- स्वराज करुण
जलियांवाला बाग के अमर शहीदों को आज उनके शहादत दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि । सौ साल पहले आज ही के दिन 13 अप्रेल 1919 को अमृतसर के पास जलियांवाला बाग में अंग्रेजी हुकूमत के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण विशाल आम सभा में एकत्रित हजारों लोगों को जनरल डायर नामक एक कायर अंग्रेज अधिकारी के नेतृत्व में फ़ौज ने गोलियों से भून दिया था. हजारों देशभक्त पुरुषों ,महिलाओं और बच्चों ने भारत माता को गुलामी के बंधनों से मुक्त करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी ।
वह पंजाब के प्रमुख लोकपर्व वैशाखी का दिन था ,जब त्यौहार की खुशियाँ मातम में बदल गयी । आज के दिन आइए ,हम याद करें इन अमर शहीदों की कुर्बानी । इस घटना के लगभग 21 वर्ष बाद पंजाब के ही महान क्रांतिकारी उधमसिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन स्थित रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी के एक कार्यक्रम में जनरल डायर को गोलियों से छलनी कर जलियांवाला बाग के जघन्य हत्याकांड का बदला ले लिया । हालांकि अंग्रेजों की अदालत ने उधमसिंह को 4 जून 1940 को दोषी ठहराया और 31 जुलाई 1940 को ब्रिटेन के पेंटनविले जेल में फाँसी दे दी । मातृभूमि की आज़ादी के लिए उधमसिंह भी शहीद हो गए ।
-- स्वराज करुण
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