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इस दौर में अख़बार वाले ,टी वी चैनल वाले सरकारी गुलाम हुए

Written By आपका अख्तर खान अकेला on रविवार, 14 अप्रैल 2019 | 6:36 am

देश में चल रही ,,वर्तमान पत्रकारिता ,,भक्तगिरि से देश शर्मिन्दा है ,,विश्व में देश की पत्रकारिता को शर्मसार करने वाले क़िस्से है ,लेकिन आज बैसाखी पर्व के दिन ,,ब्रिटेन हुकूमत में ,भारत के सिक्ख भाइयों के सामूहिक नरसंहार को ,दंगा ,फसाद ,,बताकर फ़र्ज़ी खबरे छापने ,,हुकूमत की गुलामी करने वाले पत्रकारों की शर्मसार पत्रकारिता का यादगार दिन है ,अफ़सोस ,,ऐसे घटिया ,बिकाऊ ,सरकारी सुविधाओं की गुलामी पर ,,देश को ,विश्व को गुमराह कर ,,सरकार का स्तुति गुणगान करने वाले पत्रकारों के खिलाफ देश की जनता ने तब भी आवाज़ नहीं उठाई थी ,, अब भी नहीं उठाई है ,,लेकिन हाँ पत्रकार गोरीलंकेश की हत्या की तरह ,पत्रकार रवीशकुमार ,अभिसार की प्रताड़ना की तरह तब भी ब्रिटेन हुकूमत में पत्रकार थे ,उनके साथ प्रताड़ना थी ,दोस्तों सिक्ख भाइयों का यह बैसाखी नरसंहार अंग्रेज़ो की एकतरफा सामूहिक हत्या का मामला था ,लेकिन हुकूमत के गुलाम पत्रकारों ने इस घटना की रिपोर्टिंग आज की गुलाम पत्रकारिता की तरह ही करते हुए ,इसे दंगा फसाद ,, क़ानून की बहाली बताकर ,इतिश्री कर ली थी ,लेकिन इस वक़्त भी एक पत्रकार रविश कुमार ,अभिसार की तरह ,थे ,उन्होंने ,क़लम उठाई ,और पत्रकार हैनिमेन ने विश्व को 13 अप्रेल 1919 के इस नरसंहार की सच्चाई बताई ,उस वक़्त भी ऐसे ही दमनकारी हाकम थे ,इन्होने इस सच को उजागर करने पर ,हनीमेंन पत्रकार को दो साल के लिए जेल में डाल कर आवाज़ दबाने की कोशिश की ,,दोस्तों भारत की पत्रकारिता का अपना इतिहास रहा है ,अपना स्वाभिमान रहा है ,,यहां पत्रकारिता ने सत्ता पलटी है ,,देश के स्वाभिमान को ज़िंदा किया है ,गरीब ,,मज़लूमों को इंसाफ दिलवाया है ,, गुजरात के दंगों का सच देश को बताया है ,,लेकिन पत्रकारिता का पिछले पांच सालों में एक खतरनाक ,राष्ट्रविरोधी ,जन विरोधी ,पूंजीपति पोषक ,बिकाऊ दौर आया ,,इस दौर में अख़बार वाले ,टी वी चैनल वाले सरकारी गुलाम हुए ,उद्योपतियों के घरानों ने अख़बार ,टी वी चैनल अपने मुआफ़िक खबरों के लिए ख़रीदे ,,खुद सियासत में ,मंत्री ,राजयसभा सदस्य बने ,और फिर पत्रकारिता ,पत्रकारिता से अलग होकर ,सियासी घरानों की गुलाम ,व्यक्ति की गुणगान करने वाली भोंपू होगयी ,,पत्रकारिता लूली हो गयी ,,देख कर भी क़लम नहीं चला सकी ,पत्रकारिता लंगड़ी हो गयी ,घटनाये देखकर भी वहां नहीं जा सकी ,,पत्रकारिता अंधी हो ,गयी ,,घटनाये देखकर भी रिपोर्टिंग नहीं कर सकी ,,पत्रकारिता बहरी हो गयी ,,,सुन कर भी घटना का बयान नहीं कर , सकी सकी ,,लेकिन यह देश चमत्कारों का देश ,है ,जब जब भी यहाँ ज़ुल्म हुआ है ,,यहां रावण पैदा हुआ है ,तो उसे मारने के लिए राम ने जन्म ज़रूर लिया है ,,,आज सेलेब्रेटरी पार्टियों ,व्यक्तियों के विज्ञापन कर रही है ,,रूपये लेकर नफरत भड़काने ,, रूपये लेकर खबरें दबाने ,,देश के गद्दारों ,क़ानून तोड़ने वालों को बचाने ,फिर से कुर्सी हथियाने के लिए झूंठ फैलाने के मामले में पत्रकारिता के खिलाफ हुए स्टिंग ऑपरेशन ब्लेक कोबरा ,,अनिरुद्ध बहल के ऑपरेशन ,,रविश कुमार की दहाड़ ,अभिसार की पुकार ने ऐसे उद्योगपति कथित पत्रकारों को बेनक़ाब कर दिया है ,,खेर पत्रकारिता के रावण के वध के लिए राम ज़रूर आएंगे ,लक्ष्मण ज़रूर आएंगे ,,पत्रकारिता के रावण की लंका को जलाने के लिए हनुमान ज़रूर आएंगे ऐसी मेरे जैसे नागरिक को उम्मीद है ,उम्मीद है ,,उम्मीद है ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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