अर्वाचीन बोधकथाएँ -१.
http://goo.gl/XYOzs
" बीरबल, `आ बैल मुझे मार`, लोकोक्ति का अर्थ क्या है?"
" जहाँपनाह, आपकी शादी में, बेगम साहिबा के साथ आपका साला (Brother in low)गीफ्ट में साथ आया है । उसको महल से, निकाल फेंकने की जद्दोजहद में, आपकी सास भी हमेशा यहाँ रहने के लिए आ धमके उसे,`आ बैल मुझे मार..!!` कहते हैं ।"
===========
कथा -१. सुखद अकस्मात ।
( एक नवयुवक भागता हुआ आकर, गुरूजी के चरणों में लोटते हुए ।)
युवक-" गुरूजी, मुझे बचाईए,बचाईए,बचाईए..!!"
गुरूजी-" क्यों वत्स, क्या हुआ?"
युवक-" गुरूजी, कल मेरी शादी में अचानक पावर-कट ( फ़ेल ) होने की वजह से, मौके का फायदा उठाकर, मेरी विधवा सास ने मेरे साथ फेरे लगा लिए..!! अब मैं क्या करु?"
गुरूजी-"समाधान सरल है । तेरी सास से विवाह विच्छेद कर दे, समस्या ख़तम..!!"
युवक -" परंतु प्रभो, मेरी सास करोड़पति है, और मैं मेरे भाग्य की लक्ष्मी को ठुकराना नहीं चाहता..!!"
गुरूजी-" हं...म्म...म । समस्या गंभीर है । सुनो बेटे, मेरे लिए आश्रम में ऍअर कन्डिशन कुटिर निर्माण करनी है । तेरी ओर से कोई दान-पून्य?"
युवक-" गुरूजी, आपके लिए ए.सी.कुटिर बन गई समझो । मुझे जल्दी उपाय दर्शाइए..!! मैं उस विधवा की लड़की (प्रेमिका) से पांच साल से प्रेम करता हूँ । प्रेमिका के बगैर मैं मर जाउँगा..!!"
गुरूजी-" परंतु वत्स, तेरी प्रेमिका से, अब तेरा संबंध बाप- बेटी (पुत्री) का हो गया है ना?"
युवक-" यही तो सब से बड़ी समस्या है ?"
गुरूजी- "उदास मत हो वत्स । एक काम कर, तुझे तेरी प्रेमिका को पाना है और पत्नी (सास?) को भी छोड़ना नहीं है । यही समस्या है ना?"
युवक -"जी गुरूजी..!!"
गुरूजी- " बेटे, समझ ले, आज से तेरी समस्या ख़तम..!! मेरी ए.सी.कुटिर बनाकर, तेरी युवा प्रेमिका को उसी कुटिरमें साध्वी बनाकर यहाँ आश्रम में छोड़ दे । "
युवक-"गुरूजी..!! यह आप क्या कह रहे हैं?"
गुरूजी-" शास्त्रकथन अनुसार साध्वी बनते ही, संसार के सारे रिश्ते-नाते ख़तम हो जाएगें । अर्थात तुम्हारी पत्नी (उर्फ़ सास ) की बेटी, मतलब की तेरी प्रेमिका से तेरा बाप-बेटी का रिश्ता भी ख़तम । और फिर यहाँ रहने वाली तेरी प्रेमिका उर्फ़ साध्वी के साथ सत्संग करने, ( ही...ही...ही...ही...!! कौन बंदा हँसता है?) जब मन चाहे, आते जाते रहना..!! कुछ समझे की, विस्तार से समझाना पड़ेगा? "
युवक-" समझ गया, प्रभो, सबकुछ समझ गया..!! जैसी आपकी आज्ञा । आप तो बड़े विद्वान और समर्थ गुरु हैं । बहुत खुशी हुई..!! मुझे मेरी समस्या का बहुत बढ़िया समाधान मिला । मैं तो चला मेरी प्रेमिका को यहाँ आश्रममें लाने के लिए..!! O.K. गुरूजी बा..य..!!"
अर्वाचीन बोध -
हाथ में आने वाले किसी भी मौके को हाथ से जाने मत देना । जीवन में शादी में, फेरे के सही वक़्त पर पावर फ़ेल हो, ऐसा सुखद अकस्मात, सब के साथ, बार-बार नही दुहराता..!!
मार्कण्ड दवे । दिनांक -१४-०३-२०११
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" बीरबल, `आ बैल मुझे मार`, लोकोक्ति का अर्थ क्या है?"
" जहाँपनाह, आपकी शादी में, बेगम साहिबा के साथ आपका साला (Brother in low)गीफ्ट में साथ आया है । उसको महल से, निकाल फेंकने की जद्दोजहद में, आपकी सास भी हमेशा यहाँ रहने के लिए आ धमके उसे,`आ बैल मुझे मार..!!` कहते हैं ।"
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कथा -१. सुखद अकस्मात ।
( एक नवयुवक भागता हुआ आकर, गुरूजी के चरणों में लोटते हुए ।)
युवक-" गुरूजी, मुझे बचाईए,बचाईए,बचाईए..!!"
गुरूजी-" क्यों वत्स, क्या हुआ?"
युवक-" गुरूजी, कल मेरी शादी में अचानक पावर-कट ( फ़ेल ) होने की वजह से, मौके का फायदा उठाकर, मेरी विधवा सास ने मेरे साथ फेरे लगा लिए..!! अब मैं क्या करु?"
गुरूजी-"समाधान सरल है । तेरी सास से विवाह विच्छेद कर दे, समस्या ख़तम..!!"
युवक -" परंतु प्रभो, मेरी सास करोड़पति है, और मैं मेरे भाग्य की लक्ष्मी को ठुकराना नहीं चाहता..!!"
गुरूजी-" हं...म्म...म । समस्या गंभीर है । सुनो बेटे, मेरे लिए आश्रम में ऍअर कन्डिशन कुटिर निर्माण करनी है । तेरी ओर से कोई दान-पून्य?"
युवक-" गुरूजी, आपके लिए ए.सी.कुटिर बन गई समझो । मुझे जल्दी उपाय दर्शाइए..!! मैं उस विधवा की लड़की (प्रेमिका) से पांच साल से प्रेम करता हूँ । प्रेमिका के बगैर मैं मर जाउँगा..!!"
गुरूजी-" परंतु वत्स, तेरी प्रेमिका से, अब तेरा संबंध बाप- बेटी (पुत्री) का हो गया है ना?"
युवक-" यही तो सब से बड़ी समस्या है ?"
गुरूजी- "उदास मत हो वत्स । एक काम कर, तुझे तेरी प्रेमिका को पाना है और पत्नी (सास?) को भी छोड़ना नहीं है । यही समस्या है ना?"
युवक -"जी गुरूजी..!!"
गुरूजी- " बेटे, समझ ले, आज से तेरी समस्या ख़तम..!! मेरी ए.सी.कुटिर बनाकर, तेरी युवा प्रेमिका को उसी कुटिरमें साध्वी बनाकर यहाँ आश्रम में छोड़ दे । "
युवक-"गुरूजी..!! यह आप क्या कह रहे हैं?"
गुरूजी-" शास्त्रकथन अनुसार साध्वी बनते ही, संसार के सारे रिश्ते-नाते ख़तम हो जाएगें । अर्थात तुम्हारी पत्नी (उर्फ़ सास ) की बेटी, मतलब की तेरी प्रेमिका से तेरा बाप-बेटी का रिश्ता भी ख़तम । और फिर यहाँ रहने वाली तेरी प्रेमिका उर्फ़ साध्वी के साथ सत्संग करने, ( ही...ही...ही...ही...!! कौन बंदा हँसता है?) जब मन चाहे, आते जाते रहना..!! कुछ समझे की, विस्तार से समझाना पड़ेगा? "
युवक-" समझ गया, प्रभो, सबकुछ समझ गया..!! जैसी आपकी आज्ञा । आप तो बड़े विद्वान और समर्थ गुरु हैं । बहुत खुशी हुई..!! मुझे मेरी समस्या का बहुत बढ़िया समाधान मिला । मैं तो चला मेरी प्रेमिका को यहाँ आश्रममें लाने के लिए..!! O.K. गुरूजी बा..य..!!"
अर्वाचीन बोध -
हाथ में आने वाले किसी भी मौके को हाथ से जाने मत देना । जीवन में शादी में, फेरे के सही वक़्त पर पावर फ़ेल हो, ऐसा सुखद अकस्मात, सब के साथ, बार-बार नही दुहराता..!!
मार्कण्ड दवे । दिनांक -१४-०३-२०११
1 टिप्पणियाँ:
पता नही कैसा बोध है ये?
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Thanks for your valuable comment.