से तुम पर कुरआन अवतरित किया है ; अतः अपने रब के हुक्म और फैसले के लिए धैर्य से काम लो और उनमें से किसी पापी या कृतघ्न का आज्ञापालन न करना ।और प्रातः काल और संध्या काल अपने रब के नाम का स्मरण करो । और रात के कुछ हिस्से में भी उसे सजदा करो , लंबी लंबी रात तक उसकी तसबीह करते रहो। निःसंदेह ये लोग जल्दी मिलने वाली (सांसारिक) चीज़ से प्रेम रखते हैं और एक भारी दिन को अपने परे छोड़ रहे हैं । हमने उन्हें पैदा किया है और उनके जोड़-बन्द मजबूत किए और हम जब चाहें उन जैसों को पूरी तरह बदल दें।
निश्चय ही यह एक नसीहत है, अब जो चाहे अपने रब की ओर मार्ग ग्रहण कर ले।
और तुम नहीं चाह सकते सिवाय इसके कि अल्लाह चाहे । निःसंदेह अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है। वह जिसे चाहता है अपनी दयालुता में दाख़िल करता है। रहे ज़ालिम, तो उनके लिए उसने दुखद यातना तैयार कर रखी है ।
क़ुरआन, 76, 23-31
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