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कूए ग़ायब हो गये

Written By आपका अख्तर खान अकेला on शुक्रवार, 3 मई 2019 | 7:00 am

*धूप सिपाही बन गई , सूरज थानेदार !*
*गरम हवाएं बन गईं , जुल्मी साहूकार !!*
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शीतलता शरमा रही , कर घूँघट की ओट !
मुरझाई सी छांव है , पड़ रही लू की चोट !!
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चढ़ी दुपहरी हो गया , कर्फ़्यू जैसा हाल !
घर भीतर सब बंद हैं , सूनी है चौपाल !!
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लगता है जैसे हुए , सूरज जी नाराज़ !
आग बबूला हो रहे , गिरा रहे हैं गाज !!
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तापमान यूँ बढ़ रहा , ज्यों जंगल की आग !
सूर्यदेव गाने लगे , फिर से दीपक राग !!
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कूलर हीटर सा लगे , पंखा उगले आग !
कोयलिया कू-कू करे , उत अमवा के बाग़ !!
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लिए बीजना हाथ में , दादी करे बयार !
कूलर और पंखा हुए , बिन बिजली बेकार !!
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कूए ग़ायब हो गये , सूखे पोखर - ताल !
पशु - पक्षी और आदमी , सभी हुए बेहाल !!
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धरती व्याकुल हो रही , बढ़ती जाती प्यास !
दूर अभी आषाढ़ है , रहने लगी उदास !!
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सूरज भी औकात में , आयेगा उस रोज !
बरखा रानी आयगी , धरती पर जिस रोज !!
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*पेड़ लगाओ पानी बचाओ , कहता सब संसार !*
*ये देख चेते नहीं ,तो इक दिन होगा बंटाधार !!!!*
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