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कितना तन्हा

Written By Pappu Parihar Bundelkhandi on शनिवार, 8 अक्तूबर 2011 | 6:28 am

कितना तन्हा,
वो लग रहा है,
बड़ा उदास,
वो लग रहा है,

जानती हूँ उसे,
देखता है,
खिड़की से,
रोज़ वो मुझे,

शायद कोई,
बात हो,
क्या पता,
क्या बात हो,

जा नहीं सकती,
उसके पास,
उससे कुछ,
कह नहीं सकती,

लड़की हूँ न,
जमाना देखता है,
कुछ हो न,
रोटियाँ सकता है,


.
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4 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

विभूति" ने कहा…

जा नहीं सकती,
उसके पास,
उससे कुछ,
कह नहीं सकती.... bhaut hi khubsurat....

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

मन के भाव किस तरह तैर गये इन पंक्तियों मे… बहुत सुंदर और बिल्कुल सही
"लड़की हूँ न,
जमाना देखता है,
कुछ हो न,
रोटियाँ सकता है।"

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

अच्छी अभिव्यक्ति....
सादर...

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