Life is Just a Life: ये कैसी काली भोर Ye Kaisi Kali Bhor: गणतंत्र दिवस पर बेशर्मी से नाच रहे हैं मोर , ये देश वही है जिसके मंत्री होते बैशाखी चोर। सजे धजे भूत की झांकी ढोल मृदंगों के नीचे ,...
6:05 pm
Life is Just a Life: ये कैसी काली भोर Ye Kaisi Kali Bhor
Written By नीरज द्विवेदी on शनिवार, 26 जनवरी 2013 | 6:05 pm
12:01 pm
पैग़म्बर मुहम्मद साहब स. पर इस अनोखी किताब को शुद्ध हृदय से पढ़िए ताकि आप अपनी परेशानियों से मुक्ति पा सकें
Written By DR. ANWER JAMAL on शुक्रवार, 25 जनवरी 2013 | 12:01 pm
पैग़म्बर मुहम्मद साहब स. पर इस अनोखी किताब को शुद्ध हृदय से पढ़िए ताकि आप अपनी परेशानियों से मुक्ति पा सकें.
http://islaminhindi.blogspot.in/2010/04/book-prof-rama-krishna-rao.html
http://islaminhindi.blogspot.in/2010/04/book-prof-rama-krishna-rao.html
7:27 pm
जिज्ञासा: कालाजार
Written By mark rai on बुधवार, 23 जनवरी 2013 | 7:27 pm
जिज्ञासा: कालाजार: मलेरिया के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें कालाजार से होती हैं. कालाजार धीरे-धीरे फैलने वाला रोग है। सैंडफ्लाइ मक्खियां इस घातक परजीवी की...
9:33 am
Life is Just a Life: बादलों जी भर बरस लो Badlon Jee Bhar Bras Lo
Written By नीरज द्विवेदी on मंगलवार, 22 जनवरी 2013 | 9:33 am
Life is Just a Life: बादलों जी भर बरस लो Badlon Jee Bhar Bras Lo: इस बार , ये बादलों जी भर बरस लो .. है मुझे है याद आती , आह को बूंदे बनाती , काल भी जब हारकर , घाव सूखा जानकर , साँस लेता हो सु...
4:50 pm
Life is Just a Life: मैं ढूंढ़ रहा था एक रुबाई Main Dhundh Raha Tha Ek ...
Written By नीरज द्विवेदी on रविवार, 20 जनवरी 2013 | 4:50 pm
Life is Just a Life: मैं ढूंढ़ रहा था एक रुबाई Main Dhundh Raha Tha Ek ...: मैं ढूंढ़ रहा था एक रुबाई , मिली मगर वो थी तन्हाई। सपनों के पीछे दौड़ा था , नींद खुली जब ठोकर खाई। अंधेरों से ...
8:12 pm
Life is Just a Life: झूंठी कायरता का मंचन Jhoonthi Kayarta Ka Manchan
Written By नीरज द्विवेदी on शनिवार, 12 जनवरी 2013 | 8:12 pm
Life is Just a Life: झूंठी कायरता का मंचन Jhoonthi Kayarta Ka Manchan:
सीने में शोले हैं बह जाये बूँद पर बूँद,
सीने में शोले हैं बह जाये बूँद पर बूँद,
खाने को न हो रोटी पर मरता नहीं जुनून,
श्वेत कफ़न सी सरहद पर आँखों में,
रक्तिम आंसू ले कहता शहीद का खून,
भारत के दो शेरों की निर्मम हत्याओं पर,
कायर नपुंसक दरबारों की हीलाहवाली है,
गन्दी दागी खद्दर की हिफाजत में हरदम,
तैनात सारी बंदूकों के मुँह पर गाली है।
....
8:28 pm
fact n figure: अब तो बड़े हो जाओ दुर्योधन!
Written By devendra gautam on बुधवार, 9 जनवरी 2013 | 8:28 pm
झारखंड सरकार के गिरने और चार बर्षों के अंदर तीसरी बार राष्ट्रपति शासन की नौबत आने के बाद जब झारखंडी नेताओं की तरफ ध्यान जाता है तो महाभारत सीरियल का एक डायलाग बरबस ही याद हो आता है कि- तुम बड़े कब होगे दुर्योधन..?
सरकार बनाने के जादुई आकडे का गणित जिसे नर्सरी का बच्चा भी आसानी से समझ सकता है इतने बड़े-बड़े नेता नहीं समझ सके और सिर्फ अपनी सत्ता लोलुपता के तहत सूबे को राजनैतिक अस्थिरता की खाई में धकेल दिया. शिबू सोरेन जैसे एक ज़माने के क्रांतिकारी नेता जो यदि अपनी गरिमा को बरक़रार रखते तो 20 वीं सदी के बिरसा मुंडा के रूप में जनता के ह्रदय में वास करते, परिवारवाद के चक्कर में अपनी फजीहत करा रहे हैं. अपने व्यक्तित्व को हल्का करते जा रहे हैं. अपने पूर्व में अर्जित आभामंडल को धूमिल करते जा रहे हैं. यदि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने किसी जन मुद्दे पर मुंडा सरकार से समर्थन वापस लिया होता तो उसे आम जनता की सहानुभूति मिलती. सिर्फ इसलिए कि आपकी पार्टी के किसी नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने को भाजपा तैयार नहीं हुई समर्थन वापस लेने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता. इसे राजनातिक अपरिपक्वता और बचकानी हरकत के अलावा क्या कहा जायेगा. बहुमत का कोई आंकड़ा नहीं होने के बावजूद यह उम्मीद लगाना कि कांग्रेस इस असम्भव कार्य को संभव बनाकर गुरूजी या उनके साहबजादे हेमंत सोरेन जी का राज्याभिषेक कर देगी दिवास्वप्न के अलावा और कुछ भी नहीं है.कांग्रेस के अंदर यह सामर्थ्य होता तो उसके पास मुख्यमंत्री बनने योग्य नेताओं की कमी है क्या. क्यों पूरे देश में झारखंड की फजीहत करा करे हैं. क्यों अपनी राजनैतिक अपरिपक्वता का प्रदर्शन कर रहे हैं. कम से कम दिशोम गुरु शिबू सोरेन की गरिमा का तो ख्याल करो भाई! एक इतिहास पुरुष कि फजीहत क्यों करने पर तुले हो! जोड़-तोड़ से नहीं जनता के समर्थन से जिस भी कुर्सी पर बैठना है बैठ जाओ कौन मन करता है. लेकिन अपनी सत्ता लोलुपता का इतना भोंडा प्रदर्शन मत करो. राज्य गठन का तेरहवां साल है. इतने संघर्षों और सहदतों के बाद मिले झारखंड की तेरहवीं मत मनाओ. बहुत हो चुका दुर्योधन अब तो बड़े हो जाओ.
--देवेंद्र गौतम
fact n figure: अब तो बड़े हो जाओ दुर्योधन!:
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सरकार बनाने के जादुई आकडे का गणित जिसे नर्सरी का बच्चा भी आसानी से समझ सकता है इतने बड़े-बड़े नेता नहीं समझ सके और सिर्फ अपनी सत्ता लोलुपता के तहत सूबे को राजनैतिक अस्थिरता की खाई में धकेल दिया. शिबू सोरेन जैसे एक ज़माने के क्रांतिकारी नेता जो यदि अपनी गरिमा को बरक़रार रखते तो 20 वीं सदी के बिरसा मुंडा के रूप में जनता के ह्रदय में वास करते, परिवारवाद के चक्कर में अपनी फजीहत करा रहे हैं. अपने व्यक्तित्व को हल्का करते जा रहे हैं. अपने पूर्व में अर्जित आभामंडल को धूमिल करते जा रहे हैं. यदि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने किसी जन मुद्दे पर मुंडा सरकार से समर्थन वापस लिया होता तो उसे आम जनता की सहानुभूति मिलती. सिर्फ इसलिए कि आपकी पार्टी के किसी नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने को भाजपा तैयार नहीं हुई समर्थन वापस लेने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता. इसे राजनातिक अपरिपक्वता और बचकानी हरकत के अलावा क्या कहा जायेगा. बहुमत का कोई आंकड़ा नहीं होने के बावजूद यह उम्मीद लगाना कि कांग्रेस इस असम्भव कार्य को संभव बनाकर गुरूजी या उनके साहबजादे हेमंत सोरेन जी का राज्याभिषेक कर देगी दिवास्वप्न के अलावा और कुछ भी नहीं है.कांग्रेस के अंदर यह सामर्थ्य होता तो उसके पास मुख्यमंत्री बनने योग्य नेताओं की कमी है क्या. क्यों पूरे देश में झारखंड की फजीहत करा करे हैं. क्यों अपनी राजनैतिक अपरिपक्वता का प्रदर्शन कर रहे हैं. कम से कम दिशोम गुरु शिबू सोरेन की गरिमा का तो ख्याल करो भाई! एक इतिहास पुरुष कि फजीहत क्यों करने पर तुले हो! जोड़-तोड़ से नहीं जनता के समर्थन से जिस भी कुर्सी पर बैठना है बैठ जाओ कौन मन करता है. लेकिन अपनी सत्ता लोलुपता का इतना भोंडा प्रदर्शन मत करो. राज्य गठन का तेरहवां साल है. इतने संघर्षों और सहदतों के बाद मिले झारखंड की तेरहवीं मत मनाओ. बहुत हो चुका दुर्योधन अब तो बड़े हो जाओ.
--देवेंद्र गौतम
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1:19 pm
बलात्कार का सही समाधान इस्लाम में है।
Written By Safat Alam Taimi on गुरुवार, 3 जनवरी 2013 | 1:19 pm
दिल्ली में चलती बस में
वहशी दरिंदों की सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई छात्रा की मौत पर हम सब लगता है
जाग गए हैं। पर इस प्रकार की जो भी समस्याएं पैदा होती हैं उनका सही समाधान इस्लाम
ही पैश करता है। आज ज़रूरत है कि इस्लाम की शिक्षाओं की ओर झाँक कर देखा जाए जो मानव
के सृष्टा की ओर से अवतरित हुआ है। और सृष्टा ही सृष्टि की हित को सही रूप में समझ
सकता है।
इस्लाम महिला को ऐसे वस्त्र
पहनने से रोकता है जिस से पुरुषों के जज़बात भर्कें। फिर पुरुषों तथा महिलोओं दोनों
को भी निगाह नीची रखने का आदेश देता है।
उसके बाद भी यदि कोई व्यभीचार
करता है तो इस्लाम का आदेश यह है कि यदि वह विवाहित है तो उसे पत्थर से मार मार कर
नष्ट कर दिया जाए और यदि विवाहित नहीं है तो उसे 100 कुड़े मारे जाएं और एक वर्ष के लिए देश निकाला दिया
जाए।
जिस समय यह नियम पूर्ण रूप
में लागू था इस्लामी इतिहास साक्षी है कि इस प्रकार के दुष्कर्म बिल्कुल देखने को नहीं
मिले। और यदि एकांत में एक व्यक्ति से ऐसा अपराध हुआ भी तो वह दौड़ा दोड़ा मुहम्मद
सल्ल0 की सेवा में उपस्थित हुआ कि उसे पवित्र कर दिया जाए।
इस लिए कि इस्लाम सब से पहले
हृदय को बदलता है। आज बलात्कारियों के लिए कैसे भी नियम बना दिए जाएं जब तक दिल नहीं
बदलेगा, अपने प्रभु के समक्ष उपस्थित
होने का भय पैदा न होगा जब तक नियम और क़ानून बनाने के बावजूद किसी भी अपराध पर नियंत्रण पाना असम्भव है।
9:31 am
Life is Just a Life: हम आज तक बस मांग ही करते रहे हैं क्यों?
Life is Just a Life: हम आज तक बस मांग ही करते रहे हैं क्यों?: आज वक्त केवल चीथड़ा पहने हुए है क्यों , कवि के शब्द आज फिर सहमें हुए है क्यों ? हमारे दिलों में इतना तो घुप्प अँधेरा न था , घर की...
10:25 am
हमारे एक मित्र
हैं बड़े विचित्र
एक जनवरी को हमसे बोले -
"चक्र" जी
नव वर्ष की बधाई !
हमने कहा
बड़े अजीब हो,
बिना सोचे समझे ही बधाई
आपको
देने मै ज़रा भी शर्म नहीं आयी ?
अरे,
नव वर्ष जब भी आता है
केवल
वर्ष ही तो नया रहता है
लेकिन
समस्याएँ पुरानी दोहराता है !
समस्याओं की श्रेणी में
प्रथम क्रमांक
रोटी का आता है
विश्वाश करो,
एक दिन तो ऐसा आएगा
जब
मोनो एक्टिंग करके
कोरी कल्पना से पेट भरना होगा,
तब
हम अपने बच्चों को बताएंगे
कि
रोटी एक इतिहास है
और
उसकी कहानियां सुनाएंगे !
यह सुनकर
हमारे बच्चे भी
रोटी के भूतकालीन अस्तित्व पर
विशवास नहीं कर पाएंगे !
मेरे भाई,
बधाई का क्या है -
नव वर्ष की
सिर्फ निष्ठा बदल जाती है
और
मौक़ा देखकर
उसकी भी नीयत बदल जाती है !
जिस दिन
महंगाई कम हो जाएगी
उस दिन मैं
घी के दिये जलाऊंगा
और
सच मानो
आपको नव वर्ष की बधाई देने अवश्य आऊँगा |
नव वर्ष की बधाई
Written By kavisudhirchakra.blogspot.com on मंगलवार, 1 जनवरी 2013 | 10:25 am
हमारे एक मित्र
हैं बड़े विचित्र
एक जनवरी को हमसे बोले -
"चक्र" जी
नव वर्ष की बधाई !
हमने कहा
बड़े अजीब हो,
बिना सोचे समझे ही बधाई
आपको
देने मै ज़रा भी शर्म नहीं आयी ?
अरे,
नव वर्ष जब भी आता है
केवल
वर्ष ही तो नया रहता है
लेकिन
समस्याएँ पुरानी दोहराता है !
समस्याओं की श्रेणी में
प्रथम क्रमांक
रोटी का आता है
विश्वाश करो,
एक दिन तो ऐसा आएगा
जब
मोनो एक्टिंग करके
कोरी कल्पना से पेट भरना होगा,
तब
हम अपने बच्चों को बताएंगे
कि
रोटी एक इतिहास है
और
उसकी कहानियां सुनाएंगे !
यह सुनकर
हमारे बच्चे भी
रोटी के भूतकालीन अस्तित्व पर
विशवास नहीं कर पाएंगे !
मेरे भाई,
बधाई का क्या है -
नव वर्ष की
सिर्फ निष्ठा बदल जाती है
और
मौक़ा देखकर
उसकी भी नीयत बदल जाती है !
जिस दिन
महंगाई कम हो जाएगी
उस दिन मैं
घी के दिये जलाऊंगा
और
सच मानो
आपको नव वर्ष की बधाई देने अवश्य आऊँगा |
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