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पुराने पत्रकार ,पुराने नेता ,सभी तो इनकी आवभगत में अपना फोटो का ब्लॉक सबसे पहले बनवाकर ले जाने की होड़ में लगे रहते थे

Written By आपका अख्तर खान अकेला on शनिवार, 4 मई 2019 | 6:20 am

दोस्तों वहीद भाई की यह मुस्कुराती तस्वीर देखकर कुछ याद आया ,,पुराने पत्रकार ,पुराने नेता ,सभी तो इनकी आवभगत में अपना फोटो का ब्लॉक सबसे पहले बनवाकर ले जाने की होड़ में लगे रहते थे ,चुनाव के दिनों में वहीद भाई ,महालक्ष्मी ब्लॉक ,,के नाम से बिना रुके ,बिना आराम करे ,चौबीस घंटे की सेवा देते थे ,कलेक्टर हो ,सियासी पार्टी के प्रतिनिधि हो ,अख़बार वाले हो सभी तो ,,इनके साथ ,एक अनार सो बीमार वाली कहावत चरितार्थ किया करते थे ,,आप सभी को पता है ,एक युग था जब अखबारों में फोटो छापने के लिए ब्लॉक बनाना ज़रूरी हुआ करता था ,,कोटा में फोटो से ब्लॉक बनाने की मशीन ,सिर्फ महालक्ष्मी ब्लॉक वर्क्स ,रामपुरा कोतवाली के पास वहीद भाई की ही थी ,,कोटा में ही नहीं पुरे राजस्थान में त्वरित हु बहु साफ़ सुथरी तस्वीर का ब्लॉक बनाने में ,वहीद भाई को ही महारत हांसिल थी ,इसलिए दूर दराज़ के सरकारी विभागों के विज्ञापन ,,पोस्टरों के लिए भी ब्लॉक बनने इन वहीद भाई के पास ही आते थे ,,लकड़ी के गुट्टे पर ,एक विशेष पूर्व आदेशित निर्धारित साइज़ का फोटो एक सीसे की पट्टी पर तराश कर बनाया जाता ,फिर लकड़ी के गुट्टे पर ठोका जाता ,,कम्पोज़ हुए टाइप के पेज में खुसूसी सजावट के लिए ब्लॉक लगाया जाता था ,फोटो जो भी हो अगर छापना है तो पहले ब्लॉक बनना अनिवार्य था ,बस इसीलिए नेता जी हो ,समाज सेवक जी हो ,अख़बार वाले हो ,विज्ञापन दाता हो ,सरकार हो सभी महालक्ष्मी ब्लॉक के इर्द गिर्द इस उम्मीद में मंडराते देखे जाते थे ,हमारा ब्लॉक पहले बनकर तैयार हो जाए ,बढे बढे से बढे दैनिक अख़बार ,,नेताओ की सभाओ ,बढे कार्यक्रमों के बाद ब्लॉक बनने तक ,अख़बार का मेकअप पेज रोक लेते थे ,और फिर ब्लॉक आने के बाद ही ,सजावट के हुनर के साथ कम्पोज़ की हुई खबर में ,,यह फोटो का ब्लॉक लगाया जाता था ,जिसके बाद ही नेताजी ,,समाज सेवक जी ,अधिकारीयों के कार्यव्यवहार की तस्वीरें अख़बार में प्रकाशित हो सकती थी ,आपात स्थिति में इनके ब्लॉक निर्माण पर भी काफी चेकिंगे होती रही है ,लेकिन वहीद भाई तो वहीद भाई है ,,एक मुस्कुराहट ,सभी तकलीफे दूर ,,हंसो ,हँसाओ इनका स्वभाव ,हँसते हँसते काम करना ,,सभी लोगो को संतुष्ठ कर अतिरिक्त वक़्त निकालकर ,सभी के काम करना ,इनका हुनर रहा है ,,कल वहीद भाई अदालत में जब मिलने आए तो यूँ ही बातों बातों में पुरानी ट्रेडल संस्कृति से छपने वाले अख़बार की पत्रकारिता ,,धैर्य और संयम की लेखनी ,,निर्भीक ,,निष्पक्ष ,,पत्रकारिता के साथ ,,मेरे द्वारा रोज़ मर्रा लिखे जाने वाले कॉलम ,बेखौफ,,की भी याद ताज़ा हों गयी ,इस बेखौफ कॉलम से पत्रकारिता तो बेखौफ थी ,मज़लूम के लिए इन्साफ था ,लेकिन सभी अधिकारी ,सियासी नेता वगेरा के दिलों में इस ,बेखौफ ,कॉलम का खौफ छाया हुआ था उन्हें खौफ था ,कहीं ,,अकेला की क़लम से लिखित ,इस बेखौफ कॉलम की खबर वोह न बन जाए ,और फिर कहीं उन्हें नौकरी से निलंबित न होना पढ़ जाए ,क्योंकि उन दिनों पत्रकारिता ,,लेखन में ,छपाई में ,पिछड़ापन था ,,लेकिन क़लम वही थी ,सियाही वही थी ,बस लिखने वाले का मिजाज़ निर्भीक ,निष्पक्ष हुआ करता था ,अख़बार मालिकों का मिजाज़ व्यवसायिक नहीं ,,इन्साफ के लिए क्रन्तिकारी सेवक का हुआ करता था ,,चंद विज्ञापनों के खातिर उस वक़्त बढे संस्थानों के नाम को बचाने के लिए आपराधिक खबर में एक संस्थान कहकर खबर नहीं बना करती थी ,जो खबर छपती थी ,सरकारी जनसपर्क अधिकारी ,पुलिस सी आई डी ,,पुलिस का डी एस बी विभाग और दिल्ली का डी ऐ वी पी ,जयपुर का डी पी आर विभाग ,,अख़बार की कतरन संबंधित अधिकारीयों को आवश्यक रूप से भेजा करते थे ,उन पर जांच होती थी ,कार्यवाही होती थी ,,हालात यह थे के नेता ,,मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस का टाइम देकर अख़बार वालों का इन्तिज़ार करते थे ,अधिकारी खुद फोन कर उनसे वक़्त लेकर उन्हें दफ्तर में बुलाकर खबर देते थे ,महीने में एक बार जनसम्पर्क अधिकारी के माध्यम से एक राब्ता हुआ करता था ,,लेकिन आज स्थित में बदलाव है ,आधुनिकता है ,,त्वरित प्रकाशन है ,बस नहीं है तो पत्रकारिता नहीं है ,नहीं है तो खबर नहीं है ,,अगर खबर कही है तो उसे दिल से सलाम ,दिल से सेल्यूट करने का जी करता है ,जनता को इंसाफ मिलता है ,,समाज में भी सुधार होता ,है ,,,सभी जानते है इन चुनाव में कितनी खबरे थी ,कितने सुबूत थे ,लेकिन क्या वोह खबरें प्रकाशित हुई ,क्या वोह इल्ज़ामात प्रतिपक्ष के नेताओं ने बतौर सबूत पेश कर पत्रकारों के समक्ष पत्रकारवार्ता बुलवा कर रखी ,,चुनाव में पार्टी के दफ्तरों में ,चुनाव के दफ्तरों में क्या हालात थे सभी ने देखे है ,लेकिन पत्रकारिता का वहीद भाई के कार्यकाल का वोह युग आज भी याद आता है और उस युग पर गर्व भी होता है ,जिस युग में ओमनारायण सक्सेना ,इन्द्रनारायण सक्सेना ,,भंवर शर्मा अटल ,,तिमिर भास्कर ,,स्वर्गीय पियूष जैन ,,लेखक प्रेम जी प्रेम ,,बजरंग सींह पांथी ,दादा मदन मदीर ,बाबू हीरा लाल जैन ,,आनंद लक्ष्मण खांडेकर ,,दिनेश दूबे ,,धीरेन्द्र राहुल ,,हीरालाल व्यास ,,रामचरण सितारा ,प्रमोद प्रीतम ,दिलीप शाह मधुप ,,शम्भू लाड़पुरी ,,मामा रूपनारायण पारीक ,,भंवर सिंह सोलंकी ,,महेंद्र नाथ चतुर्वेदी ,सीताशरण देवलिया ,,क़य्यूम अली ,, नरेश विजय वर्गीय ,,विजय नारायण सक्सेना, इंद्र दत्त स्वाधीन बी एम बांठिया ,,,पंडित रामानन्द पांडे ,गजेंद्र सिंह सोलंकी ,,मुझ सहित कई पत्रकार शामिल रहे है ,,जिनकी लेखनी ,जिनकी रिपोर्टिंग ,,जिनका सम्पादन आज सिर्फ यादगार ,सिर्फ यादगार सा लगता है , जो यादें वहीद भाई महालक्ष्मी ब्लॉकर्स ने पूरी कर दी ,आधुनिक युग में ,वहीद भाई ने भी खुद को बदल लिया अब वोह फ्लेक्स ,,,पोस्टर प्रिंटिंग का काम बखूबी करते है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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